IPO News: खपत में सुधार और आर्थिक विकास में तेजी के चलते 2025 में आईपीओ मार्केट में बनी रहेगी रौनक

IPO Watch: खपत में तेजी और देश के आर्थिक विकास की रफ्तार में तेजी के चलते मौजूदा साल आईपीओ मार्केट के लिए बेहद व्यस्त रह सकता है. भारत का आईपीओ मार्केट 2025 में बेहद शानदार रहने वाला है क्योंकि इस साल दिग्गज कंपनियां अपना आईपीओ लेकर बाजार में दस्तक देने की तैयारी में हैं जो निवेशकों को निवेश का शानदार अवसर प्रदान करने वाली हैं. स्मॉलकेस मैनेजर निवेशाय इंवेस्टमेंट एडवाइजर्स (Niveshaay Investment Advisors) के रिपोर्ट के मुताबिक 2 वर्षों में अलग-अलग सेक्टर्स से जुड़े 1000 के करीब आईपीओ बाजार में दस्तक देने की तैयारी में है. 

रिलायंस जियो का आईपीओ

निवेशाय इंवेस्टमेंट एडवाइजर्स के मुताबिक जो प्रमुख कंपनियां आने वाले दिनों में बाजार में दस्तक देने की तैयारी में हैं उनमें टेलीकॉम दिग्गज रिलायंस जियो शामिल है जो करीब 8 लाख करोड़ के वैल्यूएशन पर बाजार से पैसा जुटा सकती है. 

एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स का आईपीओ 

दक्षिण कोरियाई कंपनी एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया का आईपीओ भी इस साल आने वाला है जो बाजार से 15000 करोड़ रुपये जुटाने की तैयारी में है. कंपनी का आईपीओ पूरी तरह ऑफर फॉर सेल रहेगा. यानी कंपनी के प्रमोटर्स अपनी हिस्सेदारी बेचेंगे. 

एथर एनर्जी – जेप्टो का आईपीओ 

इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनी एथर एनर्जी (Ather Energy) भी बाजार में दस्तक देने की तैयारी में है. कंपनी आईपीओ के जरिए 4500 करोड़ रुपये जुटाएगी. शेयर बाजार में पहले से ओला इलेक्ट्रिक लिस्टेड स्टॉक है. क्विक कॉमर्स जेप्टो भी बाजार में दस्तक देने की तैयारी में है. कंपनी आईपीओ के जरिए 1 बिलियन डॉलर जुटा सकती है.  JSW Cement का आईपीओ भी इस साल बाजार में दस्तक देगा. कंपनी 4000 करोड़ रुपये आईपीओ से जुटाएगी. इसके अलावा एनएसडीएल भी ऑफर फॉर सेल के जरिए 3000 करोड़ रुपये आईपीओ में जुटाएगी. 

टारगेटेड पोर्टफोलियो तैयार करना है मकसद 

साफ है आने वाले आईपीओ दूरसंचार, ईवी, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स और बुनियादी ढांचे सहित कई क्षेत्रों को कवर करती हैं, जो भारत के फाइनेंशियल लैंडस्केप में विकास के अवसरों को प्रदर्शित करती हैं. स्मॉलकेस मैनेजर और Niveshaay के फाउंडर अरविंद कोठारी, निवेशाय में हम सभी आईपीओ का पीछा नहीं करते हैं जो मार्केट में आता है. कई निवेशक इसमें भ्रमित हो जाते हैं. ज्यादा ओवरसब्सक्राइब आईपीओ ऊंची कीमत पर लिस्ट होती है. पिछले एक दशक के स्टडी से पता लगा है कि 70 फीसदी भारतीय आईपीओ पहले अंडर-प्राइस्ड होती है जो छोटी अवधि में पॉजिटिव रिटर्न देती है. लेकिन लंबी अवधि तक ये रिटर्न बना नहीं रहता है. उन्होंने कहा, हमारा मकसद अच्छे आईपीओ की पहचान करना है और टारगेटेड पोर्टफोलियो तैयार करना है जिससे उनके ग्रोथ संभावनाओं को भूनाया जा सके.

डिस्क्लेमर: (यहां मुहैया जानकारी सिर्फ़ सूचना हेतु दी जा रही है. यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें. ABPLive.com की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है.)

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सरकार के थिंकटैंक नीति आयोग के सदस्य ने कहा, महंगाई के हिसाब से नहीं बढ़ रहा कर्मचारियों का वेतन

Salary Hike Update: नीति आयोग के सदस्य अरविंद विरमानी ने कहा है कि देश में रोजगार तो बढ़ रहा है, लेकिन नियमित नौकरियों के मामले में सात साल में महंगाई के हिसाब से वेतन नहीं बढ़ा है. उन्होंने कहा कि नौकरी और स्किल डेवलपमेंट एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, आप में हुनर है तो उससे नौकरी मिलना आसान हो जाता है. उन्होंने कहा, वैश्विक जनसंख्या के मामले में हमारे पास अवसर है, उसका लाभ उठाने की जरूरत है और इसके लिए शिक्षण और प्रशिक्षण की गुणवत्ता में सुधार महत्वपूर्ण है. 

अरविंद विरमानी ने पीटीआई-भाषा को दिये साक्षात्कार में कहा, पीएलएफएस आंकड़ों के मुताबिक, पिछले सात साल में कामगार-जनसंख्या अनुपात साफ तौर पर बढ़ रहा है. इसका मतलब है कि नौकरियों की संख्या जनसंख्या वृद्धि के मुकाबले अधिक बढ़ रही हैं.  इसमें उतार-चढ़ाव भी है लेकिन जो रुख है, वह बताता है कि नौकरियां बढ़ रही है. ऐसे में यह कहना गलत है कि नौकरियां नहीं बढ़ रही हैं. पीएलएफएस की सालाना रिपोर्ट 2023-24 (जुलाई-जून) के अनुसार, कामगार-जनसंख्या अनुपात सभी उम्र के व्यक्तियों के मामले में 2023-24 में बढ़कर 43.7 प्रतिशत हो गया, जो 2017-18 में 34.7 प्रतिशत था. 

