Adventure In Investment: इनके पास बेशुमार दौलत है. इतनी की कई पीढ़ियों को चिंता करने की जरूरत नहीं हैं. फिर भी धनकुबेरों की नई पीढ़ी केवल फेमिली बिजनेस के भरोसे नहीं रहना चाहती है. बेशुमार दौलत वालों की युवा पीढ़ी के लिए तो इन्वेस्टमेंट भी एक एडवेंचर है. इसमें हारते हैं तो सीखते हैं और जीतते हैं तो मजा आता है. ये अपनी फेमिली बिजनेस को कॉरपोरेट भले ही नहीं बनाना चाह रहे हैं, परंतु फेमिली ऑफिस को रियल वर्ल्ड प्रॉब्लम सॉल्व करने का सेंटर जरूर बनाना चाहते हैं. जहां कारोबार की संभावनाएं भी अपार हों.
पारिवारिक बिजनेस में लचीलापन है पसंद
टियर-2 और टियर-3 सिटी में बेशुमार दौलत रखने वाले लोगों की बड़ी तादाद ऐसी है, जो अपनी फेमिली बिजनेस के क़ॉरपोरेटाइजेशन से बचना चाह रहे है. उनकी नई पीढ़ी को भी यह पसंद है, परंतु वह पुरानी पीढ़ी की तरह अपने पारंपरिक कारोबार से चिपके नहीं रहना चाहती है. वह कारोबार का खुला आसमान चाह रही है.
देश में 45 से बढ़कर 300 हो गए फेमिली ऑफिस
जून 2024 में आई पीडब्लूसी इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 में भारत में फेमिली ऑफिसों की संख्या 45 थी, जो 2024 में बढ़कर 300 हो गई है. देश के टियर-2 और टियर-3 शहरों में ऐसे परिवारों की संख्या बढ़ रही है, जो बिना कॉरपोरेटाइजेशन के हजारों करोड़ का बिजनेस संभाल रहे हैं. मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में फेमिली ऑफिस की बढ़ती संख्या विकसित होते बाजार के ट्रेंड को बता रही है. जब किसी भी परिवार का दौलत एक सीमा को पार कर जाता है तो बढ़ते निवेश को कंट्रोल करने के लिए फेमिली ऑफिस की जरूरत महसूस होने लगती है. इस ऑफिस में परिवार के अलग-अलग कारोबार पर एक साथ फैसला लिया जा सकता है. फेमिली ऑफिस वेल्थ मैनेजमेंट के अलावा भी वाइड रेंज की सेवाओं के लिए वन स्टॉप सॉल्यूशन देते हैं. वे एक साथ प्रोफेशनल गाइडेंस, लीगल ईश्यू, टैक्सेशन, इन्वेस्टमेंट और रणनीतिक फैसलों को एक साथ अंजाम देते हैं. यह ट्रेंड परिवार को अपने लॉन्ग टर्म बिजनेस गोल को साधने और इन्वेस्टमेंट ऑपरेशन को स्ट्रीमलाइन करने में सहायक साबित होता है.
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