बैंकिंग सिस्टम जूझ रहा नगदी के संकट से, क्यों ब्याज दरों में कमी के बावजूद क्रेडिट ग्रोथ की है सुस्त रफ्तार!

GDP Growth Rate: भारतीय रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी ने फरवरी महीने के पहले हफ्ते में कर्ज सस्ता करने के लिए रेपो रेट में कटौती करने का फैसला लिया है. लेकिन अर्थशास्त्री इसे नाकाफी मानते हैं. एक्सिस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री नीलकंठ मिश्रा ने कहा कि अगर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) आर्थिक वृद्धि को गति देना चाहता है तो उसे नीतिगत दरों में कटौती के बजाय नकदी को आसान बनाने पर ध्यान देना चाहिए.

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अंशकालिक सदस्य की भी जिम्मेदारी निभा रहे मिश्रा ने कहा कि इस महीने की शुरुआत में नीतिगत दर में कटौती की गयी है. आगे भी इसमें अगर कटौती की जाती है तो भी इससे कर्ज में वृद्धि नहीं होगी इसका कारण नकदी की कमी है, जो कर्ज देने में बाधा उत्पन्न करेगी. मिश्रा ने कहा, ‘‘जैसा मौद्रिक नीति समिति ने कहा है कि अगर उद्देश्य वित्तीय स्थितियों को आसान बनाना और आर्थिक वृद्धि को समर्थन देना है, तो मेरा सुझाव होगा कि सबसे पहले नकदी पर ध्यान दिया जाए क्योंकि इस स्तर पर, दरों में कटौती से मदद नहीं मिल रही है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘यदि उद्देश्य वृद्धि को समर्थन देने के लिए मौद्रिक साधनों का उपयोग करना है, तो नकदी पहला उपाय होना चाहिए.’’

नीलकंठ मिश्रा  ने कहा कि यदि दर में कटौती का उद्देश्य कर्ज को बढ़ावा देना है, तो नए कर्ज कम दर पर नहीं मिलेंगे क्योंकि पिछले 18 महीनों से चल रही नकदी की तंग स्थितियों के कारण कोष की सीमांत लागत ऊंची बनी हुई है. उन्होंने कहा कि आरबीआई के रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती के बावजूद एक साल की जमा प्रमाणपत्र पर ब्याज दर 7.8 प्रतिशत के उच्च स्तर पर बनी हुई है.

मिश्रा ने माना कि विश्लेषकों ने नीतिगत दर में तीन बार में कुल 0.75 प्रतिशत की कटौती की उम्मीद जतायी है। लेकिन उन्होंने दोहराया कि नकदी पर गौर अधिक प्रभावी होगा. उन्होंने यह भी कहा कि आरबीआई के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​ने बाजार को आवश्यक नकदी उपलब्ध कराने की बात कही है. एक सवाल के जवाब में मिश्रा ने टिकाऊ आधार पर नकदी उपलब्ध कराने के लिए आरबीआई के नियमित रूप से खुले बाजार में प्रतिभूतियों की खरीद-बिक्री का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में और कटौती के बजाय, वृद्धिशील सीआरआर यानी नकद आरक्षित अनुपात के अलावा नकदी रखने की जरूरत में कमी अधिक प्रभावी होगी.

उन्होंने यह भी कहा कि यदि नकदी की स्थिति तेजी से सामान्य हो जाती है और सरकार अपनी राजकोषीय प्रतिबद्धताओं पर कायम रहती है, तो उन्हें वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर सात प्रतिशत के स्तर तक पहुंचने की उम्मीद है. मिश्रा ने यह भी कहा कि पिछले कुछ वर्षों में वैश्विक बाजार भारत के लिए वृद्धि के नजरिये से कम प्रासंगिक हो गया है। हालांकि, वैश्विक घटनाएं प्रतिकूल हैं, लेकिन उनके बीच अर्थव्यवस्था मजबूत हो सकती है.

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Gems & Jewellery Exports: टैरिफ को लेकर ट्रंप के कड़े रूख का असर, जनवरी में 7 फीसदी घट गया भारत का जेम्स एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट

Gems & Jewellery Exports: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इंपोर्ट पर टैरिफ लगाने की धमकी का असर भारत के जेम्स एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट पर पड़ा है. ट्रंप की धमकी से पैदा हुए वैश्विक अनिश्चितता के चलते जनवरी 2025 में भारत के जेम्स एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट गिरावट देखने को मिली है. जीजेईपीसी (GJEPC) की ओर से जारी किए डेटा के मुताबिक जनवरी महीने में भारत ने कुल 19302.280 करोड़ रुपये का जेम्स एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट किया है जो बीते साल के समान महीने में 19996.66 करोड़ रुपये से 7.01 फीसदी कम है. 

जेम्स एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (Gems and Jewellery Export Promotion Council) ने भारत के ज्वेलरी एक्सपोर्ट का डेटा  जारी करते हुए बताया कि जनवरी 2025 में जेम्स एंड ज्वेलरी का इंपोर्ट 12269.41 करोड़ रुपये रहा है जो जनवरी 2024 के मुकाबले 38 फीसदी के करीब कम है जब भारत ने 19008.4 करोड़ रुपये का इंपोर्ट किया था. इसकी वजह शादियों के मौसम के खत्म होने के चलते मांग में कमी हो सकती है. लेकिन ये आंकड़े जेम्स एंड ज्वेलरी इंडस्ट्री में भारत के बढ़ते आत्मनिर्भरता को भी दर्शाता है जिसमें घरेलू डिमांड को  घरेलू ज्वेलरी मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां पूरा कर ले रही हैं जिससे विदेशी जेम्स एंड ज्वेलरी प्लेयर्स पर निर्भर रहना नहीं पड़ रहा है. 

जेम्स एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट में आई गिरावट पर कमेंट करते हुए कामा ज्वेलरी के एमडी कॉलिन शाह ने कहा, ट्रंप के सत्ता में वापसी के बाद आक्रामक रूप से बड़े पैमाने पर टैरिफ बढ़ोतरी को आगे बढ़ाने का असर  वैश्विक व्यापार गतिविधियों पर दिखाई दे रहा है. उन्होंने कहा, हम ट्रंप के टैरिफ रुख पर नजर रख रहे हैं जो तय करेगा कि वैश्विक बाजार इन समयों में कैसे आगे बढ़ेगा. हालांकि इस बारे में स्थिति के साफ होने के बाद आने वाले महीनों में व्यापार गतिविधियों में धीरे-धीरे सुधार देखा जा सकता है. 

