Mahakumbh 2025: महाकुंभ में संगम स्नान की विधि क्या है, मौनी अमावस्या पर कुंभ जाने वाले करें पालन

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Mahakumbh 2025: प्रयागराज महाकुंभ 2025 का शुभारंभ हो चुका है. हिंदू संस्कृति में 144 वर्ष बाद बने यह सुखद संयोग करीब 45 दिन तक चलता रहेगा. संगम वह तीन नदियों का मिलन है जहां गंगा, यमुना और सरस्वती नदियां मिलती है. हिंदू धर्म में यह अत्यंत पवित्र स्थल माना जाता है और कुंभ के समय संगम में स्नान करने का महत्व भी और अधिक बढ़ जाता है क्योंकि इससे व्यक्ति के जीवन के सारे पाप धुल जाते हैं और आत्मा को भी शांति प्राप्त होती है.

संगम में डुबकी लगाने की विधि क्या है

सबसे पहले व्यक्ति को मन, वाणी और शरीर को पवित्र करने का संकल्प लेना चाहिए.
उसके बाद श्रद्धालुओं को संगम की पवित्र नदियां गंगा, यमुना और सरस्वती का ध्यान करते हुए पवित्र जल में प्रवेश करना चाहिए.
डुबकी लगाने के पीछे न केवल धार्मिक मान्यताएं है, बल्कि यह व्यक्ति को उसके पापों से मुक्ति और परिवार की समृद्धि में मदद करती है.

संगम में कितनी तरह की डुबकी लगाई जाती है? मान्यता अनुसार संगम में तीन तरह की डुबकी लगाई जाती है. इनके पीछे की आस्था क्या है, जानते हैं-

पहली डुबकी- संगम में पहली डुबकी व्यक्ति अपने लिए लगाता है. जो व्यक्ति की आत्मा को शुद्ध करने और जीवन के पापों से मुक्ति दिलाने में मदद करती है.
दूसरी डुबकी- यह डुबकी व्यक्ति अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए लगाई जाती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, पितरों का उद्धार और उन्हें स्वर्गलोक में स्थान दिलाने के लिए संगम स्नान करना अत्यंत प्रभावी है, इससे व्यक्ति को पितृ ऋण से भी मुक्ति मिलती है.
तीसरी डुबकी– व्यक्ति तीसरी डुबकी अपने परिवार के कल्याण और स्वास्थ्य के लिए लगाता है. इस डुबकी से जीवन में कष्टों को दूर करने और परिवार में सुख-शांति बनाए रखने में मदद मिलती है. इसके अतिरिक्त चौथी डुबकी का भी महत्व है. 
चौथी डुबकी– संगम में चौथी डुबकी व्यक्ति यह संकल्प लेते हुए लगाता है कि वह समाज और देश की भलाई में अपना अहम योगदान देगा.

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