IPPB Recruitment 2025: इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक में निकली भर्ती के लिए करें अप्लाई, ये है लास्ट डेट

इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (IPPB) ने सर्किल बेस्ड ऑफिसर (CBO) के पदों पर भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं. इस भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. इच्छुक और योग्य उम्मीदवार IPPB की आधिकारिक वेबसाइट www.ippbonline.com पर जाकर 21 मार्च 2025 तक आवेदन कर सकते हैं. कैंडिडेट्स को सलाह दी जाती है कि वह आवेदन की लास्ट डेट से पहले अप्लाई कर लें. आखिरी तारीख निकल जाने के बाद उन्हें आवेदन का मौका नहीं मिलेगा.

जरूरी योग्यता

इस भर्ती में भाग लेने के लिए उम्मीदवारों को मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय या संस्थान से किसी भी स्ट्रीम में स्नातक डिग्री प्राप्त होना जरूरी है. इसके अतिरिक्त, उम्मीदवार को आवेदन करने वाले राज्य का निवासी होना चाहिए.

उम्र सीमा

आयु सीमा की बात करें तो आवेदन करने के लिए उम्मीदवार की न्यूनतम आयु 21 वर्ष और अधिकतम आयु 35 वर्ष होनी चाहिए. हालांकि, आरक्षित श्रेणियों के उम्मीदवारों को ऊपरी आयु सीमा में नियमानुसार छूट दी जाएगी.

इतना देना होगा आवेदन शुल्क

इस भर्ती के लिए आवेदन शुल्क भी निर्धारित किया गया है. जनरल, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस वर्ग के उम्मीदवारों को 750 रुपये शुल्क देना होगा, जबकि एससी, एसटी और पीएच वर्ग के उम्मीदवारों को केवल 150 रुपये का शुल्क देना होगा. यह शुल्क ऑनलाइन माध्यम से जमा किया जा सकता है.

यह भी पढ़ें: Success Story: दो बार फेल हुईं, बीमारी से लड़ी लेकिन हिम्मत नहीं हारी, AIR 94 लाकर बनीं IFS ऑफिसर

आवेदन प्रोसेस

इस भर्ती के लिए आवेदन करने के लिए उम्मीदवारों को सबसे पहले IPPB की आधिकारिक वेबसाइट www.ippbonline.com पर जाना होगा. वेबसाइट के होमपेज पर भर्ती से संबंधित लिंक पर क्लिक करें और फिर “Apply Online” विकल्प पर जाएं. इसके बाद, “Click here for New Registration” लिंक पर क्लिक करके आवश्यक विवरण भरें और पंजीकरण प्रक्रिया पूरी करें.

रजिस्ट्रेशन के बाद उम्मीदवार को अपनी शैक्षिक और व्यक्तिगत जानकारी भरनी होगी. इसके बाद हस्ताक्षर और फोटोग्राफ अपलोड करें और संबंधित श्रेणी के अनुसार आवेदन शुल्क का भुगतान करें. आवेदन फॉर्म को पूरी तरह से भरने के बाद उसका प्रिंटआउट निकालकर सुरक्षित रख लें.

यह भी पढ़ें: प्राइवेट जॉब से IAS तक का सफर, बिना कोचिंग PCS किया क्लियर, फिर लगाया UPSC का नंबर

Continue Reading

बैंक ऑफ इंडिया में ग्रेजुएट्स कैंडिडेट्स के लिए मौका, इस डेट तक कर सकते हैं आवेदन

BOI Apprentice Recruitment 2025: बैंक ऑफ इंडिया (BOI) ने देशभर के कई राज्यों में अप्रेंटिसशिप के रिक्त पदों पर भर्ती के लिए आवेदन मांगे हैं. यह भर्ती देशभर में 400 पदों के लिए की जा रही है. आवेदन प्रक्रिया 1 मार्च 2025 से शुरू हो चुकी है और आवेदन की अंतिम डेट 15 मार्च 2025 है.

ऐसे में जो उम्मीदवार इस भर्ती के लिए पात्रता मानदंड को पूरा करते हैं, वे बैंक ऑफ इंडिया की आधिकारिक वेबसाइट bankofindia.co.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. इस भर्ती अभियान के लिए कैंडिडेट्स अंतिम डेट से पहले आवेदन कर लें. आखिरी डेट निकल जाने के बाद उन्हें आवेदन का अवसर नहीं मिलेगा.

ये है रिक्ति विवरण

  • उत्तर प्रदेश: 43 पद
  • बिहार: 29 पद
  • छत्तीसगढ़: 5 पद
  • दिल्ली: 6 पद
  • गुजरात: 48 पद
  • झारखंड: 30 पद
  • कर्नाटक: 12 पद
  • केरल: 5 पद
  • मध्य प्रदेश: 62 पद
  • महाराष्ट्र: 67 पद
  • ओडिशा: 9 पद
  • राजस्थान: 18 पद
  • तमिलनाडु: 7 पद
  • त्रिपुरा: 7 पद
  • पश्चिम बंगाल: 52 पद 

जरूरी योग्यता
बैंक ऑफ इंडिया की इस भर्ती में भाग लेने के लिए उम्मीदवार का किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय या संस्थान से स्नातक डिग्री प्राप्त होना आवश्यक है.

उम्र सीमा
इसके अलावा उम्मीदवार की आयु 1 जनवरी 2025 तक 20 से 28 वर्ष के बीच होनी चाहिए. आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को नियमानुसार आयु में छूट मिलेगी. इस भर्ती के लिए आयु सीमा का निर्धारण 1 जनवरी 2025 के आधार पर किया जाएगा.

इतना देना होगा आवेदन शुल्क

इस भर्ती में शामिल होने के लिए शुल्क भी निर्धारित किया गया है. जनरल, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस वर्ग के उम्मीदवारों को 800 रुपये का शुल्क देना होगा, जबकि एससी/एसटी वर्ग के उम्मीदवारों को 600 रुपये का शुल्क देना होगा. महिला उम्मीदवारों और पीएच वर्ग के उम्मीदवारों के लिए शुल्क 600 रुपये और 400 रुपये निर्धारित किया गया है. यह शुल्क ऑनलाइन माध्यम से जमा किया जा सकता है.

आवेदन प्रक्रिया
इस भर्ती के लिए आवेदन करने के लिए उम्मीदवारों को सबसे पहले बैंक ऑफ इंडिया की आधिकारिक वेबसाइट bfsissc.com/boi.php पर जाना होगा. वहां, “Apply through NATS Portal” पर क्लिक करें. इसके बाद उम्मीदवार को रजिस्ट्रेशन लिंक पर क्लिक करके पंजीकरण करना होगा.

पंजीकरण हो जाने के बाद उम्मीदवार को मांगी गई डिटेल्स दर्ज करें. आवेदन फॉर्म को पूरा करने के बाद उम्मीदवार को निर्धारित शुल्क का भुगतान करना होगा. अंत में उम्मीदवार आवेदन पत्र को सबमिट करें और उसका प्रिंटआउट निकालकर सेव रख लें.

यह भी पढ़ें: Success Story: दो बार फेल हुईं, बीमारी से लड़ी लेकिन हिम्मत नहीं हारी, AIR 94 लाकर बनीं IFS ऑफिसर

Continue Reading

क्या है Unschooling, जिसका बढ़ रहा ट्रेंड, क्या भारत में यह है कानूनी?

