Corporate Tax: चीन के प्रति अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सख्त रवैये का फायदा उठाते हुए भारत सरकार अपने यहां विकास को बढ़ावा देना चाहती है. देश में नए निवेश को आकर्षित करने के लिए सरकार फिसकल इंसेन्टिव देने पर विचार कर रही है. इसमें 15 परसेंट तक रियायती कॉर्पोरेट कर योजना का दूसरा संस्करण भी शामिल है.
इस विषय की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर हिंदुस्तान टाइम्स से बात करते हुए कहा, ”सरकार कराधान कानून (संशोधन) अध्यादेश, 2019 के संशोधित संस्करण को लॉन्च करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है, जिसमें नए निवेश को आकर्षित करने के साथ जॉब क्रिएट करना चाहती है, जिससे इकोनॉमिक ग्रोथ को बढ़ावा मिलेगा. इसी वजह से कारपोरेट टैक्स में कमी की जा सकती है.”
बजट में हो सकता है इसका जिक्र
एक अन्य अधिकारी ने कहा, इस पर काम जारी है, लेकिन हो सकता है कि 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट में इसका जिक्र हो. उन्होंने आगे कहा, ”टैक्स इंसेन्टिव के पीछे दो बड़ी वजहें हैं. एक अमेरिका के चीन विरोधी रुख के कारण भारत, इंडोनेशिया और वियतनाम जैसे देशों में नए निवेश आ सकते हैं और दूसरी वजह है कि देश में विकास की गति बनाए रखने के लिए नए निवेश की जरूरत है. चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में देश की जीडीपी में कमी देखी गई. मैन्युफैक्चरिंग को एक सेक्टर के रूप में देखते हुए राजकोषीय प्रोत्साहन की सख्त जरूरत है.” बता दें कि भारत की जीडीपी वृद्धि दर 2024-25 की दूसरी तिमाही में गिरकर 5.4 परसेंट पर आ गई, जो सात तिमाहियों में सबसे कम है.
2019 में किया गया था शुरू
बता दें कि भारत को ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के लिए इस स्कीम को सितंबर, 2019 में लागू किया था. इसके जरिए सरकार दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले टैक्स पर बेहतर ऑफर देकर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में इनवेस्टमेंट को बढ़ाना चाहती है.
इसके तहत 1 अक्टूबर, 2019 को या इसके बाद रजिस्टर्ड घरेलू कंपनियों पर सेस और सरचार्ज के साथ 15 परसेंट टैक्स का रेट तय किया गया था. का प्रावधान था. हालांकि, शर्त ये थी कि कंपनियों को 31 मार्च, 2023 तक उत्पादन शुरू करना होगा. कोरोना महामारी की वजह से इस स्कीम को 1 फरवरी, 2023 में पेश हुए बजट में 31 मार्च, 2024 तक बढ़ा दिया गया था.
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