Dadi-Nani Ki Baatein: शंख बजाकर करो नए साल का शुभारंभ, दादी-नानी की इस मान्यता का क्या है धार्मिक-वैज्ञानिक कारण

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Dadi-Nani Ki Baatein: नववर्ष 2025 की शुरुआत हो चुकी है. नए साल पर लोग पूजा-पाठ कर भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, जिससे कि नववर्ष का आगमन उनके जीवन में शुभता के साथ हो. लेकिन दादी-नानी कहती हैं कि नए साल का शुभारंभ शंख बजाकर करना चाहिए. हिंदू धर्म में शुभ कार्यों, अनुष्ठानों और धार्मिक कार्यक्रम या आयोजन आदि के दौरान शंख बजाने की परंपरा रही है.

सनातन धर्म में शंख को बहुत शुभ माना जाता है और शंख बजाने की परंपरा युगों-युगों से चली आ रही है. इसलिए यह केवल वाद्ययंत्र न होकर धार्मिक संस्कृति और परंपरा का हिस्सा है. शंख आध्यात्मिक चेतना का प्रतीक है. इससे निकलने वाली ध्वनि और कंपन का विशेष महत्व और लाभ भी शास्त्र और विज्ञान में बताए गए हैं. यही कारण है कि दादी-नानी शुभ कार्यों की शुरुआत हमेशा शंखनाद के साथ करने को कहती हैं.

आपको दादी-नानी की ये बातें अटपटी या मिथक लग सकती है. लेकिन शास्त्र और विज्ञान में भी इसके कारण और इससे होने वाले लाभ के बारे में बताया गया है. अगर आप दादी-नानी की बताई बातों को फॉलो करेंगे तो सुखी रहेंगे और भविष्य में होनी वाली अशुभ घटना से बच जाएंगे. आइए जानते हैं आखिर क्यों शंख बजाना होता है शुभ और क्या हैं इसके लाभ.

शंख बजाकर क्यों करते हैं शुभारंभ

शंख बजाना सकारात्मकता को आमंत्रित करता है. इससे राजसिक और तामसिक तत्व दूर होते हैं और वातारण में मौजूद नकारात्मकता कम होती है. शंख की ध्वनि सात्विक गुणों को आकर्षित करती है जो शुभ, शुद्ध और शांत मानी जाती है.

समुद्र मंथन से निकले शंख का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. शंख की ध्वनि से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. धार्मिक और शुभ कार्यों के लिए इसे अनुकूल माना जाता है. शंख की ध्वनि शुभता के शुरुआत का भी प्रतीक है.

शंख बजाने के लाभ

शंख बजाने के धार्मिक लाभ से साथ ही सेहत संबंधी भी कई लाभ हैं. इससे तनाव कम होता है, गले और फेफड़े के रोग बढ़ने की संभावना कम होती है. शंख बजाने के दौरान चेहरे की मांसपेशियां खिचतीं हैं जोकि झुर्रियों को कम करती है. साथ ही शंख बजाने से वातावरण भी शुद्ध होता है. अगर सही तरीके से शंखनाद किया जाए तो इसके अनेकों को लाभ हैं.

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