अमेरिका में 2 मिलियन से अधिक बच्चे घर पर ही शिक्षा प्राप्त करते हैं. इनमें से लगभग 13% बच्चे ‘अनस्कूलिंग’ मेथड फॉलो करते हैं. इसको भारत में लेकर क्या कानून है इसको लेकर आज हम आपको बताएं. इसके साथ ही हम आपको बता रहे हैं कि आखिर अनस्कूलिंग होती क्या है.

जानिए अनस्कूलिंग क्या है?

अनस्कूलिंग एक एजुकेशन मेथड है जिसमें बच्चे औपचारिक सिलेबस के बजाय अपनी रुचि और जिज्ञासा के अनुसार सीखते हैं. 1977 में अमेरिकी शिक्षक जॉन होल्ट ने इस विचार को लोकप्रिय बनाया. उन्होंने “ग्रोइंग विदाउट स्कूलिंग” नामक पत्रिका शुरू की, जिसमें बताया कि बच्चे स्कूल के बाहर भी प्रभावी रूप से सीख सकते हैं.

ऐसे काम करती है अनस्कूलिंग 

  • इस मेथड में:

– बच्चे खुद चुनते हैं कि वे क्या और कैसे सीखना चाहते हैं
– माता-पिता सिर्फ सहायक वातावरण बनाते हैं
– पाठ्यपुस्तकों और कार्यपुस्तिकाओं पर निर्भरता नहीं होती
– बच्चे किताबें, लोगों से बातचीत, विभिन्न स्थानों पर भ्रमण और प्रकृति के साथ अनुभवों से सीखते हैं
– परीक्षा या ग्रेडिंग नहीं होती
– बच्चा अपनी गति से सीखता है

अनस्कूलिंग के ये हैं फायदे 

  • इस एजुकेशन मेथड के कई फायदे हैं:

– सुरक्षित और अनुकूल शिक्षण वातावरण
– परिवार के मूल्यों के अनुरूप शिक्षा
– परीक्षा से जुड़े तनाव से मुक्ति (शोध बताता है कि 40% बच्चों में से 10% को परीक्षा की चिंता होती है)
– बच्चों में सीखने के प्रति उत्साह और जिज्ञासा बढ़ती है
– परिवार के सदस्यों के बीच अधिक निकटता
– लचीला कार्यक्रम जो परिवार-केंद्रित जीवनशैली को बढ़ावा देता है

अनस्कूलिंग एक ऐसा विकल्प है जिसमें बच्चे स्वाभाविक जिज्ञासा के माध्यम से अपनी शिक्षा का नेतृत्व करते हैं, जबकि माता-पिता उनकी यात्रा में सहायक की भूमिका निभाते हैं.

भारत में होमस्कूलिंग/अनस्कूलिंग का वर्तमान सिनेरियो

भारत में होमस्कूलिंग की अवधारणा विश्व के अन्य देशों से अलग है. यह एक रातोंरात आई प्रथा नहीं है, बल्कि 1970 के दशक से शुरू हुए बदलावों का परिणाम है, जिसने भारत में शिक्षा के वैकल्पिक तरीकों के प्रति नया दृष्टिकोण पैदा किया.

भारतीय माता-पिता के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सरकार हर बच्चे के ‘शिक्षा के अधिकार’ को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है. इसी कारण भारतीय न्यायिक प्रणाली होमस्कूलिंग या ऑनलाइन शिक्षा को शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) 2009 की किसी भी धारा (विशेषकर धारा 18 और 19) का उल्लंघन नहीं मानती है.

भारत में अनस्कूलिंग की वैधता पर विचार

भारत में अनस्कूलिंग (जो होमस्कूलिंग से थोड़ा अलग है, क्योंकि इसमें औपचारिक पाठ्यक्रम का पालन नहीं किया जाता) की वैधता एक ग्रे एरिया है. हालांकि RTE अधिनियम आधिकारिक तौर पर होमस्कूलिंग या अनस्कूलिंग को मान्यता नहीं देता, लेकिन इसे अवैध भी नहीं घोषित करता.

2010 में, गुजरात उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसला दिया था जिसमें कहा गया था कि माता-पिता अपने बच्चों को घर पर शिक्षा देने का विकल्प चुन सकते हैं, बशर्ते वे बच्चे के ऑल राउंड डेवलपमेंट को सुनिश्चित करें. वर्तमान में, कई भारतीय परिवार विभिन्न ऑनलाइन स्कूलों, ओपन स्कूलिंग सिस्टम (जैसे NIOS) या विदेशी बोर्ड के माध्यम से होमस्कूलिंग का विकल्प चुन रहे हैं, जो कानूनी रूप से स्वीकार्य है.

अनस्कूलिंग के संदर्भ में, यह आवश्यक है कि बच्चे के सीखने के अनुभव को दस्तावेजित किया जाए और वह कुछ मानक मूल्यांकनों में भाग ले, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उसका शैक्षिक विकास हो रहा है.

यह भी पढ़ें: Success Story: दो बार फेल हुईं, बीमारी से लड़ी लेकिन हिम्मत नहीं हारी, AIR 94 लाकर बनीं IFS ऑफिसर

Continue Reading

जमीन, हवा और पानी में लड़ने में माहिर होते हैं ये कमांडो, जानिए कैसे होता है सिलेक्शन और कितनी मिलती है सैलरी

मरीन कमांडो (Marine Commandos) भारतीय नौसेना की एक विशेष बल इकाई है, जिसे MARCOS (Marine Commandos Force) के नाम से भी जाना जाता है. यह भारत की अत्यधिक प्रशिक्षित और कुशल विशेष बलों में से एक है. आइए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं. 

जानिए कौन होते हैं मरीन कमांडो

मरीन कमांडो भारतीय नौसेना के विशेष बल हैं जिन्हें 1987 में स्थापित किया गया था. इन्हें “मार्कोस” (MARCOS) के नाम से भी जाना जाता है, जो “Marine Commando Force” का संक्षिप्त रूप है. ये अत्यधिक प्रशिक्षित योद्धा होते हैं जो जल, थल और वायु में किसी भी परिस्थिति में अभियान चला सकते हैं.

ऐसे होती है मार्कोस की नियुक्ति

  • प्रारंभिक चयन: मरीन कमांडो बनने के लिए सबसे पहले व्यक्ति को भारतीय नौसेना में भर्ती होना पड़ता है.
  • स्वैच्छिक आवेदन: नौसेना के जवान या अधिकारी MARCOS में शामिल होने के लिए स्वैच्छिक आवेदन करते हैं.
  • कठोर शारीरिक परीक्षण: उम्मीदवारों को अत्यंत कठिन शारीरिक परीक्षणों से गुजरना पड़ता है.
  • मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन: उम्मीदवारों का मानसिक हठ और तनाव में कार्य करने की क्षमता का मूल्यांकन किया जाता है.
  • विशेष प्रशिक्षण: चयनित उम्मीदवारों को लगभग 3 साल का विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है. बेसिक कमांडो कोर्स, स्कूबा डाइविंग और अंडरवाटर ऑपरेशन, पैराशूट ट्रेनिंग, जंगल और पर्वतीय युद्ध प्रशिक्षण  आतंकवाद विरोधी अभियान प्रशिक्षण और बंदी बचाव अभियान प्रशिक्षण की ट्रेनिंग होती है. 