जेम्स एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट में कमी का असर भारत के एक्सपोर्ट पर पड़ा है. जनवरी 2025 में लगातार तीसरे महीने गुड्स के  निर्यात में गिरावट देखने को मिली है जिसके चलते व्यापार घाटा बढ़ा है . 

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महज 3 लाख से खोली गई चाय की दुकान का आज 150 करोड़ है टर्नओवर, कुछ ऐसी है रीवा के अनुभव की कहानी

Chai Sutta Bar: कड़ी मेहनत, खुद पर विश्वास और ईमानदारी से इंसान अपने लक्ष्य को हासिल कर सकता है. आज हम आपको एक ऐसे ही शख्स के बारे में बताएंगे, जिसने महज तीन लाख रुपये से अपना बिजनेस शुरू किया था और आज उसका टर्नओवर 150 करोड़ रुपये है. हम यहां बात कर रहे हैं ‘चाय सुट्टा बार’के को-फाउंडर अनुभव दुबे की. 

28 साल के अनुभव मध्य प्रदेश के रीवा से हैं. कभी IIT या IIM जैसे संस्थानों में गए. उन्होंने UPSC की परीक्षा भी दी, लेकिन सफल नहीं हुए. बाद में अनुभव को एहसास हुआ कि उनका मुकाम कहीं और है. इसके बाद उन्होंने अपना बिजनेस शुरू करने का फैसला लिया. 

एक छोटी सी दुकान से की थी शुरुआत

साल 2016 में अनुभव ने अपने दोस्त आनंद नायक के साथ मिलकर अपनी पर्सनल सेविंग्स से 3 लाख रुपये खर्च कर ‘चाय सुट्टा बार’ को शुरू किया. उन्होंने सबसे पहले इंदौर में लड़कियों के हॉस्टल के पास एक छोटी सी चाय की दुकान से अपने इस सफर की शुरुआत की. कुल्हड़ कप में परोसी जाने वाली चाय की चुस्की लगाने दूर-दूर से लोग आने लगे. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह थी कि उन्होंने अपने दुकान को स्मोक फ्री रखा. यानी कि उनकी दुकान में धुम्रपान की इजाजत नहीं थी. 

दुकान में रखे चाय के 20 अलग-अलग फ्लेवर्स

अनुभव और आनंद ने अपनी दुकान के बोर्ड और इंटीरियर को खुद से डिजाइन किया. चाय के 20 अलग-अलग फ्लेवर्स रखे. आज देश में ‘चाय सुट्टा बार’ के 195 से अधिक आउटलेट्स हैं. दुबई और ओमान में भी इसके 165 से अधिक शॉप हैं. अपने ग्राहकों चाय परोसने के लिए अनुभव और आनंद 250 से ज्यादा कुम्हार परिवारों से कुल्हड़ कप मंगवाते हैं. इससे इन परिवारों की भी आर्थिक मदद हो जाती है. फर्श से अर्श तक के अनुभव और आनंद का यह सफर इस बात को साबित करती है कि अगर जज्बा और सच्ची लगन हो, तो इंसान क्या कुछ नहीं हासिल कर सकता. 

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अब दुबई में भी लोग चखेंगे कैम्पा कोला का स्वाद, एग्थिया ग्रुप के साथ रिलायंस ने UAE में सॉफ्ट ड्रिंक को किया लॉन्च

Campa Cola Launched in UAE: एशिया के सबसे अमीर शख्स मुकेश अंबानी बिजनेस की दुनिया में लगातार आगे बढ़ते जा रहे हैं. इसी के साथ अब रिलायंस इंडस्ट्रीज की FMCG यूनिट रिलायंस कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (rcpl) ने यूएई में कैम्पा कोला को लॉन्च कर दिया है. कंपनी ने इसका ऐलान दुनिया के सबसे बड़े F&B सोर्सिंग इवेंट, Gulfood में किया.

कैम्पा कोला ने ली UAE में एंट्री

रिलायंस ने कैम्पा को एग्थिया ग्रुप के साथ पार्टनरशिप में यूएई में लॉन्च किया है और इसी के साथ RCPL ने संयुक्त अरब अमीरात के मार्केट में अपना पहला कदम रख दिया है. साल 2022 में रिलायंस कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (RCPL) ने कैम्पा कोला का अधिग्रहण करने के बाद सॉफ्ट ड्रिंक मार्केट में एंट्री ली. 2023 में इसे दोबारा इंट्रोड्यूस किया गया. मौजूदा समय में रिलायंस इंडस्ट्रीज 16.57 लाख करोड़ रुपये के मार्केट कैप के साथ देश का  सबसे वैल्यूएबल फर्म है. फोर्ब्स के अनुसार, इसके मालिक मुकेश अंबानी 90.8 बिलियन अमरीकी डॉलर की रियल-टाइम नेटवर्थ के साथ एशिया के सबसे अमीर आदमी हैं. 

इस पर कमेंट करते हुए RCPL के COO केतन मोदी ने कहा, ”हम कैम्पा के साथ यूएई के मार्केट में प्रवेश करने के लिए उत्साहित हैं, जो 50 साल से भी अधिक पुराना भारतीय ब्रांड है. हम लॉन्ग टर्म के लिए इंवेस्ट कर रहे हैं और इस रीजन में जल्दी ग्रोथ की संभावनाएं भी देख रहे हैं. हमारे पास कस्टमर्स को किफायती कीमतों पर इनोवेटिव और ग्लोबल क्वॉलिटी प्रोडक्ट्स डिलीवर करने का ट्रैक रिकॉर्ड है.”

उन्होंने आगे कहा कि कैम्पा कोला के लॉन्च से यूएई के सभी कस्टमर्स में प्रशंसकों की एक नई लहर आएगी और भारतीय प्रवासियों के बीच पुरानी यादें ताज़ा होंगी जो उन्हें उनकी जड़ों से जोड़ेगी. बता दें कि गल्फूड 2025 का आयोजन 17-21 फरवरी तक किया जा रहा है. 

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Vedanta Share: अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांता में आज लिया जाएगा बड़ा फैसला, शेयरधारकों की लगेगी लॉटरी!