उन्होंने कहा, ‘‘अगर पीएलएफएस में पारिश्रमिक के आंकड़ों को देखें, जो कैजुअल वर्कर (ठेके पर काम करने वाले) हैं, उनका वास्तविक वेतन सात साल के दौरान बढ़ा है और इस दौरान उनकी स्थिति सुधरी है. आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं.’’ विरमानी ने कहा, ‘‘लेकिन एक बड़ा मुद्दा नियमित वेतन वाली नौकरियां के मामले में है. इस श्रेणी में सात साल में वास्तविक पारिश्रमिक मुद्रास्फीति के हिसाब से नहीं बढ़ा है.’’ उन्होंने कहा, मेरा आकलन है कि महंगाई के हिसाब से पारिश्रमिक नहीं बढ़ने का मुख्य कारण है कौशल की कमी है. 

नीति आयोग के सदस्य के अनुसार, यह इसलिए महत्वपूर्ण है कि कौशल जब बढ़ता है, उत्पादकता बढ़ती है, और वास्तविक वेतन बढ़ता है. यह भारत में भी होता है और दुनिया में भी होता है.  हम यह सोचते हैं कि हम जो काम कर रहे हैं, वहीं करते रहें और वेतन बढ़ेगा, यह ठीक नहीं है. ऐसे में कौशल विकास बहुत जरूरी है. और जो काम कर रहे हैं केवल उनके लिए ही नहीं बल्कि जो नये लोग आ रहे हैं, उनमें भी कौशल विकास की जरूरत है. उन्होंने कहा, ‘‘नौकरी और कौशल एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. आप में हुनर है तो उससे नौकरी मिलना आसान हो जाता है.  

एक अन्य सवाल के जवाब में विरमानी ने कहा, ‘‘विकसित भारत के लिए हर जगह सुधार की जरूरत है. हमें अवसर देखने चाहिए और उसका उपयोग करना चाहिए. ग्लोबल डेमोग्राफिक (वैश्विक जनसंख्या) के स्तर पर जो हमारे पास अवसर हैं, उनका लाभ उठाने की जरूरत है. 

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हजारों फीट ऊपर डेड बॉडी के बगल में बैठकर सफर… सदमे में ऑस्ट्रेलियाई दंपत्ति, Qatar Airways ने दी सफाई

Qatar Airways: जरा सोचिए ! आप फ्लाइट में लंबा सफर कर रहे हैं और अचानक आपके बगल वाली सीट पर किसी पैसेंजर की मौत हो जाती है. अब आप अपना सफर उस डेड बॉडी के साथ बैठकर करने के लिए मजबूर हैं. कुछ ऐसा ही हुआ ऑस्ट्रेलियाई कपल मिशेल रिंग और जेनिफर कॉलिन के साथ, जो वेनिस अपना वेकेशन मनाने जा रहे थे. 

डेड बॉडी के बगल में बैठकर किया सफर

कतर एयरवेज से सफर कर रहे इस कपल के होश तब उड़ गए, जब फ्लाइट में एक महिला पैसेंजर की तबीयत बिगड़ने के बाद मौत हो गई और करीब 14-15 घंटे का यह सफर उन्होंने इस डेड बॉडी के बगल में बैठकर पूरा किया. इस पर कपल ने कहा कि इस डरा देने वाली घटना के बाद केबिन क्रू ने उन्हें अपना सीट बदलने नहीं दिया और एक ही जगह बैठे रहने के लिए कहा. दोनों ने कहा, चार लोगों के लिए बैठने की पंक्ति में दो सीटें खाली थीं. इस दौरान केबिन क्रू ने उन्हें शिफ्ट होने के लिए कहा ताकि वे खाली सीट पर डेड बॉडी को रख सके. 

कंबल में लिपटी डेड बॉडी के बगल में घंटों

रिंग ने बताया कि उन्होंने कंबल से ढके महिला की डेड बॉडी के पास बैठकर चार घंटे बिताए. दोनों ने कहा कि अपने पैसेंजर का ख्याल रखने की इनकी जिम्मेदारी बनती है. हालांकि, कतर एयरवेज ने डेड बॉडी को पैसेंजर की बगल वाली सीट में बैठाने के अपने क्रू मेंबर्स के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि उनके केबिन क्रू ने जल्दबाजी में सही व प्रोफेश्नल तरीके से काम किया है. कतर एयरवेज ने यह भी कहा कि यह एक दुर्भाग्यपूर्ण वास्तविकता है कि फ्लाइट में कई बार ऐसी मौतें हो जाती हैं. इनसे निपटने की ट्रेनिंग क्रू मेंबर्स को दी जाती है. 

एयरलाइन देगी मुआवजा

एयरलाइन ने यह भी कहा कि फ्लाइट की लैंडिंग दोहा में होने तक एक क्रू मेंबर्स इनके बीच बैठा रहा. कतर एयरवेज ने कहा, हम मृतक के परिवार के साथ-साथ अन्य यात्रियों के भी संपर्क में हैं, जो इस घटना से प्रभावित हुए हैं. कंपनी ने इमोश्नल सपोर्ट के साथ इन्हें मुआवजा देने की भी पेशकश की है.   

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India Medical Tourism: अब बांग्लादेश से कम आ रहे मरीज, भारत के मेडिकल वैल्यू टूरिज्म में आई भारी गिरावट

India Medical Tourism: तनावपूर्ण रिश्ते और वीजा प्रतिबंध के चलते भारत में बांग्लादेश से आने वाले मरीजों की संख्या में गिरावट आई है. पर्यटन मंत्रालय की एक नई डेटा के अनुसार, , नवंबर 2024 में भारत का मेडिकल वैल्यू टूरिज्म (MVT) में साल-दर-साल (YoY) 43 परसेंट और दिसंबर 2024 में 59 परसेंट की कमी आई है, जो पिछले साल के अपने सबसे निचले मासिक स्तर 30,800 पर पहुंच गई है. 

