Papmochani Ekadashi 2025: आज पापमोचिनी एकादशी का मुहूर्त, कथा, पूजा विधि सब यहां देखें

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Papmochani Ekadashi 2025: पापमोचनी एकादशी का अर्थ है पाप को नष्ट करने वाली एकादशी. इस दिन भगवान विष्णु की पूरी विधि-विधान से पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति घोर पापों के दोष से मुक्ति पा लेता है. पापमोचिनी एकादशी 25 मार्च 2025 को है. पापमोचिनी एकादशी की पूजा विधि, कथा और मुहूर्त.

पापमोचिनी एकादशी पूजा मुहूर्त

चैत्र कृष्ण एकादशी तिथि शुरू – 25 मार्च 2025 सुबह 5 बजकर 5
चैत्र कृष्ण एकादशी तिथि समाप्त –  26 मार्च को सुबह 3 बजकर 45
विष्णु जी की पूजा का मुहूर्त –  सुबह 9.22 से दोपहर 1.57
व्रत पारण – 26 मार्च 2025 को दोपहर 1.39 से शाम 4.06 तक

पापमोचिनी एकादशी पूजा विधि

पापमोचनी एकादशी के दिन सूर्योदय में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि कर लें. इसके बाद व्रत का संकल्प लें. फिर पूजा आरंभ करें.
फिर भगवान विष्णु को जल, पीला फूल, माला, पीला चंदन, अक्षत आदि चढ़ाएं.
इसके बाद केला सहित अन्य भोग लगाएं और भोग में तुलसी जरूर चढ़ाएं क्योंकि तुलसी भगवान विष्णु को अति प्रिय है.
इसके बाद घी का दीपक और धूप जला लें. फिर मंत्र के साथ एकादशी व्रत कथा पढ़ लें. कथा जरूर पढ़ें क्योंकि कथा के बिना व्रत अधूरा माना जाता है.
व्रत के अगले दिन यानी द्वादशी के दिन पुन: पूजा करने के साथ ब्राह्मणों को दान देने के बाद पारण मुहूर्त पर व्रत तोड़े.

पापमोचिनी एकादशी व्रत कथा

पाप मोचनी एकादशी व्रत कथा पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में चैत्ररथ सुंदर वन में च्यवन ऋषि के पुत्र मेधावी तपस्या में लीन थे. एक दिन एक अप्सरा मंजुघोषा वहां से गुजरी. अप्सरा मेधावी को देख मोहित हो गई. अप्सरा ने मेधावी को आकर्षित करने के जतन किए, किंतु उसे सफलता नहीं मिली. अप्सरा उदास होकर बैठ गई. तभी वहां से कामदेव गुजरे. कामदेव अप्सरा की मंशा को समझ गए और उसकी मदद की. जिस कारण मेधावी मंजुघोषा के प्रति आकर्षित हो गए.

अप्सरा को पिशाचिनी होने का श्राप मिला अप्सरा के इस प्रयास से मेधावी भगवान शिव की तपस्या को भूल गए. कई वर्ष बीत जाने के बाद जब मेधावी को अपनी भूल याद आई तो उन्होने मंजुघोषा को पिशाचिनी होने का श्राप दे दिया. मेधावी को भी अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने इस कृत्य के लिए माफी मांगी. अप्सरा की विनती पर मेधावी ने पापमोचनी एकादशी का व्रत के महत्व के बारे में बताया और कहा कि इस व्रत को विधि पूर्वक पूर्ण करो. सभी पाप दूर होंगे.

अप्सरा ने कहे अनुसार चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पापमोचनी एकादशी का व्रत रखा. विधि पूर्वक व्रत का पारण किया. ऐसा करने से उसके पाप दूर हो गए और उसे पिशाच योनी से मुक्ति मिल गई. इसके बाद अप्सरा वापिस स्वर्ग लौट गई हो गई. दूसरी तरफ मेधावी ने भी पापमोचनी एकादशी का व्रत किया. इस व्रत के प्रभाव से मेधावी भी पाप मुक्त हो गए.

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