Ramadan 2025 Day 10: रमजान का दसवां रोजा है रहमत का शामियाना और बरकत का आशियाना

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Ramadan 2025 Day 10: रमजान इस्लाम धर्म का सबसे पवित्र महीना है, जिसमें दुनियाभर के मुसलमान रोजा यानी उपवास रखते हैं. लेकिन उपवास केवल इस्लाम तक ही सीमित नहीं है बल्कि विभिन्न धर्म में पूजा-पाठ और उपवास का अपना महत्व होता है. हिंदू, जैन, सिख, इसाई सभी धर्म में उपवास की परंपरा है.

समानता की भावना को दर्शाता रोजा

इसी तरह इस्लाम में रमजान के महीने में उपवास रखना सार्वभौमिक परंपरा को दर्शाता है जो आत्मसंयम, भक्ति और आत्म शुद्धि का माध्यम है. लेकिन रोजा केवल आत्मसंयम नहीं सिखाता बल्कि समाज में समानता की भावना को भी दर्शाता करता है. यह ऐसा समय होता है जिसमें करोड़ों का मालिक और उसी घर पर काम करने वाला नौकर दोनों ही भूखे रहकर अल्लाह की इबादत करते हैं.

दसवें रोजे के साथ पहला अशरा समाप्त

रमजान महीने का सिलसिला अब दसवें रोजे तक पहुंच चुका है. आज मंगलवार 11 मार्च को रोजेदारों ने दसवां रोजा रखा है. इसी के साथ रमजान के पहले अशरे की समाप्ति भी हो जाएगी. दरअसल रमजान की पूरे महीने में 29 से 30 दोनों का रोजा रखा जाता है जिन्हें तीन अशरों में विभाजित किया गया है. 10-10 दिनों में बंटे ये तीन अशते होते हैं जिसमें पहला अशरा ‘रहमत’ का होता है जिसकी समाप्ति आज दसवें रोज के साथ हो जाएगी. इसके बाद ‘मगफिरत’ यानी मोक्ष का अशरा शुरू होगा.

10वां रोजा है रहमत का शामियाना और बरकत का आशियाना

रमजान का दसवां रोजा अल्लाह की रहमत की रवानी और मेहरबानी के मील के पत्थर की मानिन्द है. तिर्मिजी-शरीफ में मोहम्मद हदीस सल्ल ने फर्माया है- ‘लोगो! तुम अल्लाह से फजल तलब किया करो. अल्लाह सवाल करने वालों को बहुत पसंद करता है.’ अल्लाह से दुआ करना दरअसल इबादत का मगज़ है. इसले कहा जाता है कि रोजा रहमत का शामियाना और बरकत का आशियाना है.

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