MVT सुधरने में लगेगा वक्त 

बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, BNP परिबास सिक्योरिटीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के एनालिस्ट तौसिफ शेख ने कहा, हमने जितना सोचा था उतनी ही गिरावट आई है. उन्होंने अपने फर्म के पल्स फ्रॉम द ग्राउंड: अनपैकिंग द बांग्लादेश क्राइसिस रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा, नौ महीने के बाद बांग्लादेश और भारत के बीच ट्रेन सेवा शुरू होना एक पॉजिटिव संकेत है, लेकिन MVT में पूरी तरह से सुधार होने में अभी वक्त लगेगा. तौसिफ ने वित्त वर्ष 25 की चौथी तिमाही में भी इसी तरह का रुझान जारी रहने का अनुमान लगाया है. 

नए वीजा के लिए एप्लीकेशन भी सीमित

तौसिफ शेख ने आगे कहा, स्थिति चुनौतीपूर्ण बनी हुई है क्योंकि भारत ने बांग्लादेश के लिए वीजा ऑपरेशन कम कर दिया है और फ्लीट ऑपरेटर्स ने सीमित क्षमता के साथ काम करना जारी रखा है. वर्तमान समय में ट्रैवल कर रहे कई मरीजों ने संकट गहराने से पहले ही वीजा के लिए अप्लाई कर दिया था और उन्हें वीजा मिल भी गया, लेकिन नए एप्लीकेशन सीमित हैं.

इन अस्पतालों पर सबसे ज्यादा असर

MVT में गिरावट का असर उन अस्पतालों पर ज्यादा पड़ा है, जो अंतर्राष्ट्रीय मरीजों पर ज्यादा निर्भर हैं, खासकर कोलकाता और पूर्वोत्तर राज्यों में. BNP Paribas द्वारा कवर किए जाने वाले हॉस्पिटल चेन में अपोलो हॉस्पिटल्स (एपीएचएस) पर अधिक प्रभाव पड़ने की संभावना है, जबकि एस्टर डीएम हेल्थकेयर (एएसटीईआरडीएम) और फोर्टिस हेल्थकेयर (एफओआरएच) पर कम प्रभाव पड़ने की संभावना है. 2022 में ICRIER  की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के मेडिकल टूरिस्ट में 69 परसेंट बांग्लादेश से आए हुए थे. भारत के MVT में बांग्लादेश का 70 परसेंट योगदान है. 

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तुहिन कांत पांडेय ने संभाल लिया नए सेबी चीफ का कार्यभार, अब क्या शेयर बाजार में थमेगी गिरावट!

SEBI News: शेयर बाजार के रेगुलेटर सेबी के नए चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने पारदर्शिता और ‘टीम-वर्क’ पर ध्यान केंद्रित करने का वादा किया है. तुहिन कांत पांडेय ने शनिवार को सेबी के 11वें चेयरमैन के रूप में कार्यभार संभालने पर ये बातें कही. अब तक वित्त सचिव के रूप में कार्य कर रहे पांडेय ने सेबी को एक ऐसा ‘मजबूत बाजार संस्थान’ बताया, जिसे वर्षों से विभिन्न दिग्गजों ने आकार दिया है. 

तुहिन कांत पांडेय ने सेबी में अपने कार्यकाल के एजेंडे के बार में कुछ भी कहने से इंकार कर दिया. साथ ही पूर्व सेबी चीफ माधबी पुरी बुच के विवादों से भरे कार्यकाल पर कुछ कहने से बचते नजर आए. बुच पर उनके कार्यकाल के अंतिम कुछ महीनों में अनियमितताओं के कई आरोप लगे थे. बुच पांडेय के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में सेबी मुख्यालय पहुंचने पर मौजूद नहीं थीं. बताया जाता है कि वह अस्वस्थ हैं और उन्हें कोविड संक्रमण है. 

केंद्र सरकार ने गुरुवार 27 फऱवरी को तुहिन कांत पांडेय को सेबी का चेयरमैन नियुक्त करने का फैसला किया था. नए सेबी प्रमुख ने कहा, सेबी एक बहुत मजबूत बाजार संस्था है. इसे वर्षों से लगातार अग्रणी लोगों के साथ बनाया गया है और यह प्रक्रिया आगे भी जारी रहेगी.  नए चेयरमैन ने अपने उद्देश्यों को रेखांकित करते हुए चार टी- विश्वास (ट्रस्ट), पारदर्शिता (ट्रांसपेरैंसी), टीमवर्क और प्रौद्योगिकी (टेक्नोलॉजी) को अपने मुख्य ध्यान वाले क्षेत्रों के रूप में बताया. 

उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि ये चार तत्व सेबी को विशिष्ट बनाते हैं, और हम दुनिया में सबसे अच्छे बाजार संस्थानों में से एक बनाना जारी रखेंगे.” पिछले कुछ महीनों में सेबी में कुछ गतिविधियां देखने को मिली हैं, जहां इसके कर्मचारियों के एक बड़े वर्ग ने प्रबंधन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था. 

तुहिन कांत पांडेय ऐसे समय में सेबी के प्रमुख का पद संभालेंगे जब विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की निकासी के बाद बाजार में मंदी का दबाव देखने को मिल रहा है. जनवरी से अब तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की है. 

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विदेशी निवेशकों की बिकवाली के बीच पीयूष गोयल बोले, FII नहीं, घरेलू निवेशक तय करेंगे भारत का भविष्य

Stock Market: केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में कहा कि भारत का भविष्य विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) नहीं, बल्कि घरेलू निवेशक तय करेंगे. उन्होंने इंडस्ट्री से छोटे निवेशकों के हितों की सुरक्षा करने और बाजार में उतार-चढ़ाव को कम करने का आग्रह किया है. 