Vedanta Demerger News: आज शेयर बाजार का चाल देखने में सबकी सांस थमी रहेगी. भारत के कंपनी जगत  में 18 फरवरी को बड़ी घटना होने वाली है. अनिल अग्रवाल की अगुवाई वाली माइनिंग दिग्गज कंपनी वेदांता आज पांच टुकड़ों में बंट जाएगी. कर्जभार से दबी इस कंपनी के रिवाइवल के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ऐसा किया जा रहा है. इसके लिए वेदांता कंपनी के कर्जदाताओं की 18 फरवरी यानी मंगलवार को बैठक होने वाली है. इसी बैठक में वेदांत के डिमर्जर प्लान को अमली जामा पहनाया जाएगा. जानकारों का मानना है कि डिमर्जर के बाद वेदांता स्ट्रेटजिक रूप से अधिक मजबूत हो जाएगी. इसके बाद इस कंपनी को कर्ज के बोझ से भी काफी हद तक मुक्ति मिल सकेगी और मुनाफा भी बढ़ेगा. निवेशकों का रुझान फिर से वेदांत की ओर बढ़ सकेगा.

एल्यूमिनियम, तेल-गैस, पावर, सेमीकंडक्टर और स्टील के लिए बनेंगी अलग-अलग कंपनियां

वेदांता कंपनी समूह को बांटकर एल्यूमिनियम, तेल-गैस, पावर, स्टील और सेमीकंडक्टर के लिए अलग-अलग कंपनी बनेगी. वेदांता लिमिटेड ने 2023 के अंत में अपने रिस्ट्रक्चरिंग प्लान की घोषणा की थी. इसके तहत पांच कारोबारों को अलग-अलग कंपनियों के रूप में लिस्ट किए जाने की तैयारी है. इस पहल का उद्देश्य कंपनी के मूल्यांकन में सुधार करना और इसकी मूल कंपनी वेदांता रिसोर्सेज पर बढ़ते कर्ज को कम करना है. 18 फरवरी को होने वाली बैठक में अगर कंपनी के क्रेडिटर्स इस प्रस्ताव को मंजूरी देते हैं, तो इसे शेयरधारकों की मंजूरी के लिए आगे बढ़ाया जाएगा. सेमीकंडक्टर यूनिट को कंपनी के मौजूदा कारोबार के साथ ही इलेक्ट्रॉनिक्स और तांबे की कंपनियों के साथ रखा जाएगा.

शेयर बाजार पर टिकी है निवेशकों की नजर

वेदांता कंपनी के डिमर्जर प्लान को लेकर शेयर बाजार की चाल में अंतर आ सकता है. खासकर माइंस और मिनरल सेक्टर की कंपनियों में उठापटक देखने के लिए मिल सकती है. इस पर निवेशकों की नजर टिकी रहेगी. हालांकि, डिमर्जर प्लान वेदांत के लिए कोई घाटे का सौदा नहीं है, इसलिए इसे शेयर बाजार में केवल गिरावट की आशंका के रूप में नहीं देखा जा सकता है.

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Tesla Plan India: पीएम मोदी से मुलाकात के बाद एलन मस्क ने बना लिया इंडिया में हायरिंग प्लान, जानकर चौंक जाएंगे आप

ELON MUSK Strategy: अमेरिका दौरे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पता नहीं एलन मस्क पर क्या जादू कर दिया कि दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी टेस्ला के इस सुप्रीमो ने हफ्ते भर के भीतर भारी-भरकम प्लान इंडिया तैयार कर लिया है. एलन मस्क का प्लान इंडिया इतना बड़ा है कि इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि शुरूआती दौर में ही टेस्ला कंपनी ने इंडिया के लिए दो हजार लोगों की वैकेंसी निकाली है. अगर आपके पास इंजीनियरिंग, सेल्स या ऑपरेशन का एक्पीरियंस है तो आप भी दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी के हिस्से हो सकते हैं. आने वाले दिनों में बैटरी बनाने वाली कंपनी टेस्ला पावर इंडिया भारत में काफी विस्तार करने जा रही है. कंपनी अपने कारोबार विस्तार के तहत नई भर्तियां करने पर विचार कर रही है. सोमवार को टेस्ला की ओर से बयान जारी कर इस बात की जानकारी दी गई है.

टेस्ला ने इंडिया में लॉन्च किया पुरानी बैटरी का ब्रांड रिस्टोर

टेस्ला पावर इंडिया ने हाल ही में पुरानी बैटरी की मरम्मत कर बेचने के लिए अपना बैटरी ब्रांड रीस्टोर भी लॉन्च किया है. इसकी योजना वर्ष 2026 तक देशभर में रीस्टोर ब्रांड के 5,000 स्टोर खोलने की है. टेस्ला पावर इंडिया के प्रबंध निदेशक कविंदर खुराना ने कहा कि भारत में कारोबार विस्तार जारी रखने के क्रम में हम इनोवेशन के जरिये टिकाऊ लक्ष्य पाने में प्रतिभाशाली व्यक्तियों की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानते हैं. हम अपनी टीम में नई प्रतिभाओं का स्वागत करने और मिशन को आगे बढ़ाने में उनके योगदान का लाभ उठाने के लिए उत्साहित हैं.

ईवी के बाजार को टेस्ला देगा रफ्तार

भारतीय बाजार में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का मार्केट धीरे-धीरे रफ्तार में आ रहा है. टेस्ला के कूदने के बाद इसमें और तेजी आएगी. इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि बीते साल 15 लाख से भी ज्यादा इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की बिक्री हुई. टाटा ग्रुप भी बैटरी के कारोबार में बड़ा निवेश कर रहा है. ऐसे में बैटरी इंडस्ट्री के लिए आने वाला समय बेहतर साबित हो सकता है.

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HDFC Bank Xpress personal Loan: तुरंत चाहिए 40 लाख? HDFC बैंक से लें एक्सप्रेस पर्सनल लोन, पढ़ें कितना है इंटरेस्ट

HDFC Bank Xpress personal Loan: शादी हो या घर की रिपेयरिंग या फिर मेडिकल इमरजेंसी, अचानक से पैसे की जरूरत पड़ जाए तो लोग अक्सर लोन लेने का ऑप्शन चुनते हैं. ऐसे में अगर आप HDFC बैंक पर्सनल लोन लेने का सोच रहे हैं, तो हम आपको इस खबर के जरिए इसकी पूरी जानकारी देने जा रहे हैं.

क्या है HDFC बैंक एक्सप्रेस पर्सनल लोन?

