सिखों के अलावा कौन-कौन जा सकता है करतारपुर साहिब, कितनी देनी पड़ती है फीस?

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Kartarpur Sahib: भारत में सिख धर्म का इतिहास काफी पुराना है. जिस तरह सभी धर्मों के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल होते हैं. इस तरह सिख धर्म में भी कई धार्मिक स्थल हैं. जिनमें पांच तख्त यानी पांच गुरुद्वारे सबसे अहम हैं. यह पांचो ही भारत में है. जिनमें सबसे प्रमुख है श्री अकाल तख्त साहिब जो अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में है. इसके बाद तख्त श्री केशगढ़ साहिब पंजाब के रूपनगर जिले में है. तो वहीं तीसरा तख्त श्री दमदमा साहिब पंजाब के बठिंडा में चौथे नंबर पर तक श्री पटना साहिब जो पटना में हैं.

तो पांचवें नंबर पर तख्त श्री हजूर साहिब जो महाराष्ट्र में मौजूद है. इन गुरुद्वारे के अलावा सिखों के लिए एक जगह और सबसे अहम और पवित्र है. वह है करतारपुर साहिब जो कि पाकिस्तान में मौजूद है. हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु करतारपुर साहिब जाते हैं. कई लोगों के मन में सवाल आता है क्या सिख धर्म के अलावा और लोग भी यहां जा सकते हैं. इसके लिए क्या होती है टिकट की कीमत. 

किसी भी धर्म का इंसान जा सकता है करतारपुर साहिब

सिख धर्म अपने आप में बेहद खास है. सिख धर्म के गुरुद्वारों में धार्मिक भेदभाव देखने को बिल्कुल नहीं मिलता. यहां किसी भी धर्म का कोई भी व्यक्ति आ सकता है. गुरुद्वारे में चलने वाले लंगर में खाना खा सकता है. करतारपुर साहिब में भी धर्म को लेकर कोई पाबंदी नहीं लगाई गई है. सिख धर्म के अलावा अगर कोई हिंदू वहां जाना चाहे तो जा सकता है.

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कोई मुस्लिम वहां जाना चाहे तो जा सकता है. कोई जैन वहां जाना चाहे तो जा सकता है. इसी तरह पारसी, ईसाई और अन्य धर्म के लोग भी करतारपुर साहिब जा सकते हैं. इस पवित्र धार्मिक स्थल पर किसी तरह की धार्मिक पाबंदी नहीं है. 

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कितनी देनी होती है फीस?

करतारपुर साहिब पाकिस्तान में हैं जो भारत और पाकिस्तान दोनों ही ओर से संचालित किया जाता है. इस पूरे क्षेत्र को करतारपुर कॉरिडोर के नाम से जाना जाता है. करतारपुर पाकिस्तान के नरोवाल जिले में पड़ता है. वहीं पर करतारपुर साहिब गुरुद्वारा है. भारत से जाने वाले श्रद्धालु बिना वीजा के करतारपुर जा सकते हैं, लेकिन उन्हें करतारपुर साहिब में दर्शन करने के लिए और फीस चुकानी होती है. जो कि पाकिस्तान सरकार द्वारा तय की गई है. करतारपुर साहिब जाने के लिए 20 डाॅलर की फीस चुकानी होती है. जो कि भारतीय रुपये में तकरीबन 1600 के आसपास होते हैं. 

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