पीयूष गोयल ने कहा कि म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का एसेट अंडर मैनेजमेंट करीब 70 लाख करोड़ रुपये हैं और जल्द ही 100 लाख करोड़ रुपये हो जाएंगी, जो बाजार पर हावी होगी. एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एएमएफआई) समिट 2025 में अपने संबोधन के दौरान गोयल ने कहा कि म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री ने वित्तीय साक्षरता को प्रोत्साहित किया है और उद्योग और निवेशकों तक नए वित्तीय विचारों को पहुंचाकर भारत की विकास गाथा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

केंद्रीय मंत्री ने कोविड के बाद एफआईआई द्वारा पैदा की गई कमी को पूरा करने के लिए घरेलू निवेशकों की सराहना की है. पीयूष गोयल ने कहा, “घरेलू निवेशकों के साथ-साथ एसआईपी जैसे निवेश के तरीकों ने बाजार को सहारा दिया है. उन्होंने देश के हर हिस्से में वित्तीय जागरूकता और वित्तीय उत्पादों को फैलाने में मदद की है. बड़े पैमाने पर फंड का प्रवाह और निवेशकों के बीच आकर्षक शेयरों को खोने का डर राइटसाइजिंग के दौरान निवेशकों के बीच संकट लेकर आया. 

गोयल ने कहा कि बाजार की एकतरफा राह पर चलने की कभी न खत्म होने वाली क्षमता के बारे में बहुत सारी गलत सूचनाएं जारी हुई हैं. उन्होंने शेयर बाजार की अनिश्चितता को इंडस्ट्री और उसके छोटे निवेशकों के लिए एक वेक-अप कॉल बताया. उन्होंने जोर देकर कहा कि एएमएफआई को भी गुमराह निवेशकों को बाकी लोगों से अलग कर अपने कर्तव्यों के प्रति सचेत होना चाहिए. हाल की उथल-पुथल के दौरान भी हिम्मत वाली कंपनियों ने शेयर बाजार में उचित मूल्य बनाए रखा है. 

गोयल ने कहा, “बाजार के प्रति इंडस्ट्री के कर्तव्य और जिम्मेदारियां निवेशकों को अल्पावधि में मिलने वाले लाभदायक रिटर्न से कहीं अधिक हैं. ” उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी खर्च और निजी पूंजीगत व्यय में वापसी के संकेत मिल रहे हैं.  म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की अपने निवेशकों के प्रति जिम्मेदारियों के बारे में विस्तार से बताते हुए मंत्री ने प्रतिभागियों से निवेशकों को जोखिम लेने से सावधान करने में अधिक सतर्क रहने का आग्रह किया. 

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4 मार्च को होगी बैठक, इराक ने कुर्दिस्तान कॉन्ट्रैक्ट पर बात करने के लिए तेल कंपनियों को किया आमंत्रित

Kurdistan contracts: इराक के तेल मंत्रालय की तरफ से कुर्दिस्तान पेट्रोलियम इंडस्ट्री एसोसिएशन (APIKUR) के तहत संचालित वैश्विक विदेशी कंपनियों के साथ-साथ कुर्दिस्तान क्षेत्रीय सरकार (KRG) के अनुबंधित फर्मों को 4 मार्च को बगदाद में होने वाली एक बैठक के लिए आमंत्रित किया है. 

बैठक में इन मुद्दों पर होगी बातचीत

मंत्रालय की तरफ से शनिवार को कहा गया, इस वार्ता का मकसद पहले से मौजूद कॉन्ट्रैक्ट्स से संबंधित मुद्दों पर विचार करना और कई ऐसे समझौते करना है, जिससे राष्ट्रीय हितों की रक्षा करते हुए अर्न्तराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप ऑयल इंडस्ट्री का विकास हो. इस चर्चा में कुर्दिस्तान क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय के भी भाग लेने की उम्मीद है. बता दें कि यह बैठक बगदाद और एरबिल के बीच तेल परिचालन को सुचारू बनाने के लिए चल रहे प्रयासों के बीच हो रहा है. 

ऑयल एक्सपोर्ट की बढ़ाई जाएगी मात्रा

इराक के अर्ध-स्वायत्त क्षेत्र कुर्दिस्तान में कार्यरत आठ अंतर्राष्ट्रीय तेल कंपनियों ने कहा कि वे तुर्की के सेहान के जरिए ऑयल एक्सपोर्ट नहीं करने वाले हैं, जबकि बगदाद की तरफ से जल्द ही एक्सपोर्ट शुरू होने का ऐलान किया गया था. सरकार ने शुक्रवार को कहा कि जल्द ही निर्यात फिर से शुरू करने का ऐलान किया जाएगा. स्टेट ऑयल मार्केटर SOMO के जरिए पहले 185,000 बैरल प्रतिदिन (बीपीडी) के हिसाब से एक्सपोर्ट किया जाएगा और धीरे-धीरे इसकी मात्रा बढ़ाई जाएगी. अकेले इस रीजन का 60 परसेंट ऑयल प्रोडक्शन करने वाले कुर्दिस्तान पेट्रोलियम इंडस्ट्री एसोसिएशन (APIKUR) ने कहा कि पिछले और आने वाले समय में एक्सपोर्ट के लिए कमर्शियल एग्रीमेंट या पेमेंट की गारंटी पर स्पष्टता के लिए कोई फॉर्मल कान्ट्रैक्ट नहीं किया गया. 

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रिजर्व बैंक ने 2000 रुपये के नोट को लेकर दिया बड़ा अपडेट, अब भी लोगों के पास है इतने करोड़ के ऐसे नोट

Reserve Bank of India: भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि प्रचलन में रहे 2,000 रुपये के 98.18 परसेंट नोट बैंकिंग सिस्टम में वापस आ गए हैं. अब केवल 6,471 करोड़ रुपये के ऐसे नोट जनता के पास है. शनिवार को जारी एक स्टेटमेंट में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 2,000 रुपये के नोटों की स्थिति के बारे में जानकारी दी.  RBI ने 19 मई, 2023 को 2000 रुपये के बैंक नोट को प्रचलन से वापस लेने की घोषणा की थी. उस वक्त प्रचलन में इन नोटों का कुल मूल्य 3.56 लाख करोड़ रुपये था. 28 फरवरी, 2025 तक यह आंकड़ा तेजी से घटकर 6,471 करोड़ रुपये रह गया है. 