यह एक अनसिक्योरड लोन है क्योंकि इसके लिए आपको बैंक के पास कुछ गिरवी रखने की जरूरत नहीं है. एचडीएफसी बैंक एक्सप्रेस पर्सनल लोन के लिए अप्रूवल आपके क्रेडिट स्कोर और इनकम पर निर्भर करता है. बैंक के इस सेगमेंट के तहत आपको 40 लाख रुपये तक का लोन मिल सकता है. अगर आपकी उम्र 21 से 60 साल के बीच में है, तो आप लोन के लिए अप्लाई कर सकते हैं. आपका क्रेडिट स्कोर 720 से ऊपर है, तो लोन मिलने में आसानी होगी. इसी के साथ महीने का इनकम 25,000 होना चाहिए और किसी प्राइवेट लिमिटेड या पब्लिक सेक्टर की कंपनी में काम करने का कम से कम दो साल का अनुभव भी होना चाहिए.  

कितना है इंटरेस्ट?

एचडीएफसी बैंक एक्सप्रेस पर्सनल लोन सेगमेंट के तहत इंटरेस्ट रेट 10.85 परसेंट से लेकर 24.00 परसेंट तक है. प्रोसेसिंग फीस 6,500 + जीएसटी तक हो सकती है. इसके अलावा, अलग-अलग राज्यों में लागू कानून के मुताबिक स्टाम्प ड्यूटी है. अधिक  जानकारी के लिए बैंक की कस्टमर सर्विस टीम से संपर्क कर सकते हैं. 

लोन अप्लाई करने के लिए जरूरी डॉक्यूमेंट्स

  • पहचान पत्र या एड्रेस प्रूफ
  • 3 महीने का बैंक स्टेटमेंट या 6 महीने का पासबुक
  • 2 महीने का सैलरी स्लिप या फॉर्म 16 के साथ सैलरी सर्टिफिकेट

कैसे करें अप्लाई?

  • सबसे पहले अपना पेशा चुनें
  • मोबाइल नंबर और DOB/PAN के जरिए खुद को वेरिफाई करें.
  • पर्सनल डिटेल दें.
  • इनकम वेरिफाई करें.
  • लोन ऑफर चेक करें.
  • आधार-बेस्ड KYC को पूरा करें. 

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अब गौतम अडानी ने किया 2 हजार करोड़ रुपये डोनेट करने का ऐलान, बनेंगे देश भर में कई स्कूल

Gautam Adani: गौतम अडानी के नेतृत्व वाले अडानी ग्रुप ने अब देश भर में कम से कम 20 स्कूल बनाने के लिए 2,000 करोड़ रुपये डोनेट करने का ऐलान किया है. अभी कुछ ही दिनों पहले उन्होंने अपने छोटे बेटे जीत अडानी और दीवा शाह की शादी के मौके पर सामाजिक कार्यों के लिए 10,000 करोड़ रुपये डोनेट करने की घोषणा की थी. इस बीच अस्पतालों के निर्माण के लिए 6,000 करोड़ रुपये और स्किल डेवलपमेंट के लिए 2,000 करोड़ रुपये देने की भी घोषणा की थी. 

सभी तक वर्ल्ड क्लास एजुकेशन पहुंचाने की कोशिश

फोर्ब्स के अनुसार, रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी के बाद गौतम अडानी देश के दूसरे सबसे धनी व्यक्ति हैं. उनकी कुल संपत्ति 53.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर है. अडानी ग्रुप ने एक स्टेटमेंट में कहा, ”देश में शिक्षा के मंदिर की स्थापना के लिए अडानी फाउंडेशन ने GEMS एजुकेशन के साथ हाथ मिलाया है, जो प्राइवेट K-12 एजुकेशन में एक ग्लोबल लीडर है. अडानी परिवार की तरफ से 2,000 करोड़ रुपये के शुरुआती डोनेशन के साथ इस पार्टनरशिप के तहत सभी वर्गों के लोगों तक वर्ल्ड क्लास एजुकेशन और लर्निंग इंफ्रास्ट्रक्चर की पहुंच संभव हो पाएगी.”

लखनऊ में बनकर तैयार होगा पहला स्कूल

इस बयान में आगे कहा गया, ”पहला ‘अडानी GEMS स्कूल ऑफ एक्सीलेंस’ शैक्षणिक वर्ष 2025-26 में लखनऊ में बनकर तैयार होगा. अगले तीन सालों में K-12 सेगमेंट में कम से कम 20 ऐसे स्कूल भारत के प्राथमिक महानगरीय शहरों में और बाद में टियर 2 और टियर 4 शहरों में शुरू किए गए जाएंगे.” इसकी मदद से वर्ल्ड क्लास रिसर्च बेस्ड एजुकेशन के हकदार सभी बनेंगे.

 

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Deposit Insurance: न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव के एकाउंट होल्डर्स को डिपॉजिट इंश्योरेंस का सहारा, ऐसे दिलाएगा डूबता पैसा

New India Co-Operative Bank: न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक में हुए घोटाले ने हजारों जमाकर्ताओं को खून के आंसू रोने के लिए मजबूर कर दिया है. किसी की बेटी की शादी पर आफत आ गई है तो कोई गंभीर बीमारी में इलाज के लिए भी पैसे नहीं निकाल पा रहा है. किसी के बेटे के स्कूल की फीस पर संकट है तो किसी के खाने के लाले पड़ गए हैं. रिजर्व बैंक ने छह महीने के लिए इस बैंक से किसी भी राशि के निकालने, लोन लेने या पैसा जमा करने पर रोक लगा दी है. ऐसी स्थिति में जिन लोगों ने अपनी पूरी जमा पूंजी केवल इसी बैंक में डाल रखी थी, उनके तो बर्बाद होने की नौबत आ गई है.

डिपॉजिट इंश्योरेंस देगा डूबते को तिनके का सहारा

टूटते भरोसे और खत्म होती आशा के बीच न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक के जमाकर्ताओं के लिए डिपॉजिट इंश्योरेंस डूबते को तिनके का सहारा लेकर आया है. यह जमाकर्ताओं को फिलहाल पांच लाख रुपये तक की राशि निकालने में मदद करेगा. हर बैंक को अपने यहां डिपॉजिट का इंश्योरेंस रिजर्व बैंक की सब्सिडियरी डिपॉजिट इंश्योरेंस क्रेडिट गारंटी कोऑपरेशन यानी डीआईसीजीसी के साथ कराना पड़ता है. इसी कोऑपरेशन से पांच लाख रुपया तक निकालने के लिए बैंक के ग्राहक दावा कर सकते हैं. यह राशि उन्हें 90 दिनों के भीतर मिल जाएगी. इसके लिए डीआईसीजीसी की वेबसाइट पर जाकर आवेदन करना होगा. फिर कस्टमर के दावों और कागजात की जांच कर पैसे का भुगतान कर दिया जाएगा. क्लेम स्टेटस को ट्रैक करने के लिए आप इसी वेबसाइट पर जाकर दावा सूचक ट्रैकर की मदद ले सकते हैं. इस ट्रैकर को डीआईसीजीसी ने लॉन्च किया है. ट्रैकर आपको यह बता देगा कि आपके दावे की स्थिति क्या है और इस प्रक्रिया में अभी क्या चल रहा है. इसी के आधार पर आप यह अनुमान लगा सकेंगे कि कब तक आपको यह भुगतान प्राप्त होगा और उसके मुताबिक आप अपनी जरूरतों की प्लानिंग कर सकेंगे.

