PCOS की समस्या से जूझ रही हैं? आज से बदल लें अपनी डाइट, कुछ ही दिनों में दिखेगा असर

Health

PCOS :  पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम यानी PCOS महिलाओं की सेहत से जुड़ी एक गंभीर समस्या है. पिछले कुछ सालों में इसका असर ज्यादा देखने को मिला है. इस कंडीशन में महिलाओं को अनियमित पीरियड, इनफर्टिलिटी और शरीर के कुछ हिस्सों पर अनचाहे बाल आने जैसी समस्याएं होती हैं.

इस समस्या का कोई इलाज नहीं है, लेकिन अगर खराब खानपान, मोटापा और तनाव जैसे ट्रिगर्स को कंट्रोल कर लिया जाए तो पीसीओएस को कंट्रोल किया जा सकता है. चंडीगढ़ PGI के एक अध्ययन में भी यह बात साबित हो गई है कि पीसीओएस की समस्या को दूर करने में आपकी डाइट अहम रोल निभा सकती है.

PCOS की समस्या क्या है

डॉक्टर्स का कहना है कि महिलाओं में पीसीओएस की समस्या हॉर्मोनल असंतुलन की वजह से होती है. इसमें महिलाओं के शरीर में मेल हार्मोन ‘एंड्रोजन’ का लेवल बढ़ने लगता है,जो अंडाशय को अंडे (ओव्यूलेशन) रिलीज करने से रोकता है, जो अनियमित पीरियड्स का कारण बनता है. इसके अलावा एंड्रोजन का हाई लेवल महिलाओं में मुंहासों और अनचाहे बाल उगने की वजह भी बनता है. अगर समय पर ध्यान न दिया जाए तो डायबिटीज,  हार्ट डिजीज और बांझपन का कारण भी बन सकता है. 

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PGI की स्टडी क्या कहती है

पीजीआई चंडीगढ़ ने 300 महिलाओं पर एक स्टडी की.जिसमें पाया कि पीसीओएस हायर-मिडिल क्लास की लड़कियों और महिलाओं को असमान तौर से प्रभावित करता है. ज्यादातर पार्टिसिपेंट्स की उम्र 25 साल से कम थी और आधे से ज्यादा स्टूडेंट्स थी. एक अन्य अध्ययन का अनुमान है कि भारतीय महिलाओं में पीसीओएस बढ़ने की रेट 3.7% से 41% है, जिसमें हार्मोनल असंतुलन एक प्रमुख कारण है.

अध्ययन से पता चला कि 79% पार्टिसिपेंट्स ज्यादा वजन वाले थे और 77.1% हायर-मिडिल क्लास की थीं. इन सभी की लाइफस्टाइल खराब थी. उनके खानपान में जंकफूड शामिल था, एक्सरसाइज नहीं करती थी और खूब तनाव लेती थी. 

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PCOS खत्म करने में खानपान का रोल

इस अध्ययन में शामिल डॉक्टर का कहना है कि खानपान और पीसीओएस सीधे जुड़े हुए हैं. शरीर का वजन सिर्फ 5% कम करने से  इसके लक्षणों में काफी कमी आ सकती है. कभी-कभी दवा की जरूरत भी नहीं पड़ती है. डॉक्टर्स बताती हैं कि 20 साल की उम्र की एक पेशेंट मुंहासे, पतले बाल और वजन बढ़ने से पीड़ित थी. ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए गर्भनिरोधक गोलियां और मेटफॉर्मिन दिए गए लेकिन उसमें कोई सुधार नहीं देखा गया.

दवा बदलने के बजाय, डॉक्टरों ने पूरे दिन चलने-फिरने, चुकंरद-खीरे के पानी से हाइड्रेटिंग करने, फाइबर वाला घर का बना खाना और रात में जल्दी खाने को सलाह दी. नियमित फॉलो-अप पर देखा गया कि 25 किलो तक वजन कम करने के बाद दवा पर उसकी निर्भरता खत्म हो गई. जिससे पता चलता है कि खानपान इस बीमारी से बचाने में अहम भूमिका निभा सकता है.

सही खानपान न होने से समस्या

पीजीआई के Community Medical Department और School of Public Health की एक स्टडी में पाया गया कि 12-19 साल की लड़कियों में पीसीओएस के लिए पोषण की कमी सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर है.  इसके बाद अनहेल्दी लाइफस्टाइल और अवेयरनेस की कमी. इस खतरे से 18 साल से कम उम्र की लड़कियां ज्यादा जूझ रही थीं. अध्ययन पर काम करने वाली डॉ. ईश्वरप्रीत कौर केवल दवा पर निर्भर रहने के बजाय अगर सही खानपान-लाइफस्टाइल पर फोकस किया जाए तो इस बीमारी से बचा जा सकता है.

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