2000 रुपये के नोट जमा कराने की प्रक्रिया

7 अक्टूबर, 2023 तक आप बैंक के ब्रांच में जाकर 2,000 रुपये के नोट बदल सकते थे या जमा कर सकते थे, लेकिन अब जिनके भी पास यह नोट है वे रिजर्व बैंक के 19-निर्गम कार्यालयों में जमा कर सकते हैं. आरबीआई के निर्गम कार्यालय 9 अक्टूबर, 2023 से व्यक्तियों और संस्थाओं से उनके बैंक खातों में जमा करने के लिए 2000 रुपए के नोट स्वीकार कर रहे हैं. देश की जनता के लिए इस प्रॉसेस को और बनाने के लिए लोग किसी भी डाकघर से भारतीय डाक के माध्यम से भी रिजर्व बैंक के इन कार्यालयों को 2000 रुपये के नोट भेजने की भी सुविधा शुरू की गई है, जिन्हें बाद में उनके खातों में जमा करा दिया जाएगा. 

 

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ATF Price Cut: त्योहारी महीने में सस्ती होगी हवाई यात्रा! तेल कंपनियों ने घटाये हवाई ईंधन के दाम

ATF Price Cut: होली और ईद के मौके पर हवाई यात्रा थोड़ी सस्ती हो सकती है. सरकारी तेल कंपनियों ने एयरलाइंस कंपनियों को राहत देते हुए हवाई ईंधन के दामों में कटौती का एलान किया है. घरेलू एयरलाइंस के लिए एयर टर्बाइन फ्यूल यानी एटीएफ के दामों में 222 रुपये प्रति किलो लीटर की कटौती कर दी गई है. एटीएफ के दामों में कटौती के बाद घरेलू हवाई यात्रा सस्ता हो सकता है. 

सरकारी तेल कंपनियों ने हवाई ईंधन के दामों की समीक्षा करते हुए एटीएफ की कीमतों में कटौती करने का फैसला किया है. एक मार्च 2025 से घरेलू एयरलाइंस कंपनियों के लिए हवाई ईंधन कीमतों में करीब 1.50 फीसदी की कटौती कर दी गई है. राजधानी दिल्ली में एटीएफ के दाम 222 रुपये प्रति किलोलीटर की कटौती के बाद अब 95311.72 रुपये प्रति किलोलीटर हो गई है जो पिछले महीने 95533.72 रुपये प्रति किलोलीटर थी. कोलकाता में घरेलू एयरलाइंस को अपने उड़ानों में एटीएफ भरवाने पर 97588 रुपये प्रति किलोलीटर का भुगतान करना होगा. मुंबई में नई कीमत एटीएफ की घटकर 89070 रुपये हो गई है जो पहले 85,318.90 रुपये थी जबकि चेन्नई में नई कीमत 98,567.90 रुपये हो गई है. 

हवाई ईंधन के दामों में कटौती का असर फौरन देखने को मिलेगा. हवाई टिकट बुक करने पर आपसे घरेलू एयरलाइंस कंपनियां फ्यूल सरचार्ज वसूलती हैं. एटीएफ के दामों में कटौती के बाद फ्यूल सरचार्ज में कटौती हो सकती है. एयरलाइंस के ऑपरेशंस के कुल लागत में करीब 40 फीसदी हिस्सा एटीएफ की कीमतों का होता है और इसके घटने या बढ़ने से  एयरलाइंस की लागत भी प्रभावित होती है. 

एक तरफ हवाई यात्रा सस्ते हवाई ईंधन के चलते सस्ती हो सकती है दूसरी ओर दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (IGIA) से उड़ान भरना और लैंडिंग आने वाले दिनों में महंगा हो सकता है. जीएमआर समूह की अगुवाई वाली दिल्ली एयरपोर्ट के ऑपरेटर डायल  (DIAL) ने इकनॉमी और बिजनेस क्लास के यात्रियों और व्यस्त एवं गैर-व्यस्त समय के लिए अलग-अलग User Fees लगाने का प्रस्ताव रखा है. 

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Akash Ambani: आकाश अंबानी बोले, मेरे लिए काम के घंटे नहीं, काम की गुणवत्ता रखता है मायने

Akash Ambani Update: हफ्ते में 70 और 90 घंटे काम करने के वाद-विवाद के बीच रिलायंस जियो इन्फोकॉम के चेयरमैन आकाश अंबानी का बड़ा बयान सामने आया है. आकाश अंबानी ने कहा कि उनके लिए किसी दफ्तर में बिताए गए कामकाजी घंटों से ज्यादा काम की गुणवत्ता मायने रखती है. देश के सबसे अमीर उद्योगपति रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी के बेटे आकाश अंबानी ने कहा कि काम और परिवार दोनों ही उनके जीवन की सबसे बड़ी प्राथमिकताएं हैं और किसी व्यक्ति के लिए जीवन में अपनी प्राथमिकताओं को जानना बहुत महत्वपूर्ण है. 

आकाश अंबानी का ये बयान सप्ताह में कार्यस्थल पर बिताए जाने वाले घंटों की संख्या को लेकर जारी बहस के बीच आई है. आकाश अंबानी ने यहां ‘मुंबई टेक वीक’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘मैं इसके बारे में (काम पर बिताए जाने वाले समय के बारे में) समय और घंटों की मात्रा के लिहाज से नहीं सोचता. यह आपके हर दिन किए जाने वाले काम की गुणवत्ता के बारे में है.’

भारतीय कंपनी जगत के अधिकारियों ने हाल के दिनों में कामकाजी घंटों को लेकर अलग-अलग राय जताई है. किसी ने हफ्ते में 90 घंटे तक काम करने और परिवार की जगह काम को प्राथमिकता देने की वकालत की तो किसी ने उन घंटों से मिलने वाले परिणामों के पक्ष में बात की है. वहीं एक तबका प्रति सप्ताह 50 घंटे से कम काम करने के पक्ष में है. दरअसल ये विवाद तब शुरू हुआ जब इंफोसिस प्रमुख नारायणमूर्ति ने कहा भारतीयों को कड़ी मेहनत करनी होगी. देश को इस तरह से आगे ले जाने के लिए हमें हफ्ते में 70 घंटे काम करने ही होंगे. 

