Frozen Food Market: कैसे इस कंपनी की बदौलत फ्रेंच फ्राई के मामले में आयातक से आत्मनिर्भर बन गया भारत!

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फ्रेंच फ्राई (French Fries) बच्चे ही नहीं नहीं बल्कि आज के दौर में बड़े भी खाना बेहद पसंद करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं साल 2014 से पहले भारत में फास्ट फूड रिटेल चेन में जो फ्रेंच फ्राई बिका करता था उसे भारत इंपोर्ट किया करता था? लेकिन अब फास्ट फूड कंपनियां Burger King, KFC से लेकर McDonalds में जो आप फ्रेंच फ्राई खाते हैं उसे भारत अब इंपोर्ट नहीं करता है. बल्कि इसे भारत में ही तैयार किया जाता है. इसका क्रेडिट जाता है गुजरात के साबरकांठा और बनासकांठा के किसानों और HyFun Foods को, जिसके सहयोग से गुजरात के किसानों में फ्रेंच फ्राई तैयार करने वाले संताना आलू (Santana Potato) की बुआई शुरू कर दी.

कैसे फ्रेंच फ्राई का एक्सपोर्टर बना भारत!

किसानों के मेहनत का नतीजा है कि भारत अब फ्रोजेन फ्रेंच फ्राई इंपोर्ट हीं बल्कि अब एक्सपोर्ट करता है. इससे किसानों की आय में तो इजाफा हुआ तो हायफन फूड्स द्वारा आलू से बनाये गए फ्रेंच फ्राई और हैश ब्राउन दुनिया के बड़ी फास्ट फूड कंपनियों से लेकर वॉलमार्ट समेत दुनिया की सबसे बड़ी रिटेल चेन कंपनियों के स्टोर में बिकता है. कंपनी फ्रेंच फ्राई, हैश ब्राउन, पिज्जा,पोटैटो फ्लैक्स, हराभरा कबाब समेत आधा दर्जन से ज्यादा उत्पादों की प्रोसेसिंग करती है और डीप फ्रीजर तकनीक का सहारा लेते हुए घरेलू मार्केट समेत दुनिया के कई देशों में निर्यात भी करती है. APEDA के मुताबिक प्रोसेस्ड फल और वेजीटेबल्स कैटगरी में Hyfun भारत की सबसे बड़ी कंपनी है.

HyFun फूड्स के एमडी और सीईओ हरीश करमचंदानी ने साल 2014 में हाईफन फुड्स ने फ्रोजेन पोटैटो प्रोडक्ट्स के क्षेत्र में कदम रखा जब भारत में ये चीजें केवल इंपोर्ट हुआ करती थी. कंपनी के किसानों के साथ मिलकर आलू की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करने से पहले रिसर्च पर फोकस किया. सीड यानी बीज का पाइपलाइन तैयार किया. दिसंबर 2015 में कमर्शियल प्रोडक्शन के क्षेत्र में कदम रखा. साल 2016 में 200 किसानों के साथ मिलकर कंपनी ने कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग की शुरुआत की जिनकी संख्या 2025 में 7500 से ज्यादा किसानों की हो गई. और कंपनी ने 20000 किसानों को अपने साथ जोड़ने का लक्ष्य रखा है. 2016 में केवल 10000 मीट्रिक टन आलू कंपनी ने प्रॉक्योर किया था जो 2025 में 4 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा हो चुका है. यानी इसमें 40 गुना उछाल देखने को मिला है. 

