वर्क फ्रॉम होम ज्यादा अच्छा है या ऑफिस से काम करना? एक्सपर्ट की राय खोल देगी आपकी आंखें

बीते कुछ साल में वर्क फ्रॉम होम यानी घर से काम करना और रिमोट वर्किंग काफी ज्यादा ट्रेंड में रहा, जिसकी एक वजह कोरोना भी था. कोरोना के कारण लोग घर से बाहर नहीं निकल रहे थे, जिस वजह से लोग वर्क फ्रॉम होम की तरफ बढ़े. इसके बाद लोगों ने धीरे-धीरे काम घर से ही करना शुरू कर दिया. अब वर्क फ्रॉम होम का क्रेज काफी ज्यादा हो गया है, लेकिन वक्त के साथ इसका भी मनोवैज्ञानिक प्रभाव सामने आया है. इसके बाद लोगों के बीच वर्क फ्रॉम होम और वर्क फ्रॉम ऑफिस को लेकर तुलना भी चर्चा में रहती है. 

आखिर मनोवैज्ञानिक प्रभाव के हिसाब से इनमें से कौन-सा विकल्प ज्यादा बेहतर है, इसके बारे में हमने माइंड मीडो के फाउंडर एंड डायरेक्टर डॉ. इमरान नोमानी से बात की. डॉ. इमरान नोमानी ने बताया कि घर से काम करने और ऑफिस से काम करने का मनोवैज्ञानिक प्रभाव, व्यक्तिगत पसंद, व्यक्तित्व प्रकार और कार्य वातावरण के आधार पर काफी अलग हो सकता है. 

वर्क फ्रॉम होम के क्या फायदे और क्या नुकसान?

अगर वर्क फ्रॉम होम की बात करें तो इसके काफी ज्यादा फायदे भी हैं. इनमें सबसे पहला फ्लेक्सिबिलिटी और स्वायत्तता शामिल है. इससे लोग अपने शेड्यूल पर कंट्रोल कर पाते हैं, जिससे जिससे बेहतर वर्क-लाइफ बैलेंस बनता है. साथ ही, तनाव कम होता है और अपनी व परिवार की देखभाल के लिए ज्यादा वक्त मिल जाता है.

कम्यूट स्ट्रेस: दैनिक कम्यूट को समाप्त करने से थकान कम होती है और व्यक्तिगत गतिविधियों के लिए अधिक समय मिलता है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है.
व्यक्तिगत कार्यस्थल: अपने अनुसार एक आरामदायक और व्यक्तिगत वातावरण बनाने से तनाव कम हो सकता है.

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गौर करने वाली बात यह है कि लगातार वर्क फ्रॉम होम करने से कई दिक्कतें भी होती हैं. आइए आपको इनके बारे में भी बताते हैं. इनमें पहले नंबर पर अकेलापन और अलगाव है. दरअसल, लगातार वर्क फ्रॉम होम करने से सोशल कॉन्टैक्ट काफी कम हो सकता है और अकेलापन बढ़ जाता है. इसके अलावा अलगाव महसूस करने पर अवसाद भी हो सकता है.

काम और जिंदगी में विभाजन मुश्किल: लगातार वर्क फ्रॉम होम करने से काम और व्यक्तिगत जीवन को अलग करना मुश्किल हो सकता है, जिससे काम का बोझ काफी ज्यादा बढ़ सकता है.
क्रिएटिविटी में कमी: लगातार वर्क फ्रॉम होम करने से क्रिएटिविटी में कमी आ सकता है और इसका असर प्रॉडक्शन पर भी पड़ सकता है. इससे तनाव बढ़ सकता है.

ऑफिस में काम करने के फायदे और नुकसान

अगर ऑफिस से काम करने के फायदे देखें तो इससे सामाजिक संपर्क बढ़ता है, जिससे सहकर्मियों के साथ संबंध मजबूत होते हैं. साथ ही, अकेलेपन में भी कमी आती है. 

तय रुटीन: ऑफिस में काम करने के लिए रुटीन तय करना जरूरी होता है. इससे दिमाग को ज्यादा सोचने का मौका मिलता है और क्रिएटिविटी में इजाफा होता है. 
आपसी तालमेल में इजाफा: वर्क फ्रॉम ऑफिस करने से लोगों से मेलजोल काफी ज्यादा होता है, जिससे आपसी तालमेल भी बेहतर होता है. 

ऑफिस से काम करने की भी अपनी चुनौतियां होती हैं. इसमें आने-जाने की वजह से थकान की दिक्कत सबसे पहले सामने आती है. घर और ऑफिस के बीच ज्यादा दूरी होने का असर सेहत पर पड़ सकता है, जिससे तनाव काफी ज्यादा बढ़ सकता है और पर्सनल टाइम में कमी आ सकती है.

ऑफिस की गतिविधियां: ऑफिस में हर तरह के लोग मौजूद होते हैं. इनमें काफी ऐसे होते हैं, जो आपके शुभचिंतक होते हैं तो आपके बारे में गलत सोचने वालों की भी कमी नहीं होती. अगर नेगेटिव लोगों की संख्या ज्यादा हो तो माहौल काफी खराब हो सकता है, जिसका असर मेंटल हेल्थ पर पड़ता है. 

वर्क फ्रॉम होम बेहतर या वर्क फ्रॉम ऑफिस?

एक्सपर्ट डीआर इमरान नूरानी के मुताबिक, इसका कोई भी वाजिब जवाब नहीं दिया जा सकता है. दोनों ही टर्म अपने-अपने हिसाब से सही हैं, लेकिन किसी को भी लगातार करने से तनाव बढ़ सकता है. उन्होंने बताया कि इंट्रोवर्ट और आजादी को अहमियत देने वालों के लिए वर्क फ्रॉम होम बेहतर हो सकता है. वहीं, एक्स्ट्रोवर्ट या सोशल कॉन्टैक्ट का आनंद लेने वाले लोग ऑफिस में ज्यादा खुशी महसूस कर सकते हैं.

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