Stock Market Crash: डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की टैरिफ पॉलिसी (Tariff Policy) की घोषणा के बाद से ही पूरी दुनिया में खलबली मची हुई है. एक तरफ जहां लोग ट्रेड वॉर से डरे हुए हैं. वहीं दूसरी ओर शेयर मार्केट में निवेश करने वाले गिरते बाजार की वजह से परेशान हैं. हालांकि, एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये गिरावट तो कुछ भी नहीं है, अगर स्थिति नहीं संभली तो अमेरिकी मार्केट का हाल ऐसा हो सकता है, जैसा 1987 में हुआ था.
एक्सपर्ट ने क्या कहा?
अमेरिकी टीवी पर्सनालिटी और मार्केट एक्सपर्ट जिम क्रेमर ने शेयर मार्केट को लेकर डरावना अंदेशा जताया है. उन्होंने कहा कि सोमवार, 7 अप्रैल, 1987 की तरह शेयर बाजार के लिए सबसे बुरा दिन साबित हो सकता है! CNBC पर अपने शो Mad Money में क्रेमर ने साफ चेतावनी दी कि अगर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उन देशों से संपर्क नहीं किया जिन्होंने जवाबी टैरिफ नहीं लगाए हैं, तो यह 1987 जैसा क्रैश हो सकता है.
उन्होंने कहा कि अगर राष्ट्रपति ऐसे देशों और कंपनियों को प्रोत्साहित नहीं करते जो नियमों का पालन कर रहे हैं, तो हमें 1987 जैसा नज़ारा देखने को मिल सकता है. आपको बता दें, 2 अप्रैल को ट्रंप ने सभी देशों पर 10 फीसदी बेसलाइन टैरिफ लगाने की घोषणा की थी. इसके बाद अमेरिका का बाजार बुरी तरह लुढ़क गया. Dow Jones, NASDAQ और S&P 500. तीनों इंडेक्सों में भारी गिरावट देखने को मिली. Dow Jones जहां, 2200 से ज़्यादा पॉइंट्स लुढ़का और 5.50 फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुआ. वहीं, Nasdaq 900 पॉइंट्स गिरा और 5.82 फीसदी नीचे बंद हुआ. जबकि S&P 500 ने 5.97 फीसदी की बड़ी गिरावट झेली.
पूरी दुनिया ये तबाही झेलेगी
यह संकट सिर्फ अमेरिका तक सीमित नहीं रहा. यूरोप, एशिया और भारत के बाजार भी इस गिरावट की चपेट में आ गए. निवेशकों के अरबों डॉलर मिट्टी में मिल गए. Jim Cramer ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर भी कहा कि वो 1987 की तरह हालात नहीं चाहते, लेकिन वो उस दौर से गुज़रे हैं और उन्हें याद है कैसे ‘ब्लैक मंडे’ से पहले भी बाजार में गिरावट के ऐसे ही संकेत थे. हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि इस बार एक पॉजिटिव फैक्टर ये है कि अमेरिका का जॉब डेटा मजबूत है, जिससे यह जरूरी नहीं कि गिरावट सीधे मंदी में तब्दील हो.
ब्लैक मंडे क्या था?
1987 में, 19 अक्टूबर के दिन Dow Jones में एक ही दिन में 22.6 फीसदी की गिरावट आई थी, जो अब तक का सबसे बड़ा वन-डे क्रैश माना जाता है. उस वक्त इस घटना ने अमेरिका को झकझोर कर रख दिया था और बाद में कई आर्थिक नीतियों में बदलाव लाया गया.