गेटवे ऑफ इंडिया से किन-किन तरीकों से जा सकते हैं एलिफेंटा, कितना खतरनाक है यह रास्ता?

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Gateway of India to Elephanta Route: मुंबई में गेटवे ऑफ इंडिया से एलिफेंटा जा रही फेरी बोट पलटने की घटना सामने आई है. इस बोट में 56 यात्री सवार थे. बताया जा रहा है कि हादसे में एक टूरिस्ट की मौत भी हुई है. हादसा कैसे हुआ, इसके बारे में आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है. हालांकि इस हादसे के बाद गेटवे ऑफ इंडिया से एलिफेंटा के इस रूट की चर्चा तेज हो गई है. बता दें, एलिफेंटा केव पहुंचने के लिए हर साल लाखों की संख्या में दुनिया भर के टूरिस्ट गेटवे ऑफ इंडिया पहुंचते है. आइए जानते हैं गेटवे ऑफ इंडिया से किस तरह से एलिफेंटा केव जा सकते हैं और कितना खतरनाक है यह रास्ता? 

 गेटवे ऑफ इंडिया से एलिफेंटा केव की दूरी

गेटवे ऑफ इंडिया से एलिफेंटा केव की दूरी करीब 13 किलोमीटर है. हालांकि इस दूरी को तय करने के लिए कोई आम रास्ता नहीं है. एलिफेंटा जाने के लिए आपको समुद्र मार्ग का ही इस्तेमाल करना पड़ता है, इसलिए मात्र 13 किलोमीटर की दूरी तय करने में एक घंटे तक का वक्त लग जाता है. 

कैसे पहुंचे एलिफेंटा?

एलिफेंटा पहुंचने के लिए आपको मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया पहुंचना होगा. यहां से आपको फेरी सेवा का सहारा लेना होगा. फेरी सेवा के जरिए ही आप एलिफेंटा तक पहुंच सकते हैं. इसी के लिए टूरिस्ट को गेटवे ऑफ इंडिया से एलिफेंटा तक ले जाया जाता है. यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल में नामित किया है. 

कितना है किराया?

गेटवे ऑफ इंडिया से एलिफेंटा जाने के लिए फेरी सवाएं दो प्रकार की हैं: लग्जरी टाइप व इकोनॉमी टाइप. इसमें लग्जरी क्लास की टिकट की कीमत 260 रुपये की है. यह टिकट एलिफेंटा तक जाने और वापसी दोनों तरफ के लिए मान्य होता है. फेरी सेवा की ऊपरी डेक पर बैठने के लिए आपको अलग से चार्ज देने पड़ सकते हैं. 

क्या है टाइमिंग?

फेरी सर्विस के लिए आपको टिकट के लिए 9 बजे से पहले लाइन में लगना होगा. दरअसल, फेरी टिकट काउंटर पर भीड़ के कारण 30 से 45 मिनट का समय लग सकता है. पहली बोट 9 बजे गेटवे ऑफ इंडिया से रवाना होती है, आखिरी नाव की टाइमिंग दोपहर 3.30 बजे की है. सोमवार को एलिफेंटा केव बंद रहती हैं, इसलिए फेरी सेवा नहीं चलती है. 

कितना खतरनाक है रास्ता?

चूंकि एलिफेंटा तक समुद्री मार्ग होने के कारण यहां मानसून के महीनों में यात्रा करने से बचना चाहिए. जून से अगस्त के बीच मूसलाधार बारिश के कारण यहां नावों का शेड्यूल बिगड़ जाता है. इसके अलावा तेज लहरों के कारण नावों का संतुलन बिगड़ने का खतरा रहता है.

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