Premanand Ji Maharaj Vachan: प्रेमानंद जी महाराज एक महान संत और विचारक हैं जो जीवन का सच्चा अर्थ समझाते और बताते हैं. प्रेमानंद जी के अनमोल विचार जीवन को सुधारने और संतुलन बनाएं रखने में मार्गदर्शन करते हैं.
प्रेमानंद जी माहाराज का मानना है कि अगर आप संत की पहचान करना चाहते हैं तो सच्चा संत वो हैं जो संसार का चिंतन छोड़कर, संसार का संघ छोड़कर एक मात्र भगवान के चिंतन में रहे उसे सच्चा संत कह सकते हैं. जिसका अखंड भागवत चिंतन होता है वही सच्चा संत है. संत के लिए तीन रेखाएं रखी गई है.
इन रेखाओं के नाम हैं कंचन, कामिनी और कीर्ति. कंचन का अर्थ है रुपया, पैसा में प्रीति होना, कामिनी का अर्थ काम भाव में प्रीति होना,देह भाव की परम पुष्टता का स्वरुप है इसका मान, प्रतिष्ठा, यश, कीर्ति इन तीनों को जो मिटा दे वही संत है.
जो काम में विजयी है ,जिसमें धन के लिए लोभ ना हो, जिसके लिए पैसा कुड़े के समान है. पत्थर का टुकड़ा, मिट्टी का टुकड़ा, सोने का टुकड़ा उसके लिए सब बराबर हो, जो मान, अपमान, सुख-दुख, मान हानि सब में सामान भाव रखता है. भागवत चिंतन उसके लिए सब कुछ है. जो सबके लिए करुणा भाव रखता है, जो किसी से अपेक्षा नहीं रखता हो, जो सहनशील हो, जो निर्वैर है. जिसका एक भी शत्रु ना हो. वो भगवत कृपा पात्र संत है.
प्रेमानंद जी संतों के बारे में बात करते हुए बताते हैं कि अगर संतों का दिन भर भी कोई गुणगान करें तो भी कम होगा. भगवान के चिंतन में हर मिनट व्यतीत हो यही संतों का सहज स्वभाव है. जैसे हमारा सहज स्वभाव है चिंतन वैसे संतों का सहज स्वभाव है भागवत चिंतन. इच्छा त्यागी को ही भागवत प्राप्ति हो सकती है. संत अपनी सभी इच्छाओं का त्याग कर देते हैं. जिसको जगत से कोई आशा ना रह जाए वही संत है और उन्ही को भागत प्राप्ति हो सकती है.
Premanand Ji Maharaj: आत्मज्ञान की प्राप्ति कैसे हो, जानें प्रेमानंद जी महाराज से उनके अनमोल वचन
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