Budget 2025: भारत सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूती देने के लिए 10 लाख करोड़ रुपये खर्च करने जा रही है. यह राशि नई परियोजनाओं की शुरूआत के लिए अथवा पुरानी परियोजनाओं को विस्तार देने के लिए होंगी. आखिर भारत सरकार इसके लिए इतनी बड़ी धनराशि कहां से लाएगी? इसका जवाब देने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में ही घोषणा की है.
वित्त मंत्री ने बजट भाषण के दौरान कहा कि सरकार इसके लिए सरकारी एसेट का मोनेटाइजेशन करेगी. इसका अर्थ यह है कि सरकार चुनी गई सरकारी संपत्तियों को या तो पूरी तरह से बेचकर पैसा कमाएगी या उनमें अपनी कुछ हिस्सेदारी बेचकर पैसा निकालेगी. संपत्ति को भाड़े पर देकर पैसा जुटाना या किसी सरकारी कंपनी का विनिवेश भी मोनेटाइजेशन के तहत ही आता है. इसके लिए आम तौर पर अपेक्षा से कम फायदा देने वाली या बिल्कुल बेकार पड़ी सरकारी संपत्तियों को चुना जाता है.
दूसरी बार होगी एसेट मोनेटाजेशन की बड़ी पहल
भारत सरकार 2021 के बाद एसेट मोनेटाइजेशन की यह दूसरी बड़ी पहल करने जा रही है. 2021 में भी भारत सरकार की ओर से एसेट मोनेटाइजेशन की पहल काफी सफल रही थी. इससे सरकार के खजाने में काफी राशि जमा हो गई थी और बेकार पड़ी सरकारी संपत्तियों का सही तरीके से उपयोग किया गया था. इनसे लगभग छह लाख करोड़ की आमदनी भारत सरकार को हुई थी. उससे इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं और कल्याणकारी योजनाओं के लिए अच्छी खासी राशि भारत सरकार के खजाने में आ गई थी.
पांच साल तक चलेगा एसेट मोनेटाइजेशन
भारत सरकार ने एसेट मोनेटाइजेशन के लिए 2025-2030 तक पांच साल की अवधि तय की है. इस प्रक्रिया में अगर कोई कानून या रेगुलेशन बाधा बनते हैं तो एसेट मोनेटाइजेशन के लिए सरकार इनमें भी सुधार करेगी. सबसे पहले चरण में मोनेटाइजेशन के लिए एसेट को पहचानने का क्रम चलेगा. फिर इनकी सूची तैयार कर मोनटाइजेशन के लिए नीलामी या दूसरी प्रक्रियाओं का सहारा लेगी.
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