UPSC Success Story: बचपन में बीमारी ने छीन ली थी आंखों की रोशनी, फिर ऐसे लगाया UPSC पर निशाना

UPSC Success Story: अपने कहावत सुनी होगी ‘कोई भी लक्ष्य इंसान के संघर्ष से बड़ा नहीं ! हारा वही जो लड़ा नहीं.’ यह कहावत हर उस शख्स की कहानी बयां करती है. जिसने जिंदगी की तमाम मुश्किलों को पीछे छोड़कर अपने लिए एक नया भविष्य तैयार किया. जिसने सभी बाधाओं को पार करके सफलता की वह सीढ़ियां चढ़ीं. जो आज सभी के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है. अपने देश भर में तमाम इस तरह के लोगों के बारे में सुना होगा. जिनकी माली हालत बचपन में बेहद खराब थी.

और अपने संघर्ष से अपनी मेहनत से उन लोगों ने अपने जीवन में बेहद बड़ा मुकाम पाया. बॉलीवुड में कुछ अरसे पहले 12th फेल फिल्म आई थी जिसमें मनोज शर्मा की कहानी दिखाई गई थी. उन्होंने किस तरह संघर्ष करके यूपीएससी की परीक्षा पास की. आज हम भी आपको ऐसी ही एक यूपीएससी सक्सेस स्टोरी के बारे में बताने जा रहे हैं. यह स्टोरी अपने आप में बेहद खास है. क्योंकि इस कहानी की नायिका अब तक की कहानियों से सबसे अलग है. 

आंखों में रोशनी नहीं फिर भी पास की यूपीएससी परीक्षा

अक्सर लोगों के पास किसी काम को न करने के कई बहाने होते हैं. लेकिन अगर इंसान किसी काम को करने की ठान ले. तो फिर वह उसे कर के ही रहता है. आज हम ऐसे ही इंसान की कहानी आपको बताने जा रहे हैं. यह कहानी है बेनो जेफीन  (Beno Zephine)  की जो भारत की पहली नेत्रहीन आईएफएस ऑफिसर हैं. साल 2015 में बेनो जेफीन ने इंडियन फॉरेन सर्विस यानी भारतीय विदेश सेवा ज्वाइन की थी.

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चेन्नई की रहने वालीं बेनो जेफीन ने जब यूपीएससी परीक्षा पास की थी. तब उनकी उम्र महज 25 साल थी. जब उन्होंने सिविल सर्विसेज का एग्जाम पास किया था. तब तक वह इंग्लिश लिटरेचर में डॉक्टरेट कर चुकीं थीं और भारतीय स्टेट बैंक में एक प्रोबेशनरी ऑफिसर के पद पर काम कर रही थी. बता दें बेनो जेफीन अपने जन्म से ही नहीं देख सकती थी. 

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सॉफ्टवेयर के सहारे की पढ़ाई

बेनो जेफीन का जन्म तमिलनाडु के चेन्नई में हुआ था उनके पिता एक रेलवे कर्मचारी और मां हाउसवाइफ हैं. बेनो जेफीन जन्म से ही नेत्रहीन होने के बावजूद भी पढ़ाई में काफी तेज थीं. शुरुआत में ब्रेल लिपि के साथ पढ़ने के बाद उन्होंने अपनी पढ़ाई के लिए जॉब एक्सेस विद स्पीच (JAWS) सॉफ्टवेयर का यूज किया. इस सॉफ्टवेयर के सहारे जो लोग देख नहीं पाते वह पढ़ाई कर सकते हैं. बेनो जेफीन को पढ़ाने में उनके माता-पिता और दोस्तों का भी काफी योगदान रहा.

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सभी लोग घंटों तक उनके लिए रीडिंग किया करते थे. और यही वजह है कि वह अपने माता-पिता को ही अपनी सफलता का पूरा श्रेय देती हैं. साल 2013 में बेनो जेफीन ने यूपीएससी प्रीलिम्स और मेंस एग्जाम पास किया. इसके बाद जून 2014 में उन्होंने यूपीएससी क्लियर कर लिया था. उन्होंने 348वीं रैंक हासिल की थी. जिसके साथ ही वह साल 2015 में भारतीय विदेश सेवा में शामिल होने वाली पहली नेत्रहीन महिला बनी थीं. 

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