14 मई तक निकाल सकते हैं पांच लाख रुपये

न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक के जमाकर्ताओं को भी डीआईसीजीसी से 14 मई तक 5 लाख रुपये निकालने की अनुमति दी गई है. इसके तहत बैंक के 90 प्रतिशत (1,30,000) जमाकर्ताओं की जमा राशि पूरी तरह इंश्योर्ड है. डीआईसीजीसी ने अपनी वेबसाइट पर कहा है कि इन जमाकर्ताओं को अनिवार्य रूप से अपना दावा 30 मार्च तक जमा करना है और यह राशि उनके वैकल्पिक बैंक के खाते में जमा करा दी जाएगी. इस जमा राशि में करीब 68 प्रतिशत एफडी है, जबकि बचत खाते में 28 प्रतिशत है. 

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ELSS: न्यू टैक्स रिजीम में भी ईएलएसएस क्यों है फायदेमंद, आपके लिए जानना है जरूरी

New Tax Regime: ईएलएसएस यानी इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम्स. भारत सरकार के नियमों के नियमों के मुताबिक, इसमें निवेश की गई राशि का 80 फीसदी शेयर बाजार में लगाया जाता है. 80 सी के तहत टैक्स पर डेढ़ लाख रुपये तक की छूट हासिल करने के लिए इसमें निवेश करना लोगों का पसंद रहा है. इनकम टैक्स बिल 2025 में इस प्रावधान को खत्म कर दिया गया है. क्योंकि, न्यू टैक्स रिजीम को डिफॉल्ट टैक्स सिस्टम करार दिया गया है और इसमें इस तरह की छूट की कोई व्यवस्था नहीं है. ऐसी स्थिति में यह जानना जरूरी है कि क्या अब भी इएलएसएस फायदेमंद है. केवल रिटर्न पाने के लिए ही इसमें निवेश करना उचित है या टैक्स बचाने में भी इसकी कोई भूमिका हो सकती है. इस हिसाब से इएलएसएस के सभी पहलुओं पर गौर करना जरूरी है, ताकि नए फाइनेंशियल ईयर के शुरू होने में कुछ ही समय बचे होने के कारण इस दिशा में प्लानिंग की जा सके. 

ELSS देता है बेहतर रिटर्न  

इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम म्यूचुअल फंड की तरह है. इसमें जमा 80 फीसदी राशि शेयर बाजार में निवेश की जाती है. हाल के सालों में इस स्कीम से निवेशकों को 14.56 फीसदी तक का सालाना रिटर्न मिला है. इसे एक बेहतर रिटर्न माना जा सकता है. इस कारण सैलरीड क्लास को अभी भी यह काफी पसंद है. इसका बड़ा कारण यह भी है कि इसका लॉक इन पीरियड मात्र तीन सालों का है. जो इस तरह की दूसरी किसी भी स्कीम से कम है. यानी आप तीन साल के बाद इस स्कीम में निवेश की गई कोई भी राशि निकाल सकते हैं. इसके अलावा इक्विटी लिंक्ड स्कीम होने के कारण इसमें ग्रोथ की संभावना भी काफी अच्छी है. ELSS ने तो 24 फीसदी तक के रिटर्न दिए हैं. इस कारण इसमें निवेश अभी भी लोगों का पसंद हुआ गै,अभी भी लोगों का पसंद बना हुआ है.

80 सी का फायदा अब 123 में ले सकते हैं

अगर केवल टैक्स बचाने के लिए ही इलएसएस में निवेश आपका मकसद है, तब भी चिंता की कोई बात नहीं है. नए इनकम टैक्स बिल में 80 सी के फायदों को जरूर खत्म कर दिया गया है, लेकिन 123 के तहत वही व्यवस्थाएं अभी भी कायम हैं. इसका फायदा न्यू टैक्स रिजीम के तहत नहीं उठाया जा सकता है. ELSS से टैक्स बेनिफिट हासिल करने के लिए आपको ओल्ड टैक्स रिजीम अपनाना होगा. नए इनकम टैक्स बिल की धारा 123 के अनुसार, किसी व्यक्ति या हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) को टैक्स ईयर में भुगतान या जमा की गई राशि पर छूट मिलेगी, जो शेड्यूल 15 में दी गई राशियों के कुल के बराबर होगी, लेकिन यह छूट 1.5 लाख रुपये से अधिक नहीं होगी. 

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तीमाही रिजल्ट आते ही गोली की रफ्तार से भागा गहने बनाने वाली कंपनी का स्टॉक, सोमवार को भी दिखेगा असर

शेयर बाजार के पंडितों की जुबान पर इन दिनों पीएन गाडगिल ज्वेलर्स का नाम सबसे अधिक तैर रहा है. निवेशकों को इस स्टॉक पर एकबार दांव लगाने की सलाह जरूर दी जा रही है. शुक्रवार को इस ज्वेलर्स कंपनी के शेयर इतना अधिक उछले कि इसे 10 फीसदी के अपर सर्किट पर जाकर बंद करना पड़ा.

आईपीओ ईश्यू प्राइस से 30 फीसदी तक ऊपर जाकर इसका कारोबार बंद हुआ. दरअसल कंपनी की तिमाही रिपोर्ट में मुनाफे में 49 फीसदी से अधिक की उछाल की रिपोर्ट आने के कारण निवेशकों में इस कंपनी का शेयर खरीदने की होड़ लग गई है.

