Stock Market Today: भारतीय इक्विटी बेंचमार्क इंडेक्स बीएसई सेंसेक्स और निफ्टी 50 ने सोमवार को शेयर बाजार में आई भारी गिरावट के बीच मंगलवार को शुरुआती कारोबार में जबरदस्त उछाल दर्ज किया. एक तरफ बीएसई सेंसेक्स 74,300 के पार चला गया गया, तो दूसरी ओर निफ्टी-50 22,500 के ऊपर पहुंच गया. सुबह 9:16 बजे, बीएसई सेंसेक्स 1,189 अंक या 1.63 परसेंट की बढ़त के साथ 74,327.37 पर कारोबार कर रहा था. जबकि निफ्टी-50 371 अंक या 1.67 परसेंट की उछाल के साथ 22,532.30 पर था.
शुरुआती कारोबार में ही जबरदस्त मुनाफा
चौतरफा खरीदारी के बीच हर सेक्टोरल इंडेक्स ग्रीन जोन पर है, सिर्फ टीसीएस के शेयर रेड जोन पर है. वहीं, टाटा स्टील, अडानी पोर्ट्स और टाइटन के शेयरों में गजब का उछाल देखने को मिल रहा है. मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में भी तेजी देखने को मिल रही है.
सोमवार को 13 लाख करोड़ से ज्यादा का नुकसान होने के बाद आज BSE पर लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप में 8.47 लाख करोड़ का उछाल आया. सोमवार को बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 3,89,25,660.75 करोड़ रुपये था, जबकि मंगलवार को शुरुआती कारोबार में आई तेजी से यह 3,97,73,006.86 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. यानी कि निवेशकों को कुल 847,346.11 करोड़ रुपये का प्रॉफिट हुआ.
टैरिफ की चोट किस पर सबसे ज्यादा?
बीते दिन भारतीय शेयर बाजार में जबरदस्त गिरावट आई, जिसके पीछे जिम्मेदार ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ को ठहराया जा रहा है. इससे ग्लोबल मार्केट में उथल-पुथल मची हुई है. बाजार विशेषज्ञों ने इस भारी गिरावट के बीच निवेशकों को फूंक-फूंककर कदम रखने की सलाह दी है.
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इंवेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट डॉ. वी के विजयकुमार ने टाइम्स ऑफ इंडिया से हुई बातचीत में कहा, ”ग्लोबल मार्केट में बढ़ी अनिश्चितता और अस्थिरता कुछ और समय के लिए बनी रहेगी. मोटे तौर पर यह कहा जा सकता है कि यह ट्रेड वॉर सिर्फ चीन और अमेरिका तक ही सीमित रहने वाला है. यूरोपीय यूनियन और जापान जैसे कई देशों ने बातचीत का विकल्प चुना है. भारत ने पहले ही अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर बातचीत शुरू कर दी है.”
उन्होंने यह भी कहा, ”दूसरी तरफ, अमेरिका में महंगाई का खतरा बढ़ गया है. चीन की अर्थव्यवस्था के भी सबसे बुरी तरह से प्रभावित होने की संभावना है. अगर चीन पर 50 परसेंट टैरिफ लगाने की ट्रंप की धमकी लागू हो जाती है, तो अमेरिका में चीनी निर्यात लगभग रुक जाएगा. चौथा, चीन मेटल जैसे अपने प्रोडक्ट्स को दूसरे देशों में डंप करने की कोशिश करेगा. इससे इंटरनेशनल मेटल की कीमतें कम रहेंगी.”
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