Hanuman Ji: हनुमान जी के परम भक्त थे ये मुस्लिम शासक, किसी ने मंदिर बनाया तो किसी ने की भंडारे की परंपरा

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Hanuman Ji: पवनपुत्र हनुमान के कई भक्त हैं. हनुमान जी के भक्तों की सूची में मुस्लिम भक्त भी शामिल हैं. हनुमान जी अपने सभी भक्तों पर दया दिखाकर उन्हें संकट से मुक्त करते हैं, क्योंकि हनुमान जी केवल देवता ही नहीं बल्कि योद्धा भी है. ज्ञान, बल और पराक्रम के साथ दया भाव रखना ही उन्हें महान बनाता है. कई पौराणिक कथा-कहानियों में उल्लेख मिलता है कि कलयुग में संकटों को पार करने के लिए हनुमान जी आज भी मनुष्य की सहायता करते हैं. जो भक्त हनुमान जी का श्रद्धा भाव के साथ स्मरण करता है, उनके सब दुख दूर हो जाते हैं.

देशभर में हनुमान जी के कई मंदिर हैं. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि कुछ ऐसे प्रसिद्ध हनुमान मंदिर हैं जिन्हें मुस्लिम भक्तों ने बनवाया था. हनुमान जी ने इन मुस्लिम भक्तों पर आई विपदा और संकट से निकालने के लिए अपनी कृपा बरसाई थी. देश का प्रसिद्ध अयोध्या का हनुमान गढ़ी मंदिर और लखनऊ का अलीगंज हनुमान मंदिर मुस्लिम भक्तों ने बनवाया गया था. इन मंदिरों के निर्माण के पीछे दिलचस्प कहानी भी जुड़ी है.

रामनगरी अयोध्या में स्थित हनुमान गढ़ी मंदिर का निर्माण करीब 300 साल पहले हुआ था. वहीं लखनऊ के अलीगंज में महावीर मंदिर का निर्माण 6 जून 1783 को किया गया था. इन दोनों मंदिरों का निर्माण मुस्लिम शासकों द्वारा कराया गया था. हनुमान जी ने इनपर अपनी ऐसी कृपा बरसाई ये भगवान हनुमान के परम भक्त बन गए.

हनुमान गढ़ी मंदिर, अयोध्या

भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या में हनुमानगढ़ी मंदिर स्थित है. अयोध्या की सरयू नदी के दाहिने तट पर ऊंचे टीले पर स्थित हनुमान मंदिर के दर्शन के बिना श्रीराम की पूजा अधूरी मानी जाती है. यह मंदिर देश के प्रसिद्ध मंदिरों में एक है, जिसका निर्माण मुस्लिम राजा ने कराया था. इतिहासकारों के अनुसार लगभग 300 साल पहले यहां के सुल्तान मंसूर अली थे. एक रात उनके इकलौते बेटे की तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो गई. तबियत ऐसी खराब हो गई जान बचना मुश्किल लग रहा था. तब उनके दरबार में किसी ने सुल्तान अली मंसूर को हनुमान की अराधना करने की सलाह दी. बेटे की प्राण रक्षा के लिए सुल्तान ने श्रद्धा से मन में हनुमान जी को याद किया.

हनुमान जी की कृपा से उनके बेटे की सांसें सामान्य होने लगी और वह ठीक हो गया. इस घटना के बाद से हनुमान जी के प्रति सुल्तान की श्रद्धा बढ़ गई. सुल्तान ने अपनी 52 बीघा जमीन मंदिर और इमली वन के नाम कर दी. बाद में संत अभयारामदास के सहयोग और निर्देशन पर यहां हनुमान मंदिर का निर्माण हुआ, जिसे हनुमान गढ़ी के नाम से जाना जाता है.

अलीगंज हनुमान मंदिर, लखनऊ

कुछ इसी प्रकार लखनऊ के अलीगंज में भी हनुमान मंदिर का निर्माण हुआ. करीब 200 साल पहले पूर्व अवध के नवाब मुहम्मद अली शाह और उनके बेगम रबिया को संतान नहीं हो रही थी. काफी मन्नतों के बाद भी उन्हें औलाद नहीं हुआ. तब राबिया को किसी ने हिंदू संत के पास जाने की सलाह दी. औलाद न होने के कारण बेगम इतनी दुखी हो चुकी थी कि वह संत के पास चली गई. संत ने उन्हें सच्चे मन से हनुमान जी की अराधना करने को कहा.

बेगम में हनुमान जी अराधना करनी शुरू कर दी. सपने में उसे हनुमान जी के दर्शन हुए. स्वप्न में हनुमान जी ने बेगम से कहा कि, इस्लामीबाड़ा टीले के नीचे दबी मूर्ति को निकालकर मंदिर निर्माण कराने को कहा. जब टीले की खुदाई हुई तो वहां सच में हनुमान जी की प्रतिमा निकली. हनुमान जी के आदेश के अनुसार बेगम ने मंदिर का जीर्णोधार कराया. इसके बाद मुहम्मद अली शाह और बेगम राबिया को औलाद सुख मिल गया.

भगवान हनुमान में नवाबों की आस्था

लखनऊ के अलीगंज में महावीर मंदिर का निर्माण 6 जून 1783 को किया गया था. इस मंदिर से न सिर्फ हिंदू बल्कि मुस्लिमों की आस्था भी जुड़ी है. मंदिर पुराना हो जाने के कारण यहां भक्तों का पहुंचना संभव नहीं था. तब नवाब सआदत अली खान की मां आलिया ने हनुमान मंदिर का निर्माण कराया. कहा जाता है कि, आलिया को कोई संतान नहीं थी. लेकिन हनुमान मंदिर में पूजा करने के बाद मंगलवार के दिन नवाब सआदत अली खान का जन्म हुआ. मन्नत पूरी होने के बाद आलिया ने मंदिर के ऊपर चांद-तारा भी लगवाया, जोकि आज भी है. ज्येष्ठ माह के बड़ा मंगल पर नवाब वाजिद अली शाह ने प्राचीन हनुमान मंदिर में लगने वाले मेले में बह्मभोज का आयोजन किया. उनकी बेगम की ओर से बंदरों को चना खिलाया जाता है. इस तरह से बड़ा मंगल पर भंडारे की परंपरा की शुरुआत हुई.

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