620.80 रुपये प्रति शेयर के लेवल पर बंद हुआ कारोबार

पिछले कारोबारी हफ्ते के अंतिम दिन पीएन गाडगिल ज्वेलर्स लिमिटेड  के शेयर 575 रुपये के लेवल पर कारोबार के लिए ओपन हुए थे, जबकि कुछ देर 10 प्रतिशत के अपर सर्किट के साथ 620.80 रुपये के लेवल पर कारोबार बंद करना पड़ा. कंपनी को अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में टैक्स के बाद मुनाफे में 49.4 प्रतिशत की सालाना बढ़ोतरी हुई है, जो 86.03 करोड़ रुपये दर्ज किया गया,जबकि बीते साल की समान तिमाही में यह 57.60 करोड़ रुपये रिकॉर्ड किया गया था. इसके अलावा, पीएन गाडगिल का ऑपरेशन से रेवेन्यू 23.5 फीसदी बढ़कर 2,435.75 करोड़ रुपये हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 1,972.16 करोड़ रुपये था.

पांच दिनों में 11 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज

पिछले पांच दिनों में पीएन गाडगिल ज्वेलर्स के स्टॉक ने 11 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की है, जबकि एक महीने के दौरान दो प्रतिशत का उछाल आया है. वहीं तीन महीने की अवधि में 21 प्रतिशत की गिरावट आई है. इसका मार्केट कैपिटल 8.44 हजार करोड़ रुपये है. वहीं, प्रॉफिट टू अर्निंग रेशियो 46.60 है. इस स्टॉक ने 848 रुपये के लेवल पर अपना 52 सप्ताह का उच्चतम स्तर छुआ था, जबकि 496.10 रुपये के लेवल पर 52 सप्ताह का न्यूनतम स्तर बनाया है.

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अमेरिकी व्हिस्की पर सरकार ने घटाई टैरिफ…तो खिलाफ हो गई इंडियन शराब कंपनियों की लॉबी, उठाई ये मांग

Tariff Cut On US Liquor: अमेरिका की बर्बन व्हिस्की पर टैरिफ घटाने के खिलाफ भारत की शराब लॉबी उतर आई है. इनका दावा है कि टैरिफ घटाने से यह अमेरिकी शराब भारत में डंप किया जाएगा, जो भारत की वाइन इंडस्ट्रीज को बर्बाद कर देगा. द कंफेडरेशन ऑफ इंडियन अल्कोहलिक वीवरेज कंपनीज ने राज्य सरकारों से बर्बन व्हिस्की पर राज्यों के स्तर पर दी जा रही कर रियायत को खत्म करने की मांग की है.

इसे भारत की अल्कोहल इंडस्ट्रीज को बचाने के लिए जरूरी बताया है. संस्था के डायरेक्टर जेनरल अनंत एस अय्यर ने भारत सरकार से भी इस दिशा में उचित कदम उठाने की मांग की है. खासकर विदेश में भारत के लिकर की बिक्री का रास्ता साफ करने के लिए प्रयास करने का आग्रह किया है. 

करोड़ों डॉलर का हो सकता है नुकसान

भारत सरकार ने बर्बन व्हिस्की पर टैरिफ 150 फीसदी से घटाकर 100 फीसदी कर दी है. साथ ही कई तरह की वाइन पर भी टैक्स कम किया गया है. ताजे अंगूरों से बनी वाइन, वर्माउथ और कुछ दूसरे फरमेंटेड बेवरेजेज पर भी अब इम्पोर्ट ड्यूटी घटाकर 100 फीसदी कर दी गई है.

इसी तरह 80 फीसदी अल्कोहल वाले शुद्ध एथिल अल्कोहल पर भी यही दर लागू होगी. पिछले वित्तीय वर्ष में इन सभी उत्पादों का कुल आयात लगभग एक अरब डॉलर का था. यानी सरकार को इम्पोर्ट ड्यूटी के रूप में करोड़ों डॉलर मिले थे. लेकिन अब सरकार को इससे नुकसान होगा.

अमेरिका के केंटुकी में बनाई जाती है बर्बन व्हिस्की 

बर्बन व्हिस्की पर बेसिक कस्टम ड्यूटी 50 फीसदी तय की गई है. इसके अलावा इस पर 50 फीसदी का एग्रीकल्चर सेस भी लगेगा. बर्बन व्हिस्की अमेरिका के केंटुकी राज्य में बनाई जाती है. इसको बनाने में कम से कम 51 फीसदी मक्के का यूज किया जाता है. पिछले साल बर्बन से जुड़ी दो टैरिफ लाइन्स का आयात लगभग 2.6 मिलियन डॉलर था, जबकि अमेरिका से इसका आयात 0.8 मिलियन डॉलर था. आयात शुल्क में यह कटौती गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रंप की मुलाकात से कुछ घंटे पहले नोटिफाई की गई. इस मीटिंग में सबसे ज्यादा चर्चा टैरिफ पर ही हुई.

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ट्रंप-मोदी की मुलाकात क्या फिर से भारतीय शेयर बाजार को करेगी हरा, विदेशी निवेशकों की होगी वापसी?

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात से अमेरिका और भारत के कूटनीतिक रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलने की संभावना है. यही वजह है कि अब इससे भारतीय शेयर बाजार के भी दिन सुधरने के अनुमान लगाए जाने लगे हैं. खासकर विदेशी निवेशकों के भारतीय शेयर बाजार में लौटने की संभावना कुछ ज्यादा ही उम्मीद बंधाने लगी है. इस महीने 13 फरवरी तक विदेशी संस्थागत निवेशकों यानी एफआईआई ने भारतीय शेयर बाजार से 24,889 करोड़ रुपये की बिकवाली की है.

जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों यानी डीआईआई ने इस महीने 13 फरवरी तक 21,655 करोड़ रुपये की खरीदारी की है. ट्रंप के टैरिफ वॉर से ग्लोबल मार्केट में उथल-पुथल है. अब इस बात की अटकलें लगाई जा रही हैं कि राष्ट्रपति ट्रंप और पीएम मोदी की मुलाकात के बाद क्या विदेशी निवेशकों के भारत में लौटने का वक्त आ गया है.

भारतीय मार्केट अब भी एफआईआई की पसंद नहीं

विदेश निवेशकों के भारतीय शेयर बाजार में लौटने का वक्त अभी आया या नहीं इस बारे में जानकारों का कहना है कि एफआईआई के पास इन्वेस्ट करने करने के लिए 160 देश हैं, जब 1990 और 2000 में  लोकल इन्वेस्टर को खबर तक नहीं थी, तब वे पूरे देश का 26 फीसदी स्टॉक उठा लिए थे.  आज एफआईआई का नहीं आना कोई नई बात नहीं है. पिछले 10 साल से FII का पैसा आने का इंतजार हो रहा है. वर्तमान परिस्थिति में भी भारतीय मार्केट में नेट एफआईआई का पैसा आने को लेकर सवाल बना हुआ है.