अंबानी ने कहा कि उनकी कंपनी ने कृत्रिम मेधा (एआई) के मोर्चे पर मार्गदर्शन के लिए 1,000 से अधिक डेटा वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और इंजीनियरों की एक टीम बनाई है.

उन्होंने कहा कि कंपनी जामनगर में एक गीगावाट क्षमता का डेटा सेंटर भी बना रही है, जो देश की एआई यात्रा में मदद करेगा. इसके अलावा कंपनी व्यापक परिवेश के लाभ के लिए ग्राफिक प्रसंस्करण इकाई (जीपीयू) की पेशकश पर भी विचार कर रही है.

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भारत के विदेशी मुद्रा भंडार ने लगाया लॉन्ग जंप, 4.758 अरब डॉलर के साथ इतना भर गया देश का खजाना

India Forex Reserve: भारतीय शेयर मार्केट का हाल भले ही बेहाल है. रुपये में गिरावट भी चिंता का विषय है, लेकिन इन सबके बीच राहत की बात यह है कि देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गजब का उछाल आया है. भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 21 फरवरी को समाप्त हफ्ते में 4.758 अरब डॉलर बढ़कर 640.479 अरब डॉलर हो गया. भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी. 

पिछले हफ्ते आई थी गिरावट

पिछले हफ्ते कुल भंडार 2.54 अरब डॉलर घटकर 635.721 अरब डॉलर रह गया था. रुपये में लगातार हो रहे उतार-चढ़ाव को कम करने के लिए रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप के साथ-साथ पुनर्मूल्यांकन के कारण पिछले कई हफ्तों से देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट देखने को मिली है. सितंबर 2024 के अंत में विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर 704.88 अरब डॉलर के ऑल-टाइम हाई पर पहुंच गया था.

रिजर्व बैंक की डेटा के मुताबिक, 21 फरवरी को समाप्त हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार का एक अहम हिस्सा विदेशी मुद्रा आस्तियां 4.251 अरब अमेरिकी डॉलर बढ़कर 543.843 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया. डॉलर के संदर्भ में उल्लेखित विदेशी मुद्रा आस्तियों में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं की घट-बढ़ का प्रभाव शामिल होता है. बता दें कि कमजोर हो रहे रुपये की मजबूती के लिए रिजर्व बैंक कई तरीके अपनाता है. रुपये की वैल्यू बढ़ाने के लिए डॉलर की बिक्री कर सकता है या इसे घटाने के लिए डॉलर खरीद सकता है. 

देश के गोल्ड रिजर्व में भी इजाफा

रिजर्व बैंक ने यह भी जानकारी दी कि सप्ताह के दौरान भारत का गोल्ड रिजर्व भी 426 मिलियन अमेरिकी डॉलर बढ़कर 74.576 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है. विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 73 मिलियन डॉलर बढ़कर 17.971 अरब डॉलर हो गया है. वहीं, आईएमएफ के पास रिजर्व पोजीशन 70 मिलियन डॉलर बढ़कर 4.09 अरब डॉलर हो गया है.

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5 महीने में स्वाहा 92 लाख करोड़ रुपये, 30 साल पुराने रिकॉर्ड के टूटने से घबराए निवेशक

Share Market: भारतीय शेयर मार्केट पिछले पांच महीनों से बहुत बुरे दौर से गुजर रहा है, जिसकी चर्चा पूरी दुनिया में है. ऐसा पहली बार 1996 में हुआ था, जब जुलाई से सितंबर के बीच लगातार पांच महीने तक बाजार में गिरावट देखने को मिली थी. बीते पांच महीनों के दौरान निफ्टी में 12.65 परसेंट और सेंसेक्स में 11.54 परसेंट तक की गिरावट दर्ज की गई है. इस गिरावट के चलते बीएसई का मार्केट कैप भी कम हुआ है और निवेशकों के 92 लाख करोड़ डूब गए हैं.

अक्टूबर से बिगड़ती जा रही शेयर मार्केट की चाल

शेयर बाजार में नुकसान का यह आंकड़ा फरवरी में सबसे ज्यादा 40.80 लाख करोड़ रहा. जहां 31 जनवरी को बीएसई का मार्केट कैप 4,24,02,091.54 लाख करोड़ था, वहीं  28 फरवरी को कारोबार बंद होने तक इसे 3,84,01,411.86 करोड़ का नुकसान हो चुका है. शेयर बाजार में गिरावट का यह दौर अक्टूबर से शुरू हुआ, जब निवेशकों के 29.63 लाख करोड़ डूबे थे. अकेले नवंबर के महीने में निवेशकों को 1.97 लाख करोड़ का फायदा हुआ था. दिसंबर में 4.73 लाख करोड़ का नुकसान हुआ और जनवरी में यह आंकड़ा बढ़कर 17.93 लाख करोड़ हो गया. 

क्या है इस गिरावट की वजह?

शेयर बाजार की गिरावट के पीछे कई वजहें हैं. इसमें विदेशी निवेशकों की बिकवाली सबसे बड़ी वजह है. FPI अक्टूबर से लगातार अब तक 2.13 लाख करोड़ रुपये के शेयर बेच दिए हैं. इसी के साथ-साथ ट्रंप के टैरिफ बढ़ाने के फैसले का भी बाजार पर असर पड़ा है. इसके पीछे एशियाई बाजार में गिरावट को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. जापान का निक्केई इंडेक्स 3 परसेंट दक्षिण कोरिया का कोस्पी इंडेक्स 2.7 परसेंट और हांगकांग का हेंग सेंग 1.5 परसेंट टूट गया है. 

डिस्क्लेमर: (यहां मुहैया जानकारी सिर्फ़ सूचना हेतु दी जा रही है. यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें. ABPLive.com की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है.)