40 देश में सप्लाई हो रहा फ्रोजेन फूड 

मौजूदा समय में HyFun फूड्स एशिया, यूरोपीय देशों के साथ साथ अमेरिका समेत कुल 40 देशों में अपने कारोबार का कुल 70 फीसदी निर्यात करती है. कंपनी फ्रेंच फ्राई, हैश ब्राउन, पोटैटो फ्लेक्स के साथ दूसरे प्रोसेस्ड फूड्स का एक्सपोर्ट करती है और कंपनी ने 100 देशों में एक्सपोर्ट का लक्ष्य तय किया है. हाईफन फूड्स के एमडी – सीईओ हरेश करमचंदानी ने फ्रोजेन फूड्स मार्केट के बढ़ने के राज का खुलासा करते हुए हुआ बताया कि, कोरोना का दौर उनके लिए आपदा में अवसर लेकर आया. ग्लोबल सप्लाई-चेन दिक्कतों, कंटेनर की कमी और दूसरी चुनौतियों के बीच उनके कारोबार को निर्यात बढ़ाने में बड़ी सफलता मिली. कोरोना के दौर में यूरोप से आलू और उससे जुड़े फ्रोजेन उत्पादों का निर्यात घट गया. इसका फायदा हाईफन फूड्स को हुआ. वॉलमार्ट भारत को प्राथमिकता देने लगी. अमेरिका के अलावा भारतीय कंपनियों का निर्यात खाड़ी के देशों के साथ दूसरे एशियाई बाजारों में भी बड़े पैमाने पर हो रहा है. यूक्रेन रूस युद्ध के चलते भी कंपनी को अपने कारोबार को बढ़ाने में मदद मिली और जो 2030 तक होना था वो पहले ही हो गया. 

यूपी, मध्य-प्रदेश का रूख करेगी कंपनी 

किसानों के फायदे और कंपनी के विस्तार के लिए आने वाले दिनों में आलू के और उत्पादन के लिए गुजरात से बाहर मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों का भी रुख करेगी. साथ ही आलू ही नहीं दूसरी सब्जियों से जुड़े फ्रोजेन फूड प्रोडक्ट्स तैयार करेगी. हरेश ने ये भी कहा है कि आलू के साथ साथ अब उनकी कंपनी बड़े पैमाने पर प्याज की प्रॉसेसिंग के साथ साथ दूसरी तमाम सब्जियों की ग्रेवी के लिए भी उत्पाद तैयार करेगी जिसे लोगों को जरूरत के मुताबिक उन तक पहुंचाया जाएगा. उनका मानना है कि ये व्यवस्था न केवल किसानों को ज्यादा मुनाफा देगी बल्कि बाजार में मौसमी उतार-चढ़ाव से किसानों को होने वाले नुकसान को बचाया जा सकेगा और उपभोक्ताओं को भी राहत मिलेगी. 

आईपीओ लाएगी कंपनी 

कंपनी ने 2030 तक 5000 करोड़ के टर्नओवर का लक्ष्य है. साथ ही निवेशकों के इंटरेस्ट को देखते हुए अगले 2-3 वर्षों में कंपनी कैपिटल मार्केट के जरिए पैसा जुटाने की भी योजना बना रही है.  

कैसे आलू ने बदली किसानों की किस्मत 

किसानों ने बताया कि पहले उन्हें आलू भाव के उतार-चढ़ाव को लेकर मुश्किलों झेलनी होती थीं. लेकिन अब कंपनी के साथ काम करते हुए उन्हें ज्यादा मुनाफा हो रहा है. पहले जहां 7.50 रुपये किलो में कंपनी किसान से आलू खरीद रहे थी अब 13.50 रुपये प्रति किलो में खरीद रही है. इससे गुजरात के किसानों को अपने आय को बढ़ाने में मदद मिली है. हरीश करमचंदानी ने कहा, किसान जब पहले आलू बोते थे तो किसी साल उन्हें फायदा तो कभी नुकसान होता था. लेकिन कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग के चलते किसानों की आय में लगातार बढ़ोतरी होती जा रही है. किसानी से लोग दूर हो रहे थे लेकिन आलू की कॉटैक्टिंग फार्मिंग के चलते इसके चलते बड़े पैमाने पर लोग खेती के विकल्प को तवज्जो दे रहे हैं. इसके चलते रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं तो ग्रामीण इलाकों से पलायन में कमी आ रही है. और सब्जियों की बर्बादी में भी कमी आ रही है.

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