रिटर्न की संभावना दिखने पर ही आएंगे विदेशी निवेशक

विदेशी निवेशकों के आने के बारे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि किसी भी देश में उनके निवेश की प्राथमिकता क्या होती है? उनके निवेश की सबसे पहली प्राथमिकता अच्छा रिटर्न होती है. यह अच्छा रिटर्न किसी भी डिप्लोमेटिक मूव से तय नहीं होता है. यह उस देश की इकोनॉमिक कंडीशन से तय होता है. निवेशक मार्केट में तभी आएंगे जब उन्हें रिटर्न की संभावना दिखेगी, आप उनको पकड़कर जबर्दस्ती नहीं ला सकते. उनके पास 160 एसेट क्लासेज का ऑप्शन है. इसलिए हम कैसे कंपीटीटिव बने, इस पर फोकस करना पड़ेगा.

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Liquidity in Indian Economy: बढ़ने वाला है कैश फ्लो, खर्च करने के लिए हो जाएं तैयार, रिजर्व बैंक इंडियन इकोनॉमी में डालेगा 40 हजार करोड़

लोगों के खर्च नहीं करने से बाजार बेजार है. इसमें रौनक लाकर इकोनॉमी को रफ्तार देने के लिए रिजर्व बैंक अगले हफ्ते कमाल की तरकीब अपनाने जा रहा है. रिजर्व बैंक की ओर से बाजार में 40 हजार करोड़ का कैश फ्लो कराया जाएगा. नगदी का यह प्रवाह बैंकिंग सिस्टम के जरिए कराया जाएगा. रिजर्व बैंक केंद्र और राज्य सरकार के सिक्योरिटी खरीदकर 40 हजार करोड़ की यह राशि बैंकिंग सिस्टम में डालेगा. इससे फरवरी महीने में जीएटी या इनकम टैक्स जमा कर पैसे के संकट से जूझते टैक्स पेयर्स को काफी राहत मिलेगी.

लिक्विडिटी का संकट बना हुआ है

क्योंकि, खजाना में पैसा होने के कारण बैंक कारोबारियों या मिडिल क्लास को पैसा उपलब्ध कराने में कोई कोताही नहीं करेंगे. इससे मिडिल क्लास को खर्च करने में कोई दिक्कत पेश नहीं आएगी. शुरू में रिजर्व बैंक में 20 हजार करोड़ रुपया ही इकोनॉमी में डालने का एलान किया था, लेकिन इकोनॉमी की स्थिति को देखते हुए इसे बढ़ाकर 40 हजार करोड़ करने का फैसला किया गया है.

इसका मकसद खपत बढ़ाकर बाजार में डिमांड पैदा करना और इकोनॉमी को रफ्तार देना है. भारत सरकार के बजट में किए प्रावधान और रिजर्व बैंक की मॉनीटरी पॉलिसी को लिंक कर इकोनॉमी को सुस्ती से निकालने के उपाय तलाशे जा रहे हैं. आपको बता दें, भारत के बाजार में लिक्विडिटी का संकट पिछले आठ हफ्तों से बना हुआ है. सात फरवरी को यह एक लाख 33 हजार करोड़ तक पहुंच गया था. 

रेपो रेट घटाने के बाद हुई घोषणा

रिजर्व बैंक की ओर से लिक्विडिटी बढ़ाने के कदमों की घोषणा रेपो रेट में 25 अंकों की कटौती के बाद की गई है. आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने आश्वासन दिया कि केंद्रीय बैंक सतर्क हैं और लिक्विडिटी की स्थिति बनाए रखने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे. अब तक, आरबीआई ने बॉन्ड खरीदकर और डॉलर/रुपया स्वैप के माध्यम से फाइनेंस सिस्टम में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक डाले हैं, इसके अतिरिक्त 56-दिवसीय रेपो नीलामी के माध्यम से 50,000 करोड़ रुपये डाले हैं.  

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Samvardhana Motherson Q3 Result: सोमवार को रॉकेट बन सकते हैं इस ऑटो पार्टस बनाने वाली कंपनी के शेयर, मुनाफे में 62 फीसदी की उछाल

Samvardhana Motherson Q3 Result: ऑटो पार्ट्स बनाने वाली कंपनी संवर्धन मदरसन निवेशकों के लिए उम्मीदों का सौगात लेकर आई है. इस कंपनी को भारी मुनाफा हुआ है. दिसंबर अंत तक की तिमाही में पिछले साल की तुलना में मुनाफे में 62 फीसदी की उछाल है. अक्टूबर से दिसंबर तक की तिनाही में कंपनी को 879 करोड़ का शुद्ध लाभ हुआ है. जो पिछले साल इसी दौरान 542 करोड़ था.

अक्टूबर-दिसंबर की तिमाही में कंपनी की कमाई भी पिछले साल के 25,644 करोड़ से बढ़कर 27,666 करोड़ हो गई है. संवर्धन मदरसन लिमिटेड की ओर से शेयर मार्केट को की गई रेगुलेटरी फाइलिंग में यह जानकारी दी गई है. मदर्सन के चेयरमैन विवेक चंद सहगल ने कहा है कि हमारी कंपनी का परफॉरर्मेंस डाइवर्सिफायड बिजनेस मॉडल की सफलता के कारण है. उन्होंने कहा कि कंपनी कैपेक्स और लीवरेज रेशियो को मेंटेन कर बैलेंस शीट को स्ट्रांग बनाने में कामयाब रही है. 

मर्सिडीज से मारुति तक के बनाती है पार्ट्स

मदर्सन कंपनी मारुति से लेकर मर्सिडीज़ जैसी कारों तक के लिए भी उपकरण बनाती है. इस कंपनी के शेयरों ने पिछले एक साल में इन्वेस्टर्स को 10 फीसदी तक का रिटर्न दिया है. संवर्धन मदरसन इंटरनेशनल कंपनी ने जानकारी दी है कि इस बार की दिसंबर तिमाही में वैश्विक कार सेल्स में एक फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. जिसके चलते कंपनी के टॉप मॉड्यूल और पॉलीमर बिजनेस के मार्जिन में गिरावट दर्ज हुई है. मार्जिन 8.8 फ़ीसदी से गिरकर के इस बार आठ फ़ीसदी के लेवल पर रिपोर्ट हुआ है. बीते शुक्रवार की आखिरी कारोबारी दिन में संवर्धन मदरसन इंटरनेशनल कंपनी का शेयर 2.78 फ़ीसदी की मामूली गिरावट के साथ 126 रुपए के लेवल पर कारोबार करके बंद हुआ था.