मार्कोस के ये होते हैं मुख्य टास्क

  • आतंकवाद विरोधी अभियान: समुद्री क्षेत्र में आतंकवादी गतिविधियों का मुकाबला करना.
  • विशेष अभियान: समुद्र, नदियों या झीलों में विशेष सैन्य अभियान चलाना.
  • बंधक बचाव अभियान: जहाजों या तटीय क्षेत्रों में बंधक बनाए गए लोगों को बचाना.
  • समुद्री डकैती रोकना: समुद्री डकैती और समुद्री लुटेरों के खिलाफ अभियान.
  • सीमा सुरक्षा: समुद्री सीमाओं की सुरक्षा करना.
  • खुफिया जानकारी एकत्र करना: शत्रु क्षेत्रों में खुफिया जानकारी एकत्र करना.
  • सबोटाज ऑपरेशन: शत्रु के ठिकानों और उपकरणों को नष्ट करना.
  • अन्य विशेष कार्य: युद्ध या आपातकालीन स्थितियों में विशेष अभियान चलाना.

मार्कोस को इतनी मिलती है सैलरी

मरीन कमांडो का वेतन उनके रैंक, अनुभव और विशेषज्ञता के आधार पर अलग-अलग होता है. 

  • मूल वेतन: रैंक के अनुसार ₹25,000 से ₹1,20,000 प्रति माह तक हो सकता है.
  • भत्ते: मूल वेतन के अतिरिक्त, वे निम्नलिखित भत्ते प्राप्त करते हैं:
       – विशेष बल भत्ता (Special Forces Allowance)
       – जोखिम भत्ता (Risk Allowance)
       – परिवहन भत्ता (Transport Allowance)
       – आवासीय भत्ता (Housing Allowance)
       – राशन भत्ता (Ration Allowance)
       – वर्दी भत्ता (Uniform Allowance)

कुल मिलाकर, एक मरीन कमांडो की औसत मासिक आय लगभग 60,000 से 2,00,000 रुपये तक हो सकती है, जो उनके रैंक और सेवा अवधि पर निर्भर करती है. मरीन कमांडो भारतीय सशस्त्र बलों के सबसे प्रतिष्ठित और शक्तिशाली विशेष बलों में से एक हैं, जिन्हें “समुद्री देवदूत” भी कहा जाता है.

यह भी पढ़ें: Success Story: दो बार फेल हुईं, बीमारी से लड़ी लेकिन हिम्मत नहीं हारी, AIR 94 लाकर बनीं IFS ऑफिसर

Continue Reading

Success Story: बिना कोचिंग पास किया UPSC, IAS छोड़कर IPS को दिया पहला प्रेफरेंस, सोशल मीडिया पर हैं लाखों फॉलोअर्स

UPSC परीक्षा पास करना एक बहुत बड़ी उपलब्धि मानी जाती है, जो दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है. इस परीक्षा के लिए सिर्फ बुद्धि नहीं, बल्कि मानसिक मजबूती, कठिन परिश्रम और धैर्य की भी आवश्यकता होती है. कई उम्मीदवार इस परीक्षा की तैयारी में सालों लगा देते हैं, फिर भी सफलता की गारंटी नहीं होती. हम आपके लिए एक खास सीरीज ‘सक्सेस मंत्रा’ लेकर आए हैं, जिसमें आज हम आपको बताएंगे IPS अधिकारी आशना चौधरी की. इनकी कहानी आत्मविश्वास और दृढ़ निश्चय की सशक्त मिसाल है. उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर हापुड़ ज़िले में स्थित पिलखुआ से आशना का IPS अधिकारी बनने तक का सफर प्रेरणादायक है. 

दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी श्रीराम कॉलेज से की पढ़ाई

UPSC की अपनी पहली दो कोशिशों में असफल होने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी. इन असफलताओं को उन्होंने सीखने और खुद को सुधारने के अवसर के रूप में लिया. आशना की शैक्षिक यात्रा भी शानदार रही. उन्होंने अपनी 12वीं की परीक्षा में 96.5% अंक प्राप्त किए और दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्रीराम कॉलेज से इंग्लिश लिटरेचर में स्नातक की डिग्री हासिल की. इसके बाद, उन्होंने साउथ एशियन यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल रिलेशंस में मास्टर डिग्री की और साथ ही एक NGO में काम किया, जो वंचित बच्चों की मदद करता था.

तीसरे अटेम्प्ट में पास किया UPSC

2019 में, अपने परिवार से प्रेरित होकर आशना ने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू की. पहले दो प्रयासों में असफल होने के बाद भी उन्होंने हार मानने के बजाय अपनी रणनीति में बदलाव किया और और भी कड़ी मेहनत की. उन्होंने अपनी गलतियों का विश्लेषण किया, तैयारी की विधि को सुधारा, और मॉक टेस्ट के साथ रिवीजन किया. 

अच्छी रैंक आने के बाद भी IAS छोड़ IPS को चुना 

आखिरकार, 2022 में अपने तीसरे प्रयास में आशना ने UPSC परीक्षा पास की और ऑल इंडिया रैंक 116 हासिल की. वह चाहतीं तो आईएएस को प्रेफरेंस में भर सकती थीं लेकिन उन्होंने भारतीय पुलिस सेवा (IPS) को पहले प्रेफरेंस दिया. उन्होंने यह सफलता बिना कोचिंग के, केवल आत्म-अध्यान और रणनीतिक तैयारी के जरिए हासिल की. उनकी सफलता यह साबित करती है कि मेहनत, सही दिशा और निरंतर प्रयास से बड़ी से बड़ी बाधाओं को पार किया जा सकता है.

सोशल मीडिया पर नहीं हैं किसी सेलिब्रिटी से कम 

आशना सोशल मीडिया पर भी सक्रिय हैं और Instagram पर 2.75 लाख फॉलोअर्स के साथ अपने अनुभव और सलाह साझा करती हैं. वह aspirants को यह संदेश देती हैं कि “असफलता अंत नहीं, सफलता की ओर एक कदम है.” उनकी कहानी न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह हमें यह भी सिखाती है कि कभी भी अपने सपनों को छोड़ना नहीं चाहिए और हमेशा सुधार के लिए प्रयास करते रहना चाहिए.

यह भी पढ़ें: प्राइवेट जॉब से IAS तक का सफर, बिना कोचिंग PCS किया क्लियर, फिर लगाया UPSC का नंबर

Continue Reading

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता और ISRO के साइंटिस्ट इस सेंट्रल यूनिवर्सिटी से कर चुके हैं पढ़ाई, जानिए कैसे मिलता है एडमिशन

केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम 2009 के तहत स्थापित, सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ गुजरात (CUG) ने अपने 16 सालों के सफर में शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. 2009 में अपनी यात्रा शुरू करने वाले इस विश्वविद्यालय ने शुरुआत में छोटे पैमाने पर कार्य किया, लेकिन आज यह गुजरात का एक प्रमुख शैक्षणिक संस्थान बन चुका है. विश्वविद्यालय की स्थापना का मुख्य उद्देश्य था उच्च शिक्षा को अधिक समावेशी और पहुंच योग्य बनाना. शुरुआत में सेक्टर 29, गांधीनगर में अस्थायी परिसर से शुरू हुआ यह विश्वविद्यालय, अब शाहपुर में अपने स्थायी परिसर में विकसित हो रहा है.

