शेफाली जरीवाला ने कहा है कि जब वह स्कूल में थीं और उन्हें मिर्गी के दौरे पड़ते थे. तब उनका आत्म-सम्मान कम हो गया था. उन्होंने कहा कि उस समय असहायता की भावना को व्यक्त करना असंभव था. उन्होंने कहा कि इस बीमारी ने उनके सामाजिक जीवन और स्कूल के काम को भी प्रभावित किया. मिर्गी से जूझने के समय को याद करते हुए शेफाली ने ईटाइम्स को बताया जब मैं 15 साल की थी.
तब मुझे पहला दौरा पड़ा था और एक दशक तक मिर्गी के साथ रहना एक चुनौती थी. मनोदशा और चिंता विकारों ने स्कूली काम और सामाजिक कामकाज को प्रभावित किया. उस उम्र में निराशा और लाचारी की भावनाओं को व्यक्त करना असंभव था. मेरा आत्म-सम्मान इतना कम था.लेकिन जैसे-जैसे मैं बड़ी हुई. नई चुनौतियां सामने आईं. अनुचित समय और स्थान पर दौरा पड़ने का तनाव हमेशा मेरे सिर पर मंडराता रहता था. खासकर कांटा लगा के बाद जब मैं शूटिंग कर रही थी.उस दौरान मैं इस बीमारी से काफी परेशान थी.
मिर्गी एक गंभीर न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है. यह दिमाग से जुड़ी गंभीर बीमारी जिसमें सेल्स ठीक से काम नहीं करते हैं. इसमें दौरे पड़ते हैं. मिर्गी दिमाग से जुड़ी गंभीर बीमारी होती है.
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जो दिमाग को कमजोर कर देती है. WHO की रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में लगभग 50 मिलियन लोग मिर्गी की बीमारी से पीड़ित हैं. जिसका खतरा सभी उम्र के लोगों में होता है. वैसे तो इसका इलाज संभव नहीं है लेकिन कुछ लोगों पर इस बीमारी की दवाइयों को असर नहीं होता है. ऐसे में मैनेज करना बेहद मुश्किल हो जाता है.
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मिर्गी आने पर शरीर पर दिखाई देते हैं ये लक्षण: शरीर में दर्द, अकड़न और बेहोशी होने लगती है. शरीर में मरोड़ और हिलने लगता है. अचानक से डर या घबराहट होना मिर्गी के शुरुआती के लक्षण हो सकते हैं. मिर्गी के कई कारण हो सकते हैं जैसे- स्ट्रोक, ब्रेन स्ट्रोक, सिर पर चोट लगना, ड्रग्स या एल्कोहल, ब्रेन इंफेक्शन. NHS के मुताबिक एंटी-एपिलेप्टिक ड्रग्स (एईडी) मिर्गी की बीमारी में इस दवा का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. 10 में से लगभग 7 लोगों को मिर्गी की बीमारी को कंट्रोल करने के लिए इन दवाइयों का इस्तेमाल किया जाता है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें
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