Mohandas Pai: सरकार से खफा हो गए इंफोसिस के पूर्व सीएफओ मोहनदास पई, बोले- हमारी जिंदगी दयनीय बना दी 

Infosys: इंफोसिस के पूर्व सीएफओ मोहनदास पई (Mohandas Pai) कर्नाटक सरकार पर भड़क गए हैं. मोहनदास पई ने कहा है कि बेंगलुरु में हमारी जिंदगी और दयनीय बन चुकी है. उनका गुस्सा इतना ज्यादा था कि उन्होंने सीधे कर्नाटक सरकार के एक मंत्री पर कठिन सवाल दाग दिए. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने लोगों के लिए कुछ भी नहीं किया है. बेंगलुरु का इंफ्रास्ट्रक्चर दिन ब दिन और खराब होता जा रहा है. मोहनदास पई के इस रुख से राज्य सरकार पर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं.

स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडु राव से भिड़ गए मोहनदास पई

दरअसल, राज्य सरकार के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडु राव (Dinesh Gundu Rao) ने प्रदेश के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (Siddaramaiah) की तारीफ करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा था कि वह केंद्र सरकार से पर्याप्त पैसा न मिलने के बावजूद जनता के हित में काम कर रहे हैं. दिनेश गुंडु राव ने लिखा कि कर्नाटक से केंद्र सरकार को बहुत टैक्स जा रहा है. इसके बाद जीएसटी में उन्हें सही हिस्सा नहीं दिया जा रहा. फिर भी हमारा प्रदेश आर्थिक रूप से बेहतरीन प्रदर्शन कर रहा है. हमने जनता के हित के लिए कई स्कीम शुरू की हैं.  

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बोले- 18 महीनों में सरकार ने बेंगलुरु के लिए क्या किया

इस पोस्ट के जवाब में मोहनदास पई ने लिखा कि आप बहुत अच्छी बात कर रहे हैं. लेकिन, क्या आप बता सकते हैं कि आपने पिछले 18 महीने में बेंगलुरु के लिए क्या किया. राज्य में भ्रष्टाचार बढ़ा है और हमारी जिंदगी दयनीय होती जा रही है. स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडु राव ने इसका जवाब देते हुए लिखा कि आपको केंद्र सरकार से जीएसटी में राज्य का हक दिलाने का प्रयास करना चाहिए. आप हमारे साथ मिलकर इस लड़ाई को लड़ें. उन्हें केंद्र सरकार के खिलाफ भी गुस्सा दिखाना चाहिए. कर्नाटक और बेंगलुरु का विकास पर्याप्त फंड मिलने के बाद ही हो सकेगा.  

पहले भी राज्य सरकार के खिलाफ जता चुके हैं नाराजगी 

मोहनदास पई इससे पहले भी कर्नाटक सरकार के खिलाफ सार्वजनिक गुस्सा जाहिर कर चुके हैं. वह बेंगलुरु की कई समस्याओं को लगातार उठाते रहते हैं. अपनी पिछली पोस्ट में उन्होंने कहा था कि सड़क, नाली और ट्रैफिक मैनेजमेंट में समस्याओं को लेकर लोगों में भारी गुस्सा है. मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री समेत पूरी सरकार को शहर एवं नौकरियों को बचाने के लिए कोशिश करनी चाहिए. पिछले 20 साल में हमने ऐसी सरकार नहीं देखी. हमारी सरकार अपने नागरिकों का सही से ख्याल नहीं रख रही है.

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