प्रवेश प्रक्रिया: योग्य छात्रों के लिए अवसर

CUG में प्रवेश की प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी और योग्यता आधारित है. स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए छात्रों को CUET-PG (सेंट्रल यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट फॉर पोस्ट ग्रेजुएट) परीक्षा पास करना आवश्यक है. वहीं, पीएचडी प्रोग्राम के लिए UGC-NET या CSIR-NET के साथ-साथ विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित इंटरव्यू में पास होना जरूरी है.

यूनिवर्सिटी में ये हैं कोर्स और फीस स्ट्रक्चर

वर्तमान में CUG में कई स्कूल और केंद्र हैं जो विभिन्न विषयों में स्नातकोत्तर और शोध पाठ्यक्रम कर रहे हैं:

– स्कूल ऑफ केमिकल साइंसेज
– स्कूल ऑफ एनवायरनमेंटल साइंसेज
– स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज
– स्कूल ऑफ लैंग्वेज, लिटरेचर एंड कल्चर स्टडीज
– स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज
– स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज
– स्कूल ऑफ लाइब्रेरी एंड इनफॉर्मेशन साइंस

स्नातक स्तर पर BA, BA (Hons.) Research  की वार्षिक फीस लगभग 7,500 से 10,000 रुपये के बीच है, मास्टर्स स्तर पर MA, M.Sc, M.Ed, M.Phil की फीस 8 हज़ार से 14 हजार जबकि पीएचडी प्रोग्राम के लिए शुल्क प्रति वर्ष लगभग 8,000 से 12,000 रुपये है. यह शुल्क अन्य निजी विश्वविद्यालयों की तुलना में काफी कम है, जिससे अधिक से अधिक छात्र गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं.

प्रसिद्ध पूर्व छात्र और उनकी उपलब्धियां: 

CUG के कई पूर्व छात्रों ने अपने-अपने क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. कुछ प्रमुख नाम हैं:

– डॉ. प्रणव पटेल, जिन्होंने पर्यावरण विज्ञान के क्षेत्र में अपने शोध के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीता.
– सुश्री अंजलि मेहता, जो अब ISRO में वैज्ञानिक के रूप में कार्यरत हैं.
– डॉ. राजेश शर्मा, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर अपने काम के लिए ख्याति प्राप्त की है और अब दिल्ली के एक प्रमुख थिंक टैंक में कार्यरत हैं.
– सुश्री नीलम सिंह, जो अब एक प्रसिद्ध समाजसेवी हैं और गुजरात के आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा के प्रसार के लिए काम कर रही हैं.
 भविष्य की योजनाएं

यह भी पढ़ें: Success Story: दो बार फेल हुईं, बीमारी से लड़ी लेकिन हिम्मत नहीं हारी, AIR 94 लाकर बनीं IFS ऑफिसर

Continue Reading

देश के 3522 यूनिवर्सिटी और कॉलेज में नहीं घटी खुदकुशी की कोई घटना: UGC

यूजीसी (यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन) ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केंद्रीय, राज्य, निजी और डीम्ड विश्वविद्यालयों सहित कॉलेजों से कोई आत्महत्या के मामले सामने नहीं आए हैं. हालांकि, इस पर याचिकाकर्ताओं ने यह दावा किया कि IITs, IIMs और राष्ट्रीय कानून विश्वविद्यालयों (NLUs) ने आत्महत्या से संबंधित डेटा नहीं दिया है, जबकि इन संस्थानों में छात्रों की आत्महत्या की घटनाएं पहले सामने आ चुकी हैं.

सुप्रीम कोर्ट में यह हलफनामा सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा पेश किया गया, जिसमें बताया गया कि जानकारी 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों, 293 राज्य विश्वविद्यालयों, 269 निजी विश्वविद्यालयों और 103 डीम्ड विश्वविद्यालयों से प्राप्त की गई है. इसके अलावा, 2,812 कॉलेजों से भी डेटा लिया गया है.

याचिकाकर्ता आबेदा सलीम तड़वी और राधिका वेमुला, जो दो छात्रों की आत्महत्या के मामलों में अपनी याचिका लेकर कोर्ट में आईं थीं, ने यह आरोप लगाया कि IITs, IIMs और NLUs ने आत्महत्या के मामलों और जातिवाद आधारित भेदभाव के बारे में यूजीसी के अनुरोध पर जानकारी नहीं दी. इस पर वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कोर्ट में यह दावा किया कि इन प्रतिष्ठित संस्थानों ने यूजीसी द्वारा मांगी गई जानकारी का जवाब नहीं दिया है, जो एक गंभीर चिंता का विषय है.

यूजीसी के हलफनामे में यह भी उल्लेख किया गया कि देशभर में 1,503 छात्रों ने जातिवाद आधारित भेदभाव की शिकायतें की थीं, जिनमें से 1,426 शिकायतों का समाधान किया जा चुका है. इस पर तुषार मेहता ने बताया कि एक विशेषज्ञ समिति को गठित किया गया था, जो SC/ST/OBC/PwD और अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों के लिए उच्च शिक्षा संस्थानों में मौजूदा यूजीसी नियमों की दोबारा समीक्षा करेगी. इस समिति ने यूजीसी (प्रमोशन ऑफ इक्विटी इन हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूशन्स) रेगुलेशन 2025 का ड्राफ्ट भी तैयार कर दिया है.

यूजीसी ने जो जानकारी दी है उससे यह संकेत मिलता है कि हालांकि आत्महत्या के मामले विश्वविद्यालयों और कॉलेजों से संबंधित नहीं आए हैं, लेकिन जातिवाद आधारित भेदभाव की शिकायतों की संख्या बहुत अधिक रही है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शैक्षिक संस्थानों से और अधिक पारदर्शिता की उम्मीद जताई है, खासकर जब यह संबंधित मामलों में डेटा साझा करने की बात हो. यह मामला अब इस पर विचार करने के लिए कोर्ट में चला गया है कि क्या इन संस्थानों को आत्महत्या और जातिवाद जैसे मामलों पर अधिक जानकारी और जवाबदेही के लिए बाध्य किया जा सकता है.

यह भी पढ़ें: Success Story: दो बार फेल हुईं, बीमारी से लड़ी लेकिन हिम्मत नहीं हारी, AIR 94 लाकर बनीं IFS ऑफिसर

Continue Reading

United Nations में नौकरी करने का सुनहरा मौका, ऑनलाइन और ऑफलाइन मोड में कर सकेंगे जॉब, ऐसे करें अप्लाई

संयुक्त राष्ट्र (UN) एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जिसकी स्थापना 1945 में द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद की गई थी. इसका मुख्य उद्देश्य विश्व में शांति और सुरक्षा बनाए रखना है. UN के विभिन्न कार्यक्रम दुनिया भर में चलाए जाते हैं, जिनका लाभ लाखों लोगों को मिलता है, विशेषकर भारत में. इसीलिए, कई भारतीय यह जानने के इच्छुक हैं कि वे इस प्रतिष्ठित संगठन में कैसे काम कर सकते हैं.