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पहले बिना सोचे-समझे किया लोन के लिए अप्लाई, अब नहीं दी जा रही EMI; NBFC को हुआ 50000 करोड़ रुपये का नुकसान

Microfinance Loan: आज के समय में लोन लेना कोई बड़ी बात नहीं है क्योंकि इसके कई सारे ऑप्शंस हैं. कई बार जब बैंकों से लोन नहीं मिलता, तो लोग NBFC का रूख करते हैं. लोन आसानी से मिल भी जाता है, लेकिन जब लोन चुकाने की बारी आती है तो लोग कई बार डिफॉल्टर हो जाते हैं. नतीजा यह है कि NBFC सेक्टर का NPA आल टाइम हाई पर पहुंच गया है. 

NBFC को 50 हजार करोड़ का नुकसान

दिसंबर 2024 तक के आंकड़ों के मुताबिक, NBFC को करीब 50,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है, जो अब तक दिए गए लोन का 13 परसेंट है. इसके अलावा कई ऐसे लोन भी हैं, जो अब NPA बनने की कगार पर हैं. इनका आंकड़ा बढ़कर 3.2 परसेंट हो गया है. जबकि एक साल पहले यह सिर्फ 1 परसेंट था. यानी कि इससे साफ है कि भारत में कमजोर आय वर्ग वाले लोगों की लोन चुकाने की क्षमता कम हो रही है. 

क्यों ईएमआई नहीं भर पा रहे लोग? 

अब सवाल यह आता है कि लोन डिफॉल्ट में इतनी तेजी क्यों आ रही है? माइक्रोफाइनेंस लोन के लिए अप्लाई करना बेहद आसान है. इसके लिए कम डॉक्यूमेंट्स की जरूरत पड़ती है. इसके चलते लोग आसानी से लोन तो लेते हैं, लेकिन बढ़ती महंगाई के चलते रोजमर्रा की चीजों पर खर्च बढ़ जाने से लोन का पैसा कहीं न कहीं चुकाने से चूक जाते हैं. इसके अलावा, कई लोग ऐसे भी हैं जिनकी कोई स्थिर आय नहीं है ऐसे में ईएमआई भरना इनके लिए काफी मुश्किल साबित हो रहा है. 

क्या होता है नॉन परफॉर्मिंग एसेट?

NPA का मतलब होता है नॉन परफॉर्मिंग एसेट, जिसका मतलब ऐसे लोन से है जो समय पर वापस नहीं किए जाते हैं. अगर किसी लोन का ईएमआई, प्रिंसिपल या इंटरेस्ट का भुगतान ड्यू डेट के 90 दिनों के भीतर नहीं किया जाता है तो उसे एनपीए में डाल दिया जाता है. हमारे देश में माइक्रोफाइनेंस लोन की मदद ऐसे लोग लेते हैं जिनकी आय कम है. इसकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसके लिए गारंटर के तौर पर कुछ रखने की जरूरत नहीं पड़ती है. इसका मकसद इनकम जेनरेट करना है. 

 

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FIIs ने आज बेच दिए 556 करोड़ के शेयर, घरेलू निवेशकों ने जमकर की खरीदारी; कैसा रहा आज भारतीय शेयर बाजार का हाल?

Share Market: शेयर मार्केट में FIIs की बिकवाली लगातार जारी है. आंकड़ों के मुताबिक, 27 फरवरी को विदेशी निवेशकों ने 556 करोड़ रुपये के शेयर बेचे. जबकि घरेलू निवेशकों ने लगभग 1727 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे. 27 फरवरी को ट्रेडिंग सेशन के दौरान घरेलू निवेशकों ने 13,530 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे और 11,803 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जबकि एफआईआई ने 19,055 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे और 19,611 करोड़ रुपये के शेयर बेचे. 

NBFC के शेयरों में देखी गई तेजी

इस साल अब तक विदेशी निवेशकों 1,34,633 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेच दिए हैं, जबकि घरेलू निवेशकों ने 1,39,133 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदे. शेयर मार्केट में गुरुवार को  कारोबार की शुरुआत बढ़त के साथ हुई, लेकिन बाकी पूरे दिन फ्लैट कारोबार देखने को मिला. सेंसेक्स 0.014 परसेंट की बढ़त के साथ 74,600 के स्तर पर कारोबार कर रहा था, जबकि निफ्टी 0.011 परसेंट की गिरावट के साथ 22,500 के स्तर पर पहुंच गया. इधर, बीते मंगलवार को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) और छोटी राशि के कर्ज देने वाली वित्तीय संस्थाओं के लिए बैंक वित्त को लेकर जोखिम भार कर देने के बाद इनके शेयरों में तेजी देखी गई. 

इन सेक्टरों ने किया अच्छा प्रदर्शन

बाजार के इस परफॉर्मेंस पर बात करते हुए रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (तकनीकी अनुसंधान) अजीत मिश्रा ने मनीकंट्रोल से कहा, “‘मंथली एक्सपायरी के दिन बाजार में सुस्ती रही, लगातार दूसरे कारोबारी सत्र में बाजार फ्लैट बंद हुआ है. शुरुआती तेजी के बाद, निफ्टी जल्दी ही सपाट हो गया और एक सीमित दायरे में कारोबार करते हुए 22,545.05 पर बंद हुआ. विभिन्न सेक्टरों में मिलाजुला रुझान देखने को मिला. मेटल, बैंकिंग और फाइनेंशियल सेक्टर ने अच्छा परफॉर्मेंस किया. जबकि रियल्टी और ऑटो दबाव में रहे. सेंसेक्स में 1 परसेंट से 1.7 परसेंट के बीच गिरावट दर्ज की गई, जिससे निवेशकों का सेंटिमेंट और कमजोर हो गया.” उन्होंने कहा, ”पिछले दो सत्रों में इंडेक्स सपाट पर बंद हुए, जो मुख्य रूप से ओवरसोल्ड स्थितियों के कारण हुआ.” 

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RVNL Stock: एक कॉन्ट्रैक्ट और बुलेट ट्रेन की रफ्तार से भागा रेलवे का ये स्टॉक, एक ही दिन में कर दिया मालामाल

भारतीय शेयर बाजार में आज कुछ शेयरों ने अच्छा प्रदर्शन किया. इन्हीं में से एक स्टॉक था, रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) का. ये शेयर 13.6 फीसदी के साथ 378.70 के इंट्रा-डे हाई पर पहुंच गया. हालांकि, बाजार बंद होते-होते इसकी कीमत 11.86 फीसदी उछाल के साथ 372.90 रुपये रही. माना जा रहा है कि यह उछाल कंपनी को 550 करोड़ के नए कॉन्ट्रैक्ट मिलने की वजह से है.

