Premanand Ji Maharaj: जीवन का अंतिम और परम सत्य क्या है?, जानें प्रेमानंद जी महाराज से इसका सही जवाब

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Premanand Ji Maharaj Vachan: प्रेमानंद जी महाराज एक महान संत और विचारक हैं जो जीवन का सच्चा अर्थ समझाते और बताते हैं. प्रेमानंद जी के अनमोल विचार जीवन को सुधारने और संतुलन बनाएं रखने में मार्गदर्शन करते हैं.

भगवान, ही मनुष्य और जीवन का सत्य. प्रेमानंद जी महाराज का मानना है कि हमारे अंदर चराचर जगत के अंदर वही परम सत्य विराजमान है उसको जान लेना  भगवान को जान लेना और उनको पा लेना ही सबसे बड़ा परम सत्य है.

भगवान को जानने के बाद कुछ जानना बाकि नहीं रहता, भगवान को पा लेने के बाद कुछ पाना बाकि नहीं रहता, वही भगवान हैं. सबका अंतिम, मध्य और प्रारंभ भगवान हैं. प्रारंभ सत्य से हैं, अंत सत्य से है, मध्य में भी सत्य ही है. केवल हम पहचान नहीं पा रहे हैं. वही सब रुपों में विराजमान है.

जड़ चेतन जग जीव जत सकल राममय जानि। बंदउँ सब के पद कमल सदा जोरि जुग पानि॥ उसी राम स्वरुप को, कृष्ण स्वरुप को, हरि स्वरुप को प्राप्त कर लेना मनुष्य जीवन का परम लक्ष्य है. चाहे जिता भी पढ़ लो, जितना भी पैसा कमा लो मजब हम मरेंगे तो सब शून्य है. फिर अगले जन्म में शुरू से शुरूआत करनी होगी, फिर पढ़ना होगा, पैसा कमाना होगा, न पद रहेगा, न बल रहेगा, ना मान-सम्मान इसीलिए सबसे ऊपर परमात्मा है. अगर आपने एक बार भगवान का भजन किया है तो वह आपका सत्य है. वो बुरे काम में आपका साथ देगा. मन को समय दें, और भगवान में लगाने की कोशिश करें.

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