संयुक्त राष्ट्र के कार्यालय विश्व के कई हिस्सों में हैं स्थित 

संयुक्त राष्ट्र का मुख्यालय न्यूयॉर्क में है, लेकिन इसके कार्यालय विश्व के विभिन्न हिस्सों में भी स्थित हैं, जहां लोगों को नौकरी पर रखा जाता है. UN में सबसे अधिक लोकप्रिय विकल्पों में कंसल्टेंसी, इंटर्नशिप और वॉलंटियरिंग शामिल हैं. संयुक्त राष्ट्र को वॉलंटियर की आवश्यकता होती है और इसके लिए वह नियमित रूप से ऑनलाइन वैकेंसी जारी करता है. एक अच्छी बात यह है कि वॉलंटियरिंग का काम घर से भी किया जा सकता है.

फ्री में आप कर सकते हैं आवेदन

संयुक्त राष्ट्र के ऑनलाइन वॉलंटियर प्रोग्राम का एक बड़ा लाभ यह है कि आवेदन करने के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता. इसका मतलब है कि आप बिना किसी खर्च के वॉलंटियर बनने के लिए आवेदन कर सकते हैं. यदि आप चयनित होते हैं, तो आपको विभिन्न संगठनों के साथ काम करने का अवसर मिलेगा और आप बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम कर सकेंगे. ऑनलाइन वॉलंटियरिंग का काम लचीला होता है, जो आपके व्यक्तिगत शेड्यूल में समाहित किया जा सकता है. यह आपको अपनी क्षमताओं को सुधारने और अंतरराष्ट्रीय अनुभव प्राप्त करने का भी मौका देता है. 

कई संगठन हैं संयुक्त राष्ट्र में शामिल

संयुक्त राष्ट्र के कई संगठनों में शामिल हैं, जैसे UNESCO, WHO, UNICEF, और WFP. यदि आप ऑनलाइन वॉलंटियर बनना चाहते हैं, तो आपको app.unv.org पर जाकर आवेदन करना होगा. यहां आपको विभिन्न संगठनों में उपलब्ध वॉलंटियर पदों की जानकारी मिलेगी. आवेदन करते समय यह सुनिश्चित करें कि आप ऑनलाइन वॉलंटियरिंग का विकल्प चुनें और आवश्यक योग्यता की जांच अवश्य करें. कुछ वॉलंटियर प्रोग्राम में आपको वित्तीय सहायता भी मिल सकती है.

यह भी पढ़ें: बुंदेलखंड में सूखा मिटाने में इस यूनिवर्सिटी का रहा है अहम योगदान, जानिए कैसे होता है एडमिशन?

Continue Reading

महात्मा गांधी सेंट्रल यूनिवर्सिटी में कैसे मिलता है दाखिला? यहां पढ़ें प्रवेश परीक्षा से लेकर एडमिशन की पूरी जानकारी

महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय (एमजीसीयू) संसद के एक अधिनियम, केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) अधिनियम 2014 (2014 की संख्या 35) द्वारा अस्तित्व में आया. विश्वविद्यालय 3 फरवरी 2016 को फंक्शनल हो गया. बिहार के मोतिहारी में स्थित यह यूनिवर्सिटी महात्मा गांधी के चंपारण सत्याग्रह के ऐतिहासिक स्थल के नजदीक है. विश्वविद्यालय की स्थापना का मुख्य उद्देश्य उच्च शिक्षा को ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाना और गांधीवादी मूल्यों के साथ आधुनिक शिक्षा का समन्वय करना था.

500 एकड़ से अधिक के क्षेत्र में बनी है यूनिवर्सिटी 

शुरुआती दिनों में विश्वविद्यालय सीमित संसाधनों और अस्थाई परिसर से अपनी यात्रा शुरू की थी. धीरे-धीरे विस्तार करते हुए अब यह 500 एकड़ से अधिक के क्षेत्र में फैला हुआ है. शुरुआत में केवल कुछ पाठ्यक्रमों के साथ शुरू हुआ यह विश्वविद्यालय अब विभिन्न विषयों में स्नातक, स्नातकोत्तर और शोध कार्यक्रम प्रदान करता है.

इस तरह से होता है एडमिशन 

एमजीसीयू में प्रवेश प्रक्रिया काफी पारदर्शी और व्यवस्थित है. स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश मुख्य रूप से 12वीं कक्षा के अंकों के आधार पर होता है, जबकि स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए विश्वविद्यालय अपनी प्रवेश परीक्षा आयोजित करता है. विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए छात्रों को सीयूईटी (कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट) की परीक्षा देनी होती है. इस परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर ही दाखिला दिया जाता है. स्नातकोत्तर और पीएचडी पाठ्यक्रमों के लिए, प्रवेश परीक्षा के बाद शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों का साक्षात्कार या मौखिक परीक्षा भी ली जाती है. विशेष श्रेणियों जैसे SC, ST, OBC और दिव्यांग छात्रों के लिए सरकारी नियमों के अनुसार आरक्षण का प्रावधान है.

40 से अधिक विभाग चल रहे हैं यूनिवर्सिटी में 

वर्तमान में विश्वविद्यालय में कई फैकल्टी के अंतर्गत 40 से अधिक विभाग हैं, जो विभिन्न पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं. फैकल्टी ऑफ ह्यूमैनिटीज में हिंदी, अंग्रेजी, इतिहास, राजनीति विज्ञान, समाजशास्त्र, फिलॉसफी, मनोविज्ञान जैसे विषय शामिल हैं. साइंस फैकल्टी में भौतिकी, रसायन विज्ञान, गणित, जीव विज्ञान, कंप्यूटर विज्ञान के पाठ्यक्रम हैं. कॉमर्स एंड मैनेजमेंट में बीकॉम, एमकॉम, एमबीए, वित्त प्रबंधन के कोर्स हैं. इसके अलावा एजुकेशन फैकल्टी में बीएड, एमएड, अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में अंतरराष्ट्रीय संबंध, क्षेत्रीय अध्ययन और गांधीवादी अध्ययन में गांधीवादी विचार, शांति अध्ययन, संघर्ष समाधान के पाठ्यक्रम प्रदान किए जाते हैं.

ये कोर्स भी पढ़ाए जाते हैं यूनिवर्सिटी में 

विशेष रूप से, विश्वविद्यालय ने हाल के वर्षों में डेटा साइंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सुरक्षा, और जलवायु परिवर्तन अध्ययन जैसे नए-युग के पाठ्यक्रम भी शुरू किए हैं, जो छात्रों को आधुनिक कार्यक्षेत्र की चुनौतियों के लिए तैयार करते हैं. एमजीसीयू की फीस स्ट्रक्चर अन्य निजी विश्वविद्यालयों की तुलना में काफी किफायती है, जो इसके ‘सभी के लिए शिक्षा’ के दर्शन को दर्शाता है.

