कैल्शियम-विटामिन डी3 समेत 49 दवाएं क्वालिटी टेस्ट में फेल, CDSCO की लिस्ट में पैरासिटामोल फिर शामिल

केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने दवाओं की क्वालिटी को लेकर सितंबर की रिपोर्ट जारी कर दी है. इसमें कैल्शियम, विटामिन डी3 समेत कफ सिरप, मल्टीविटामिन और एंटी एलर्जी दवाएं शामिल हैं, जो क्वालिटी टेस्ट में फेल हो गई हैं. गौर करने वाली बात यह है कि इनमें वे दवाएं भी शामिल हैं, जिन्हें डॉक्टर्स आमतौर पर मरीजों को देते हैं. वहीं, पैरासिटामोल लगातार दूसरे महीने में क्वालिटी टेस्ट पास नहीं कर पाई है. 

इन दवाओं के सैंपल हुए फेल

सीडीएससीओ की लिस्ट में ओमेरिन डी कैप्सूल, निमेसुलाइड+पैरासिटामोल, कैल्शियम 500, विटामिन डी 3, पैंटोप्रेज़ोल, पैरासिटामोल पेडियाट्रिक ओरल सस्पेंशन, एसिक्लोफेनाक, सेट्रीजीन सिरप आदि दवाएं शामिल हैं. इन दवाओं का इस्तेमाल लोग आमतौर पर गैस्ट्रिक, बुखार, खांसी और दर्द के लिए करते हैं. इस लिस्ट में कुल 49 दवाइयां ऐसी हैं, जो गुणवत्ता जांच में फेल हुई हैं. केंद्रीय दवा मानक निरंतरण संगठन हर महीने बाजार से दवाओं के सैंपल उठाकर अलग-अलग मानकों पर इसकी जांच करता है. 

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क्या है दवा के फेल होने का मतलब?

DCGI राजीव सिंह रघुवंशी ने बताया कि टेस्टिंग पैरामीटर्स में अगर कोई दवा फेल हो जाती है तो उसे स्टैंडर्ड क्वालिटी का नहीं कहा जाता. इससे यह समझा जाता है कि जिस कंपनी ने यह दवाई बनाई है, उस कंपनी की उस बैच की दवा स्टैंडर्ड के मुताबिक नहीं है. जो भी दवाएं क्वालिटी टेस्ट में फेल हुई हैं, उन दवाओं के सैंपल मार्केट में मौजूद थे. मार्केट से ही उनके सैंपल लेकर टेस्ट किए गए. उन्होंने बताया कि जो भी दवाएं स्टैंडर्ड क्वालिटी के मुताबिक नहीं होती हैं, उनकी कंपनियों को नोटिस जारी किया जाता है. 

बड़ी कंपनियों के नाम की फेक दवाएं भी मिलीं

सीडीएससीओ की रिपोर्ट में चार  ऐसी दवाइयां भी शामिल हैं, जिन्हें किसी बड़ी कंपनी के नाम से दूसरी कंपनी ने बनाकर मार्केट में भेज दिया. इन दवाओं में ड्यूटैस्टराइड/टैमसुलोसिन , कैल्शियम 500, विटामिन डी 3, पैंटोप्राज़ोल और नैंड्रोलोन शामिल हैं. बता दें कि केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन हर महीने बाजार से अलग-अलग दवाइयों के सैंपल टेस्ट करता है, जिसके बाद हर महीने क्वालिटी टेस्ट की रिपोर्ट जारी की जाती है. 

पिछले महीने फेल हुई थीं इतनी दवाएं

अगस्त की रिपोर्ट में पैरासिटामोल समेत 53 दवाएं क्वालिटी टेस्ट में फेल हुई थीं. बता दें कि स्टैंडर्ड क्वालिटी के मुताबिक दवा न होने से काफी लोग खराब दवाइयों को इस्तेमाल कर लेते हैं. डॉ. स्वाति माहेश्वरी का कहना है कि ऐसी दवाओं को बनाने वाली कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. दरअसल, लगातार खराब क्वालिटी की दवा खाने से सेहत पर बुरा असर पड़ता है. इससे मरीजों की परेशानी बढ़ सकती है.

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