लोगों के खर्च नहीं करने से बाजार बेजार है. इसमें रौनक लाकर इकोनॉमी को रफ्तार देने के लिए रिजर्व बैंक अगले हफ्ते कमाल की तरकीब अपनाने जा रहा है. रिजर्व बैंक की ओर से बाजार में 40 हजार करोड़ का कैश फ्लो कराया जाएगा. नगदी का यह प्रवाह बैंकिंग सिस्टम के जरिए कराया जाएगा. रिजर्व बैंक केंद्र और राज्य सरकार के सिक्योरिटी खरीदकर 40 हजार करोड़ की यह राशि बैंकिंग सिस्टम में डालेगा. इससे फरवरी महीने में जीएटी या इनकम टैक्स जमा कर पैसे के संकट से जूझते टैक्स पेयर्स को काफी राहत मिलेगी.
लिक्विडिटी का संकट बना हुआ है
क्योंकि, खजाना में पैसा होने के कारण बैंक कारोबारियों या मिडिल क्लास को पैसा उपलब्ध कराने में कोई कोताही नहीं करेंगे. इससे मिडिल क्लास को खर्च करने में कोई दिक्कत पेश नहीं आएगी. शुरू में रिजर्व बैंक में 20 हजार करोड़ रुपया ही इकोनॉमी में डालने का एलान किया था, लेकिन इकोनॉमी की स्थिति को देखते हुए इसे बढ़ाकर 40 हजार करोड़ करने का फैसला किया गया है.
इसका मकसद खपत बढ़ाकर बाजार में डिमांड पैदा करना और इकोनॉमी को रफ्तार देना है. भारत सरकार के बजट में किए प्रावधान और रिजर्व बैंक की मॉनीटरी पॉलिसी को लिंक कर इकोनॉमी को सुस्ती से निकालने के उपाय तलाशे जा रहे हैं. आपको बता दें, भारत के बाजार में लिक्विडिटी का संकट पिछले आठ हफ्तों से बना हुआ है. सात फरवरी को यह एक लाख 33 हजार करोड़ तक पहुंच गया था.
रेपो रेट घटाने के बाद हुई घोषणा
रिजर्व बैंक की ओर से लिक्विडिटी बढ़ाने के कदमों की घोषणा रेपो रेट में 25 अंकों की कटौती के बाद की गई है. आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने आश्वासन दिया कि केंद्रीय बैंक सतर्क हैं और लिक्विडिटी की स्थिति बनाए रखने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे. अब तक, आरबीआई ने बॉन्ड खरीदकर और डॉलर/रुपया स्वैप के माध्यम से फाइनेंस सिस्टम में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक डाले हैं, इसके अतिरिक्त 56-दिवसीय रेपो नीलामी के माध्यम से 50,000 करोड़ रुपये डाले हैं.