ये लगती है फीस 

M.A./M.Sc.मैथ्स, M.A. (अर्थशास्त्र/राजनीति विज्ञान/समाजशास्त्र/अंग्रेजी/हिन्दी/गांधी अध्ययन/संस्कृत/शिक्षा/लोक प्रशासन), B.L.I.Sc, B.A. (जे.एम.सी), B.Com.(H) और M.Com. के लिए प्रति सेमेस्टर लगभग 5 हजार से 9 हजार रुपये, पेशेवर पाठ्यक्रम B.Tech. और MBA के लिए प्रति सेमेस्टर लगभग 15 हजार-25 हजार रुपये जबकि M.Tech. (Comp. Science) की फीस 12 हजार रुपये और पीएचडी के लिए प्रति सेमेस्टर लगभग 16 हजार से 19 हजार रुपये शुल्क है. M.Sc. (Life Sciences)M.Sc.(Physics/ Chemistry) की फीस 6500 से 9 हजार निर्धारित है. विश्वविद्यालय मेधावी और आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए स्कॉलरशिप और शुल्क में छूट के विभिन्न प्रावधान भी प्रदान करता है. SC/ST/OBC श्रेणियों के छात्रों को सरकारी नियमों के अनुसार शुल्क में विशेष रियायत दी जाती है.

यह भी पढ़ें: बुंदेलखंड में सूखा मिटाने में इस यूनिवर्सिटी का रहा है अहम योगदान, जानिए कैसे होता है एडमिशन?

Continue Reading

सीयूईटी यूजी 2025 के लिए जल्द शुरू होंगे रजिस्ट्रेशन, इस बार हुए हैं कई बदलाव

CUET UG 2025 रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया जल्द ही शुरू होने वाली है. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) द्वारा कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET UG) 2025 के लिए रजिस्ट्रेशन जल्द ही शुरू किया जाएगा, हालांकि अभी तक NTA ने रजिस्ट्रेशन के शुरू होने की डेट और समय का ऐलान नहीं किया है. जैसे ही नोटिफिकेशन जारी होगा, उम्मीदवार परीक्षा से जुड़ी जरूरी जानकारी जैसे कि परीक्षा की डेट, रजिस्ट्रेशन की डेट, आवेदन कैसे करें, शुल्क, और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकेंगे.

पिछले साल 2024 में CUET UG 2025 के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया 27 फरवरी से शुरू हुई थी. इसलिए उम्मीदवारों को इस साल भी कुछ उसी समय रजिस्ट्रेशन की उम्मीद हो सकती है. 

परीक्षा की प्रक्रिया में किए गए कई बदलाव 

इस साल के CUET UG में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं. यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) ने इस परीक्षा की प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी और मानकीकरण के लिए कई बदलाव किए हैं. इनमें से कुछ प्रमुख बदलाव ये हैं:

  • विषयों की संख्या में कमी: उम्मीदवार अब केवल पांच विषयों को ही चुन सकते हैं, जबकि पहले छह विषयों का चयन किया जा सकता था. यह बदलाव उम्मीदवारों के लिए अधिक लचीला विकल्प नहीं है, लेकिन इसे एक कदम और सटीक बनाने के लिए लिया गया है.

  • कंप्यूटर-बेस्ड टेस्ट होगा: इस साल से यह परीक्षा पूरी तरह से कंप्यूटर आधारित होगी, पहले कुछ हिस्से पेपर-आधारित होते थे, लेकिन अब केवल कंप्यूटर आधारित परीक्षा ही होगी.

  • परीक्षा की अवधि: अब CUET UG की परीक्षा की अवधि 60 मिनट होगी, जो पहले 45 से 60 मिनट के बीच बदलती रहती थी. यह बदलाव परीक्षा की समयसीमा को समान और सटीक बनाने के लिए किया गया है.

  • वैकल्पिक प्रश्नों का एलिमिनेशन: पहले कुछ प्रश्नों को वैकल्पिक (Optional) रखा जाता था, लेकिन अब सभी प्रश्न अनिवार्य होंगे, जिससे परीक्षा में उम्मीदवारों को कोई भी प्रश्न छोड़ने का मौका नहीं मिलेगा.

  • हाइब्रिड मॉडल का अंत: पिछले कुछ वर्षों में हाइब्रिड परीक्षा मॉडल था, जिसमें ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों विकल्प थे. इस साल से यह हाइब्रिड मॉडल समाप्त कर दिया गया है, और पूरी परीक्षा केवल ऑनलाइन (कंप्यूटर आधारित) ही होगी.

आधिकारिक वेबसाइट पर बनाएं रहें नजर 

जो छात्र CUET UG 2025 के लिए इंतजार कर रहे हैं, वे आधिकारिक वेबसाइट cuet.nta.nic.in और nta.ac.in पर जाकर सभी लेटेस्ट अपडेट प्राप्त कर सकते हैं. जैसे ही नोटिफिकेशन जारी होगा, उम्मीदवार आवेदन प्रक्रिया, परीक्षा डेट और अन्य जानकारी जान सकेंगे.

 

यह भी पढ़ें: बुंदेलखंड में सूखा मिटाने में इस यूनिवर्सिटी का रहा है अहम योगदान, जानिए कैसे होता है एडमिशन?

Continue Reading

UPPSC PCS Prelims Result: यूपी पीसीएस प्री परीक्षा का रिजल्ट जारी, ऐसे कर सकते हैं चेक

UPPSC PCS Prelims Result: उत्तर प्रदेश लोकसभा आयोग से जुड़ी बड़ी खबर सामने आई है. यूपी पीसीएस प्री परीक्षा परिणाम का इंतजार कर रहे छात्रों के लिए खुशखबरी है.  यूपी पीएससी की ओर से पीसीएस प्री परीक्षा के नतीजे घोषित कर दिए गए हैं. प्री परीक्षा में 15 हजार 66 अभ्यर्थी सफल घोषित किए गए हैं, ये उम्मीदवार मेंस एग्जाम में बैठ सकेंगे. बता दें, 22 दिसंबर 2024 को पीसीएस प्री परीक्षा आयोजित की गई थी.

इस परीक्षा में शामिल होने वाले उम्मीदवार आधिकारिक वेबसाइट uppsc.up.nic.in पर जाकर अपना रिजल्ट चेक कर सकते हैं. आयोग ने अभ्यर्थियों के रिजल्ट की पीडीएफ जारी की है. इसमें पास उम्मीदवार मेंस परीक्षा के लिए पात्र होंगे. उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की ओर से जल्द ही मेंस परीक्षा का भी शेड्यूल जारी कर दिया जाएगा. 

यह भी पढ़ें: रेलवे में नौकरी पाने का सुनहरा मौका आवेदन की आखिरी तारीख 1 मार्च, जल्दी करें आवेदन

इतने स्टूडेंट दे सकेंगे मेंस

यूपीपीएससी पीसीएस प्रीलिम्स परीक्षा में 15066 अभ्यर्थी सफल हुए हैं. सफल अभ्यर्थियों को मेंस परीक्षा में बैठने का मौका मिलेगा. बता दें, आयोग ने परीक्षा आयोजित करने के करीब दो महीने बाद रिजल्ट जारी कर दिया है. प्री परीक्षा में कुल 5,76,154 उम्मीदवारों ने आवेदन किया था, जिसमें से केवल 2,41,212 उम्मीदवार उपस्थिति हुए थे. बता दें, पीसीएस 2024 परीक्षा के जरिए 220 पदों पर भर्ती की जाएगी. 

