ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों की एक टीम ने एक नया ब्लड टेस्ट विकसित किया है, जो प्रेगनेंसी के शुरुआती स्टेज में ही संभावित स्वास्थ्य समस्याओं का पता लगाने में सक्षम है. सिन्हुआ न्यूज एजेंसी के अनुसार, क्वींसलैंड विश्वविद्यालय (यूक्यू) के शोधकर्ताओं ने गुरुवार को प्रकाशित अपने रिसर्च में बताया कि उनका “नैनोफ्लावर सेंसर” न्यूबोर्न बेबी के अस्पताल में भर्ती होने की संभावना को कम कर सकता है.
किस काम आता है ये टेस्ट
यह टेस्ट प्रेग्नेंट महिला के ब्लड में बायोमार्कर्स की जांच करता है. यह प्रेगनेंसी में डायबिटीज, समय से पहले जन्म का खतरा और हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्याओं का पता 11 सप्ताह की प्रेग्नेंसी में ही लगा सकता है. यूक्यू के क्लिनिकल रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिक कार्लोस सालोमोन गैल्लो ने बताया कि उनकी टीम ने इस सेंसर को 201 प्रेग्रेंट महिलाओं के ब्लड सैंपल पर आजमाया और उनमें संभावित समस्याओं का सफलतापूर्वक पता लगाया.
गैल्लो ने कहा, “अभी ज्यादातर प्रेगनेंसी संबंधी समस्याओं का पता दूसरी या तीसरी तिमाही में चलता है, जिससे समय पर इलाज कर पाना मुश्किल हो जाता है. लेकिन इस नई तकनीक की मदद से प्रेग्रेंट महिलाएं पहले ही डॉक्टर से सलाह ले सकती हैं. हमने पाया कि हमारा बायोसेंसर 90 प्रतिशत से ज्यादा सटीकता के साथ समस्याओं की पहचान कर सकता है.”
इन समस्याओं में भी मिल सकती है मदद
उन्होंने यह भी बताया कि यह तकनीक एनआईसीयू में भर्ती होने वाले बच्चों की संख्या कम कर सकती है और आपातकालीन सिजेरियन जैसी प्रेगनेंसी से जुड़ी समस्याओं को रोकने में मदद कर सकती है. इससे स्वास्थ्य व्यवस्था को हर साल करोड़ों डॉलर की बचत हो सकती है.
इस शोध में शामिल ऑस्ट्रेलियन इंस्टीट्यूट फॉर बायोइंजीनियरिंग एंड नैनो टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिक मुस्तफा कमाल मसूद ने बताया कि यह तकनीक नैनोसेंसर का यूज करके ऐसे संकेतकों की पहचान करती है, जो मौजूदा टेस्ट में पकड़ में नहीं आते.
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