Hearing Loss : आज 3 मार्च को वर्ल्ड हियरिंग डे (World Hearing Day) मनाया जा रहा है. इसका मकसद लोगों को बहरेपन से बचाना है. एडवांस टेक्नोलॉजी, स्मार्टफ़ोन, हेडफोन-ईयरफोन, हाई पावर म्यूजि़क सिस्टम के बढ़ते इस्तेमाल की वजह से युवा तेजी से बहरेपन का शिकार बन रहे हैं. दो साल पहले आई WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार, 12 से 35 साल की उम्र के करीब 4.3 करोड़ किशोर और युवा कम सुनाई देने की समस्या से जूझ रहे हैं.
ऐसा ही चलता रहा तो साल 2050 तक 4 में से एक व्यक्ति की सुनने की क्षमता कमजोर हो सकती है. तेज शोर के कारण बहरेपन (Deafness) का कोई इलाज नहीं है. इसका एकमात्र तरीका बचाव ही है. ऐसे में चलिए जानते हैं आसपास मौजूद कौन-कौन सी चीजें बहरा बना सकती हैं, हियरिंग लॉस से बचने के 5 सबसे आसान तरीके क्या हैं…
बहरेपन का कारण
1. लंबे समय तक तेज आवाज में इयरफोन या इयरबड्स लगाकर सुनना.
2. ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution) हमारी सुनने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है. ट्रैफिक की शोरगुल, फैक्ट्रियों की आवाजें, हाई वॉल्यूम म्यूजिक या अन्य चीजें
3. बहुत ज्यादा हाई वॉल्यूम पर म्यूजिक सुनना
4. फोन और कंप्यूटर का साउंड भी आवाज सुनने की क्षमता पर असर डाल सकता है.
5. शोरगुल वाला माहौल
6. उम्र बढ़ने के साथ-साथ हमारी सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है. यह एक नेचुरल प्रक्रिया है, जिसमें हमारी सुनने की क्षमता धीरे-धीरे कम होती जाती है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
आकाश हेल्थकेयर के ENT सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर अभिनीत शर्मा ने बताया कि युवाओं में लंबे समय तक या तो मनोरंजन या पढ़ाई के लिए हेडफोन का इस्तेमाल हियरिंग लॉस का बड़ा कारण बन रहा है. इसके अलावा हााई इंटेंसिटी साउंड जैसे शादी में बजने वाला डीजे. इसके साथ ही डॉक्टर ने बताया कि जो हाई डायबिटिक या हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित हैं, ऐसे लोगों में भी कान के नसें कमजोर होने का रिस्क ज्यादा होता है.
हियरिंग लॉस से बचने के लिए पांच आसान तरीके
1. ईयरफोन-इयरबड्स का कम इस्तेमाल
डॉक्टर्स का कहना है कि इयरफोन या इयरबड्स से निकली ध्वनि की तरंगें हमारे कानों तक पहुंचती हैं, जिससे कान के परदे में कंपन होने लगता है. यह कंपन कान के कॉक्लिया तक पहुंचती है, जो कान के आंतरिक भाग में होती है. इसकी सुनने में अहम भूमिका होती है. इससे हियरिंग सेल्स को नुकसान पहुंचता है. ऐसे में ईयरफोन-इयरबड्स का इस्तेमाल कम करें और इसका साउंड कम ही रखें.
2. शोरगुल से बचें
ट्रैफिक का शोर, अलार्म घड़ी, वॉशिंग मशीन, सामान्य बातचीत सभी 60-80 डेसीबल में आते हैं. 85 डेसिबल से कम आवाज अगर कम से कम 8 घंटे तक सुनते हैं तो सुरक्षइत होता है. बाइक या ट्रक की आवाज, एक दूरी पर रखा म्यूजिक सिस्टम 95-100 डेसीबल के दायरे में होते हैं. इनसे बचकर ही रहें.
3. मोबाइल फोन पर ज्यादा बात न करें
मोबाइल फोन पर बात करने या गाने सुनने के लिए 60-60 के नियम का पालन करना चाहिए. दिन में 60 मिनट यानी 1 घंटे से ज्यादा कान पर लगाकर मोबाइल फोन से बात न करें. इसकी अधिकतम तीव्रता 60% से कम ही रखें.
4. खानपान का सही ख्याल रखें
खानपान में मैग्नीशियम, पोटैशियम, जिंक और ओमेगा 3 फैटी एसिड को शामिल करें. मैग्नीशियम फ्री रेडिकल्स व तेज शोर से होने वाले नुकसान से नर्वस सिस्टम और कान की संवेदी कोशिकाओं को बचाने में मदद करता है. पोटैशियम सुनने में मददगार कान के आंतरिक भाग में मौजूद द्रव्य को संतुलित रखने का काम करता है. ज़िंक शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाकर कान में इंफेक्शन और सीटी की आवाज बढ़ने से रोकता है. वहीं, ओमेगा-3 फैटी एसिड उम्र से जुड़े बहरेपन को कम करने में हेल्दी फैट के तौर पर काम करता है.
5. धूम्रपान से बचें
बहरनेपन का कारण धूम्रपान भी हो सकता है. यह परिसंचरण तंत्र (Circulatory System) के जरिए सुनने की क्षमता प्रभावित करता है. इसके अलावा कान में रुई न डालें. सफ़ाई करने या खुजली होने पर ईयरबड, चाबी या अन्य कोई चीज कान में डालने से बचें.
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