ऐसे चेक कर सकते हैं रिजल्ट

  • परीक्षा देने वाले उम्मीदवारों को सबसे पहले उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की ऑफिशियल वेबसाइट  uppsc.up.nic.in पर जाना होगा.
  • इसके बाद होमपेज पर ही रिजल्ट का लिंक मिलेगा, जिस पर क्लिक करना होगा.
  • इसके बाद रिजल्ट की पीडीएफ फाइल पर क्लिक करके उसे ओपन करना हेागा.
  • उम्मीदवार अपना रोल नंबर डालकर रिजल्ट सर्च कर सकते हैं  

यह भी पढ़ें: सीयूईटी यूजी 2025 के लिए जल्द शुरू होंगे रजिस्ट्रेशन, इस बार हुए हैं कई बदलाव

Continue Reading

स्पेस में फंसी सुनीता विलियम्स को इतनी सैलरी देता है NASA, जानकर हैरान रह जाएंगे आप

काफी लंबे वक्त से स्पेस में फंसी सुनीता विलियम्स और उनका साथी बुच विलमोर जल्द ही धरती पर लौटेंगे. वे दोनों ही काफी लंबे वक्त से अंतरिक्ष में फंसे हुए हैं. लेटेस्ट रिपोर्ट्स की मानें तो दोनों को मार्च माह के मध्य तक धरती पर वापस लाने का प्लान है.

नासा की भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विलमोर नौ महीनों से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर फंसे हुए हैं. सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर 5 जून 2024 को ISS पहुंचे थे. उनका सफर बोइंग स्टारलाइनर कैप्सूल के जरिए हुआ था, मगर तकनीकी खामियों के चलते यह यान ISS से पृथ्वी पर लौट नहीं सका.

नासा की ओर से कहा गया था कि दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित वापस लाने के लिए स्पेसएक्स क्रू ड्रैगन कैप्सूल का इस्तेमाल किया जाएगा. अब तक वे सभी मेडिकल परीक्षणों में फिट पाए गए हैं और जल्द ही उनकी धरती पर सुरक्षित वापसी सुनिश्चित होगी. सुनीता विलियम्स पहले भी स्पेस में जा चुकी हैं और सफलता पूर्वक धरती पर लौटकर आई हैं. ऐसे में आइए जनते हैं सुनीता विलियम्स से जुड़ी कुछ खास बातें.

NASA में सैलरी कितनी होती है?

सुनीता विलियम्स पूर्व नौसेना अधिकारी और अनुभवी अंतरिक्ष यात्री हैं. उन्होंने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण अंतरिक्ष अभियानों में भाग लिया है. NASA में अंतरिक्ष यात्रियों को मोटी सैलरी दी जाती है. सुनीता विलियम्स जैसे वरिष्ठ अंतरिक्ष यात्रियों की सालाना सैलरी लगभग $152,258 (करीब 1.26 करोड़ रुपये) होती है.

यह भी पढ़ें- CBSE की तरह पाकिस्तान में भी हैं 10वीं और 12वीं परीक्षा के लिए बोर्ड, जानिए कैसे होती है पढ़ाई

कितनी है नेट वर्थ

नासा की ओर से  सुनीता विलियम्स को स्वास्थ्य बीमा, मिशन के लिए विशेष प्रशिक्षण, मानसिक और पारिवारिक सहायता, यात्रा भत्ता सहित कई सुविधाएं भी प्रदान करता है.  रिपोर्ट्स के मुताबिक सुनीता विलियम्स की कुल संपत्ति $5 मिलियन (लगभग 41.5 करोड़ रुपये) है.

यहां से की पढ़ाई-लिखाई

सुनीता विलियम्स ने वर्ष 1983 में नीधम हाई स्कूल से ग्रेजुएट हुईं. इसके बाद उन्होंने 1987 में यूनाइटेड स्टेट्स नेवल एकेडमी से भौतिक विज्ञान में बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री प्राप्त की. साल 1995 में उन्होंने फ्लोरिडा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से मास्टर ऑफ साइंस की डिग्री हासिल की जिसमें उनका मुख्य विषय इंजीनियरिंग मैनेजमेंट था.

यह भी पढ़ें- CBSE की एक साल में दो बोर्ड परीक्षाओं को लेकर यहां है हर सवाल का जवाब, सिलेबस से लेकर मार्कशीट तक हर जानकारी

 

Continue Reading

देश की किस यूनिवर्सिटी को माना जाता है नेताओं की फैक्ट्री? कई सीएम से भी कनेक्शन

दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला लेने के लिए छात्र-छात्राएं अक्सर परेशान रहते हैं. यहां के प्रतिष्ठित संस्थान से पढ़ाई करने की ख्वाहिश रखने वाले विद्यार्थियों की संख्या बहुत अधिक है. दिल्ली विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने वाले कई प्रसिद्ध व्यक्तित्वों ने अपने करियर में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है.

DU से पढ़े कई छात्र बन चुके हैं CM

दिल्ली की इस विश्वविद्यालय में देश के विभिन्न हिस्सों से छात्र आते हैं, ये छात्र विभिन्न क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाते हैं और विश्वविद्यालय का नाम रोशन करते हैं. यह सिलसिला वर्षों से जारी है, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, रेखा गुप्ता, मदनलाल खुराना, नवीन पटनायक, कपिल सिब्बल, जितिन प्रसाद, शशि थरूर, डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी, मनी शंकर अय्यर, विजय गोयल और अरुण जेटली जैसे नाम इस विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों की सूची में शामिल हैं.

बेहतरीन छवि

दिल्ली विश्वविद्यालय ने अपनी बेहतरीन शिक्षा प्रणाली और उत्कृष्ट कॉलेजों के कारण एक ऐसी छवि बनाई है कि यहां दाखिला लेना किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है.

दिल्ली विश्वविद्यालय से कई प्रतिभाशाली छात्र निकले हैं, जिन्होंने देश की दिशा और दशा को प्रभावित किया. इनमें हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नाम भी शामिल है, जिन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई चंडीगढ़ के पंजाब विश्वविद्यालय से की और फिर दिल्ली विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ लॉ से कानून की डिग्री हासिल की.

अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जरबोम गम्‍लिन भी 1981 से 1984 तक यहां के छात्र रहे. ओडिशा के कई बार मुख्यमंत्री रह चुके नवीन पटनायक ने दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज से पढ़ाई की. दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री चौधरी ब्रह्म प्रकाश ने भी रामजस कॉलेज से स्नातक की डिग्री प्राप्त की. दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री मदनलाल खुराना ने भी किरोड़ीमल कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की.

दिल्ली सीएम रेखा ने की पढ़ाई

मौजूदा मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दौलत राम कॉलेज से बी.कॉम किया. इसके अलावा, पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल और दिवंगत अरुण जेटली ने भी दिल्ली विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ लॉ से एलएलबी की पढ़ाई की. केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी और पूर्व मंत्री किरन रिजिजू जैसे कई अन्य नेताओं ने भी यहीं से शिक्षा प्राप्त की है.

यह भी पढ़ें: ये है एक ऐसी सेंट्रल यूनिवर्सिटी जहां SC-ST के लिए 50 प्रतिशत सीटें हैं रिजर्व, जानिए कैसे मिलता है एडमिशन 

Continue Reading

बुंदेलखंड में सूखा मिटाने में इस यूनिवर्सिटी का रहा है अहम योगदान, जानिए कैसे होता है एडमिशन?

