हाई ब्लड प्रेशर के कारण दिमाग की नसें कमजोर हो सकती है. और कई बार ऐसा होता है कि ज्यादा दबाव के कारण दिमाग की नसें तक फट जाती है. यही बाद में दिमाग के अंदर ब्लीडिंग, क्लॉटिंग और स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है. हालांकि, यह ध्यान रखना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है कि हाई बीपी वाले हर व्यक्ति को अक्सर दिमाग की नसें फटने का डर रहता है. हाई बीपी होने पर शरीर में कई तरह के लक्षण भी दिखाई देते हैं जैसे- अचानक, गंभीर सिरदर्द, मतली, उल्टी, दृष्टि में परिवर्तन, भ्रम या सुन्नता.
ज्यादा से ज्यादा कहां तक जाता है हाई ब्लड प्रेशर?
हाई बीपी 130/80 मिलीमीटर पारा (मिमी एचजी) या इससे ज़्यादा होने पर उसे हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप) कहा जाता है.
रक्तचाप को मापने का तरीका और उसकी श्रेणियां इस प्रकार हैं:
नॉर्मल बीपी: 120/80 मिमी एचजी से कम
बढ़ा हुआ बीपी: 120–129 सिस्टॉलिक और 80 से कम डायस्टॉलिक
फर्स्ट स्टेज 1 हाई बीपी: 130–139 सिस्टॉलिक या 80-89 डायस्टॉलिक
सेकेंड स्टेज हाई बीपी: 140 या उससे ज़्यादा सिस्टॉलिक या 90 या उससे ज़्यादा डायस्टॉलिक
हाई बीपी के कारण कई बार ब्रेन हेमरोज हो जाती है. जिससे व्यक्ति के जान जाने का भी खतरा रहता है. ब्रेन हेमरेज को आप एक तरह का स्ट्रोक के रूप में ही देख सकते हैं. ब्रेन हेमरेज में भी ब्रेन के अंदर ब्लीडिंग होने लगती है. हाई बीपी के कारण हाइपरटेंशन का भी खतरा रहता है. जो ब्लड वेसल्स को धीरे-धीरे कमजोर करने लगता है. अगर किसी का बीपी लगातार हाई रहता है ब्लड वेसल्स पर दबाव बढ़ने लगता है.
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95 प्रतिशत ब्रेन हेमरेज के मामले हाई बीपी के कारण होता है. इसलिए हमेशा बीपी चेक करवाते रहना चाहिए. ताकि हद से ज्यादा हाई बीपी शरीर के लिए खतरनाक साबित हो सकती है. जिन लोगों की उम्र 40 साल से ज्यादा होती है वह अपने बीपी का खास ख्याल रखें वरना बीपी के साथ-साथ कोलेस्ट्रॉल और शुगर का लेवल बढ़ जाए तो फिर जोखिम भरा साबित हो सकता है.
हाई बीपी के कारण दिल, मस्तिष्क, किडनी, और आंखों जैसे अंगों को नुकसान पहुंच सकता है. डॉक्टर अक्सर हाई बीपी को साइलेंट किलर की तरह देखते हैं.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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