88 हजार करोड़ के पार है मदर्सन का कारोबार

मदर्सन इंटरनेशनल कंपनी भारत की ऑटो उपकरण निर्माता कंपनियों में टॉप पर है. कंपनी का बाजार पूंजीकरण 88,805 करोड़ रुपए है. जो बाजार की दूसरी ऑटो उपकरण निर्माता कंपनियों में सबसे अधिक है. कंपनी के पोर्टफोलियो में मारुति सुजुकी से लेकर मर्सिडीज़ बेंज जैसे कार कंपनियां के नाम भी शामिल है, जिनके लिए कंपनी उपकरण बनाने का काम करती है.

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डिस्क्लेमर: (यहां मुहैया जानकारी सिर्फ़ सूचना हेतु दी जा रही है. यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें. ABPLive.com की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है.)

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14 महीने, 4 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान और मार्केट ब्रेड्थ के संकेतों का डर…सावधान! बाजार ‘लाल’ होने वाला है

भारतीय शेयर बाजार (Indian Stock Market) अब तक के अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. इस साल अब तक इक्विटी मार्केट से लगभग 45 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है. 27 सितंबर 2024 के ऑल-टाइम हाई के बाद से निवेशकों की संपत्ति में 78 लाख करोड़ रुपये की कमी आई है. सिर्फ पिछले हफ्ते की बात करें तो निवेशकों को 24 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. ब्लूमबर्ग डेटा के मुताबिक, भारतीय बाजार का मार्केट कैप 14 महीनों में पहली बार 4 ट्रिलियन डॉलर से नीचे आ गया है.

निफ्टी-सेंसेक्स सब तबाह हुए

14 फरवरी 2025 को बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी लगातार आठवें सत्र में लाल निशान पर बंद हुए. सेंसेक्स 199.76 अंक गिरकर 75,939.21 पर और निफ्टी 102.15 अंक गिरकर 22,929.25 पर बंद हुआ.

27 सितंबर 2024 को बीएसई-लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन 479 लाख करोड़ रुपये था, जो 1 जनवरी 2025 तक घटकर 446 लाख करोड़ रुपये और 14 फरवरी तक गिरकर 401 लाख करोड़ रुपये रह गया.

मिडकैप और स्मॉलकैप की हालत देखी नहीं जा रही

भारतीय शेयर बाजार में मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों की हालत खराब होती जा रही है. 1,000 करोड़ रुपये या उससे अधिक मार्केट कैप वाले शेयरों में से लगभग 60 फीसदी शेयर अपने उच्च स्तर से 30 फीसदी या उससे अधिक गिर चुके हैं.

अन्य शेयरों की हालत भी ठीक नहीं है. ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय शेयर बाजार में इस हफ्ते भारी बिकवाली देखने को मिली, जिसमें कुछ सबसे बड़े शेयर अपने ऑल-टाइम हाई से 71 फीसदी तक गिर गए. वहीं, 450 से ज्यादा स्मॉलकैप शेयरों में 10-41 फीसदी तक की गिरावट देखी गई है.

मार्केट ब्रेड्थ की दरारें डरा रही हैं

अगर आप इस गिरावट से डर गए हैं तो आने वाला समय और भी बुरा हो सकता है. कुछ मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि बाजार में अभी और गिरावट आ सकती है. दरअसल, मार्केट ब्रेड्थ में दरारें गहरा रही हैं, इस वजह से मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में स्थिति और भयावह हो सकती है.

क्या है मार्केट ब्रेड्थ?

दरअसल, मार्केट ब्रेड्थ बाजार की हालत को मापने का एक प्रमुख पैमाना है. यह बताता है कि बाजार में कितने शेयर ऊपर जा रहे हैं और कितने नीचे. अभी यह इंडिकेटर ‘यूफोरिक जोन’ खत्म से नीचे आ रहा है, जो 2006-2009, 2011-2013 और 2018-2020 की शेयर बाजार की बड़ी गिरावट के समय देखा गया था.

ये संकेत भी डरा रहे हैं

NSE500 इंडेक्स में बराबर वेटेड और मार्केट वेटेड परफॉर्मेंस के बीच का अंतर ऐतिहासिक चरम पर पहुंच गया है. पिछली बड़ी गिरावटों के दौर में ऐसा होने के बाद स्मॉलकैप शेयरों में 50 फीसदी तक की गिरावट देखी गई थी.

इसके अलावा, 2020 में टॉप-100 शेयरों में 80 फीसदी से अधिक कैश मार्केट वॉल्यूम केंद्रित था, लेकिन अब यह घटकर 15 फीसदी रह गया है. इसका मतलब है कि छोटे शेयरों में लिक्विडिटी की कमी हो रही है, जिससे उनकी कीमतों पर ज्यादा दबाव पड़ रहा है.

वहीं, IPO, FPO और QPI के जरिए नए शेयरों की आपूर्ति म्यूचुअल फंड्स के निवेश से कहीं ज्यादा हो गई है, इससे मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों की मांग-आपूर्ति का संतुलन बिगड़ रहा है.

अब क्या करें निवेशक

Elara Capital के एक्सपर्ट्स मानते हैं कि बाजार जिस स्थिति में फिलहाल है, ऐसी स्थिति में, आईटी, बैंकिंग, फार्मा और कंजम्प्शन सेक्टर में निवेश करना बेहतर हो सकता है. इसके अलावा, मिड और स्मॉलकैप स्टॉक्स से दूरी बनाएं और लार्ज कैप के मजबूत स्टॉक्स में निवेश करें.

दरअसल, बीटा ट्रेड यानी बाजार में जोखिम लेने की क्षमता अब घटने लगी है. इसे ऐसे समझिए कि हाई बीटा पोर्टफोलियो ने जून 2024 में अपना पीक छू लिया था और अब Low Beta यानी डिफेंसिव स्टॉक्स बढ़िया प्रदर्शन कर रहे हैं. 2008, 2010, 2015 और 2018 की गिरावट के दौर में भी ऐसा ही हुआ था. इस गिरावट के दौर में भी मिड-स्मॉलकैप स्टॉक्स बुरी तरह गिरे थे और सिर्फ बड़े और मजबूत स्टॉक्स ने निवेशकों का पैसा बचाया था.

डिस्क्लेमर: (यहां मुहैया जानकारी सिर्फ़ सूचना हेतु दी जा रही है. यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें. ABPLive.com की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है.)

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