झांसी की वीरांगना के नाम पर स्थापित रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (आरएलबीसीएयू) बुंदेलखंड क्षेत्र में कृषि शिक्षा का प्रमुख केंद्र बन चुका है. इसकी स्थापना 2014 में संसद के अधिनियम द्वारा हुई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य बुंदेलखंड जैसे सूखा-ग्रसित क्षेत्र में कृषि शिक्षा और रिसर्च को बढ़ावा देना था. झांसी में स्थित यह विश्वविद्यालय भारत सरकार के कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अधीन कार्य करता है.

ऐसे होता है यूनिवर्सिटी में एडमिशन

विश्वविद्यालय में प्रवेश पाना छात्रों के लिए प्रतिष्ठा का विषय है. स्नातक कार्यक्रमों के लिए प्रवेश मुख्य रूप से अखिल भारतीय कृषि प्रवेश परीक्षा (ICAR-AIEEA UG) के माध्यम से होता है, जिसे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा आयोजित किया जाता है. स्नातकोत्तर और पीएचडी कार्यक्रमों के लिए ICAR-AIEEA PG और ICAR-AICE JRF/SRF (PhD) परीक्षाओं के माध्यम से प्रवेश दिया जाता है. वही कुछ कोर्सेज में दाखिला सीयूईटी (कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट) के जरिए होता है. अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए सरकारी नियमों के अनुसार आरक्षण का प्रावधान है.

ये कोर्स पढ़ाए जाते हैं यूनिवर्सिटी में 

वर्तमान में विश्वविद्यालय कई पाठ्यक्रम प्रदान करता है. स्नातक स्तर पर बीएससी (ऑनर्स) कृषि, बीएससी (ऑनर्स) बागवानी, बीएससी (ऑनर्स) वानिकी, बीटेक (कृषि इंजीनियरिंग) और बीएससी (ऑनर्स) खाद्य प्रौद्योगिकी जैसे कार्यक्रम उपलब्ध हैं. स्नातकोत्तर स्तर पर कृषि विज्ञान, बागवानी, कृषि इंजीनियरिंग और अन्य संबंधित क्षेत्रों में एमएससी और पीएचडी कार्यक्रम प्रदान किए जाते हैं.

अलग-अलग कोर्स की ये है फीस 

फीस संरचना की बात करें तो बैचलर्स कोर्सेज के लिए प्रति सेमेस्टर लगभग 13,000 से 16,000 रुपये तक है, जबकि मास्टर्स कोर्सेज के लिए यह लगभग 18,000 से 25,000 रुपये प्रति सेमेस्टर है,वही PhD की फीस 28,000 रुपये प्रति सेमेस्टर निर्धारित है. छात्रावास, मेस और अन्य सुविधाओं के लिए अतिरिक्त शुल्क देना पड़ता है. आईसीएआर छात्रवृत्ति और अन्य सरकारी छात्रवृत्तियों के माध्यम से योग्य छात्रों को वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाती है, जिससे शिक्षा किफायती बनती है.

कई प्रतिष्ठित कृषि वैज्ञानिक और अधिकारी पढ़ चुके हैं इस यूनिवर्सिटी से 

इस विश्वविद्यालय से कई प्रतिष्ठित कृषि वैज्ञानिक और अधिकारी निकले हैं. डॉ. राजेश कुमार सिंह, जो अब भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं, ने यहां से अपनी शिक्षा पूरी की और सूखा-प्रतिरोधी फसलों पर अपने शोध के लिए अंतरराष्ट्रीय पहचान प्राप्त की. डॉ. सुनीता यादव, जो वर्तमान में एक प्रमुख कृषि-स्टार्टअप की संस्थापक हैं, ने विश्वविद्यालय से कृषि व्यवसाय प्रबंधन में अपनी डिग्री हासिल की और अब हजारों किसानों को रोजगार प्रदान कर रही हैं.

यह भी पढ़ें: ये है एक ऐसी सेंट्रल यूनिवर्सिटी जहां SC-ST के लिए 50 प्रतिशत सीटें हैं रिजर्व, जानिए कैसे मिलता है एडमिशन 

Continue Reading

रेखा गुप्ता होंगी दिल्ली की अगली मुख्यमंत्री, जान लीजिए कहां से की है पढ़ाई और किस चीज में है डिग्री

भारतीय जनता पार्टी की ओर से देश की राजधानी दिल्ली के लिए सीएम पद के उम्मीदवार का नाम घोषित कर दिया गया है. अब से दिल्ली की बागडोर रेखा गुप्ता के हाथ में होगी. ऐसे में आइए जानते हैं कि दिल्ली की नई मुख्यमंत्री किनती पढ़ी-लिखी हैं.

रेखा गुप्ता मूल रूप से हरियाणा के जींद की निवासी हैं, मात्र 2 वर्ष की आयु में दिल्ली आ गई थीं और तब से दिल्ली में ही रह रही हैं. रेखा गुप्ता की पूरी शिक्षा दिल्ली में ही हुई है. वे अपनी छात्र जीवन के दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़ीं और वहीं से उनका राजनीति में सक्रिय योगदान शुरू हुआ. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) में विभिन्न पदों पर कार्य किया. उनकी छात्र राजनीति में मजबूत पकड़ और संगठनात्मक कौशल ने उन्हें आगे बढ़ने में मदद की.

कौन सी है डिग्री?

दिल्ली की नई मुख्यमंत्री की पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो उन्होंने बीकॉम और एलएलबी की हुई है. उन्होंने बीकॉम की डिग्री दौलत राम कॉलेज से ली है. जबकि चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी मेरठ से उन्होंने लॉ की पढ़ाई पूरी की है.

कैसा रहा सफर?

रेखा गुप्ता ने राजनीति में अपनी यात्रा छात्र जीवन से ही शुरू कर दी थी. वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की सक्रिय सदस्य रही हैं और संगठनात्मक कार्यों में उनकी मजबूत पकड़ रही है.साल 1996-97 में वे दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) की महासचिव और फिर अध्यक्ष बनीं. इसके बाद, 2003-2004 तक उन्होंने भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा दिल्ली राज्य की सचिव के रूप में कार्य किया. उनकी मेहनत और नेतृत्व क्षमता को देखते हुए 2004-2006 में उन्हें भाजपा युवा मोर्चा की राष्ट्रीय सचिव बनाया गया.

इसके बाद 2007-2009 के बीच लगातार दो वर्षों तक उन्होंने महिला कल्याण एवं बाल विकास समिति, MCD की अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली. अब 2025 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने शालीमार बाग सीट से जीत दर्ज की है. आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार बंदना कुमारी को हराकर वे पहली बार विधायक बनी हैं. उनके इस सफर से साफ है कि वे संगठन और प्रशासन दोनों में मजबूत पकड़ रखती हैं और दिल्ली की राजनीति में उनकी भूमिका अहम हो सकती है.

यह भी पढ़ें: Assistant Professor Jobs 2025: 400 से ज्यादा पदों पर होगी असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती, लाखों में है सैलरी, ऐसे करें अप्लाई

Continue Reading