न कोचिंग न ट्यूशन दूसरी बार में क्रेक किया BPSC, ऐसे पैदा हुई थी अधिकारी बनने की चाहत

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बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) जैसी परीक्षा बिना कोचिंग के क्रैक की जा सकती है? तो ज्यादातर लोगों का उत्तर होगा न. पर पलामू जिले के मेदिनीनगर निवासी योगेंद्र प्रसाद की 26 साल की बिटिया रिया वर्मा ने यह कर दिखाया. जी हां उन्होंने BPSC की 69वीं परीक्षा में 107 वीं रैंक प्राप्त की है. 107वीं रैंक जनरल कैटेगरी में, जबकि OBC में उनकी रैंक 22 वीं है.

सेल्फ स्टडी से क्रैक की    
रिया की शुरुआती पढ़ाई पलामू जिले में हुई. सीबीएसई से उन्होंने इंटर पास किया. स्नातक कॉमर्स स्ट्रीम से किया. इसके बाद पटना रहकर बिहार प्रशासनिक सेवा के लिए तैयारी शुरू की. पिछले वर्ष कुछ अंक से चूकने के बाद भी रिया ने अपने हौसले बुलंद रखे. दरअसल पहले अटेम्प्ट में वह चार नंबर से पीछे रह गई थीं. इस बार उन्होंने शानदार सफलता प्राप्त की.

रिया ने इस परीक्षा को बिना कोचिंग के सेल्फ स्टडी के आधार पर दिया. उन्होंने प्री की तैयारी 6 से 12 तक की एनसीईआरटी की किताबों को पढ़ कर की. मेंस की तैयारी के लिए उन्होंने अपनी राइटिंग स्किल मजबूत की. रोजाना करीब छह से आठ घंटे राइटिंग की तैयारी की. उन्होंने 2013 से 2023 तक के बीपीएससी के एग्जाम के नोट्स तैयार किये. जिसके साथ वह रोजाना सेल्फ स्टडी करती थी. राइटिंग के लिए वह टाइमर सेट करके पढ़ाई करती थी.

जरूरी है मॉक इंटरव्यू
एक साक्षात्कार में रिया ने कहा जब आप मेंस क्लियर कर लेते हैं, तो इंटरव्यू के लिए मॉक इंटरव्यू सबसे जरूरी है, क्योंकि मॉक इंटरव्यू देने से आपको पता चलता है कि इंटरव्यू में आपसे क्या पूछा जा सकता है, जिससे आपके अंदर का संकोच भी खत्म होता है. आप बोल्डली इंटरव्यू दे सकते है. इस पूरी तैयारी और सफलता के दौरान उन्हें जब भी कोई कन्फ्यूजन होता था तो वह सोशल मीडिया की मदद लेती थीं.

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सोशल मीडिया का बड़ा रोल
रिया कहती हैं सेल्फ स्टडी करने का एक फायदा यह कि खुद से अपनी तैयारी की जाती है तो कॉन्फिडेंस बढ़ जाता है और पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है. उन्हें लगता है कि ट्यूशन में जाकर तैयारी करना एक बाउंडेशन और टाइम वेस्ट है, जबकि सेल्फ स्टडी में आप पूरी तरह अपनी पढ़ाई पर फोकस करते हैं. इसमें आप यूट्यूब की भी सहायता ले सकते हैं. क्योंकि यहां एक से बढ़कर एक सक्सेस टिप्स और मैटेरियल मिलता है.

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डीएम को देख पैदा हुई अधिकारी बनने की चाहत
रिया के परिवार में दो लोग मीडिया से जुड़े हुए हैं. उनके चाचा और भाई. अक्सर वह डीएम व प्रशासनिक व अन्य अधिकारियों को करीब से देखतीं थी. अधिकारियों की जीवन शैली ने उन्हें प्रेरित किया. उसी प्रेरणा से उन्होंने सफलता हासिल की.

प्रेरण की स्रोत बनी गांव के लिए
रिया इलाके की लड़कियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई हैं. कविता लेखन, वाचन और चित्रकला का शौक रखने वाली रिया को खेलों में भी रुचि है. बैडमिंटन उनका पसंदीदा गेम है. वह कहती हैं कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से हर लक्ष्य हासिल किया जा सकता है.

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