कहां से मिला कॉन्ट्रैक्ट

RVNL को यह कॉन्ट्रैक्ट रेल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कंपनी (कर्नाटक) से मिला है. इसके तहत कंपनी को बेंगलुरु सबअर्बन रेल प्रोजेक्ट के कोरिडोर-4A पर नौ स्टेशन बनाने की जिम्मेदारी मिली है. इनमें एक एलिवेटेड और आठ एट-ग्रेड स्टेशन शामिल हैं. इन स्टेशनों के निर्माण में सिविल, स्ट्रक्चरल, एंट्री/एग्जिट स्ट्रक्चर, स्टील FOB, छत संरचना, PEB कार्य, आर्किटेक्चरल फिनिशिंग और E&M कार्य शामिल होंगे. साथ ही, इसमें डिटेल्ड डिजाइन और इंजीनियरिंग का काम भी होगा. इसके अलावा, RVNL को हाल ही में ईस्ट कोस्ट रेलवे से भी 404.40 करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट मिला था. यह प्रोजेक्ट कोरापुट-सिंगापुर रोड डबलिंग प्रोजेक्ट से जुड़ा हुआ है.

कंपनी के तिमाही नतीजे कैसे थे

14 फरवरी को RVNL ने Q3 FY25 के नतीजे जारी किए थे. इस दौरान कंपनी का नेट प्रॉफिट 13.1 फीसदी बढ़कर 311.6 करोड़ पर पहुंच गया, जो पिछले साल की इसी तिमाही में 358.6 करोड़ रुपये था. हालांकि, कंपनी का राजस्व 2.6 फीसदी घटकर 4,567.4 करोड़ रुपये रह गया, जो पिछले साल की इसी तिमाही में 4,689.3 करोड़ रुपये था. वहीं, EBITDA की बात करें तो ये भी 3.9 फीसदी घटकर 239.4 करोड़ रुपये पर आ गया.

दूसरी तिमाही के नतीजे कैसे रहे?

Q2 FY25 में RVNL का नेट प्रॉफिट 27.24 फीसदी गिरकर 286.88 करोड़ रह गया था, जो पिछले साल की इसी तिमाही में 394.26 करोड़ रुपये था. इस दौरान कंपनी का राजस्व भी 1.21 फीसदी घटकर 4,854.95 करोड़ रुपये रह गया था.

डिस्क्लेमर: (यहां मुहैया जानकारी सिर्फ़ सूचना हेतु दी जा रही है. यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें. ABPLive.com की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है.)

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घर बैठे पति-पत्नी कमा रहे 50 लाख, सिर्फ एक बार की मेहनत और पानी से निकल रहा सोना

आज कल पूरी दुनिया नौकरी के पीछे भाग रही है. लोग सोच रहे हैं कि उन्हें कुछ हजार की नौकरी कैसे भी कर के मिल जाए तो वह अपनी जिंदगी गुजार लें. हालांकि, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं… जो नौकरी से इतर कुछ ऐसा कर के मोटा पैसा बना रहे हैं, जिसके बारे में हम और आप शायद सोच भी नहीं सकते. आज हम आपको जिस दंपति के बारे में बताने वाले हैं वह हर साल पानी से 50 लाख का सोना निकाल रहा है.

कैसे कमा रहे मोटा पैसा

हम जिस दंपति की बात कर रहे हैं वह नागपुर के रहने वाले हैं. दरअसल, अक्षय होले और उनकी पत्नी दिव्या लोहकरे होले ने एरोपोनिक खेती (aeroponic farming) तकनीक का इस्तेमाल करके दुनिया के सबसे महंगे मसालों में से एक, केसर, को बिना मिट्टी और पारंपरिक सिंचाई के उगाने में सफलता पाई है. टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, इस अनोखी तकनीक से उन्होंने कश्मीर की ठंडी और शुष्क जलवायु को अपने घर के अंदर ही तैयार कर लिया और सालाना 50 लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं.

कैसे शुरू हुआ ये सफर

केसर की खेती पारंपरिक रूप से कश्मीर की खास शुष्क ठंडी जलवायु में ही होती है, जहां ठंडी सर्दियां और शुष्क गर्मियां इसकी खेती के लिए सही होती हैं. लेकिन अक्षय और दिव्या ने पारंपरिक तरीकों को चुनौती देते हुए आधुनिक तकनीक का सहारा लिया. इससे पहले, उन्होंने दो साल में कुल साढ़े तीन महीने कश्मीर में बिताए और वहां केसर की पारंपरिक खेती का गहन अध्ययन किया.

पहले 1 किलो खरीदा फिर खरीद लिया 350 किलो बीज

उनकी यह यात्रा एक छोटे से प्रयोग के साथ शुरू हुई. उन्होंने केवल 1 किलो केसर के बीज खरीदे और नागपुर में इसकी खेती करने की कोशिश की. शुरुआत में उन्हें सिर्फ कुछ ग्राम केसर ही मिला, लेकिन यह उनके लिए काफी था. इसके बाद उन्होंने 350 किलो केसर के बीज खरीदे और इस बार उन्हें लगभग 1,600 ग्राम केसर का उत्पादन हुआ.

क्या होती है एरोपोनिक तकनीक

दरअसल, एरोपोनिक तकनीक में पौधों को बिना मिट्टी के हवा और पानी के छिड़काव (mist) के जरिए उगाया जाता है. यह तकनीक न सिर्फ जगह की बचत करती है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी अनुकूल है. अक्षय और दिव्या ने अपने घर के अंदर 400 वर्ग फुट की जगह में केसर उगाने का सेटअप तैयार किया है. इसके अलावा, उन्होंने अपने सिस्टम में सोलर पावर को भी शामिल किया है, जिससे उनका कार्बन फुटप्रिंट और कम हो गया है.

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