SAT-ACT स्कोर के बिना भी छात्र अमेरिकी कॉलेजों में ले सकेंगे एडमिशन, जानें अब क्या हैं नियम?

What Is Test Blind Policy: आपका आपका सपना अमेरिका के कॉलेजों में पढ़ता है तो यह खबर आपके लिए है. दरअसल अमेरिका में एक से बढ़कर एक शानदार कॉलेज हैं, लेकिन इन कॉलेजों में एडमिशन से लेने से पहले छात्रों के मन में ढ़ेर सारे सवाल रहते हैं. इसके अलावा छात्रों को सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना SAT स्कोर नहीं होने पर करना पड़ता है. अमेरिका लंबे समय से अपने टॉप संस्थानों में पढ़ने के लिए ‘स्कॉलास्टिक असेसमेंट टेस्ट’ (SAT) और ‘अमेरिकन कॉलेज टेस्टिंग’ (ACT) आयोजित करता है, लेकिन अब इसमें बदलाव किया गया है.

अब छात्र के कॉलेज तक के पूरे सफर को देखते हैं, जिसमें उनके नंबर, मुश्किल सब्जेक्ट्स की पढ़ाई और एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटी शामिल है. यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सिस्टम (UCLA और UC बर्कले समेत), कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी सिस्टम और हैम्पशायर कॉलेज जैसे कॉलेज अब ‘टेस्ट-ब्लाइंड’ तरीका को तवज्जो दे रहे हैं, लेकिन क्या आप ‘टेस्ट-ब्लाइंड’ के बारे में जानते हैं?

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‘टेस्ट-ब्लाइंड’ सिस्टम क्या है?

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‘टेस्ट-ब्लाइंड’ में कॉलेज एडमिशन के दौरान छात्रों के SAT या ACT के नंबर को तवज्जो नहीं दिया जाता है. ऐसा करने से सभी छात्रों को बराबरी का अवसर मिलता है. ‘टेस्ट-ब्लाइंड’ सिस्टम पर एडमिशन देने वाले कॉलेजों ने SAT या ACT जैसे नंबर के आधार पर दाखिला देना बंद कर दिया है, भले ही छात्र ने एग्जाम ही क्यों ना दिया हो. वहीं, इस बाबत कॉलेज का मानना है कि ये एग्जाम सबके लिए बराबर नहीं होते हैं और हर छात्र की काबिलियत इससे परखना मुश्किल काम है.

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‘टेस्ट-ब्लाइंड’ सिस्टम में इन पहलुओं पर दिया जाता है ध्यान

बताते चलें कि ‘टेस्ट-ब्लाइंड’ सिस्टम पर एडमिशन देने वाले कॉलेज एडमिशन के समय एप्लिकेशन के दूसरे पहलुओं पर गौर करते हैं. जैसे छात्रों के स्कूल में कैसे नंबर थे, उन्होंने कितने कठिन सब्जेक्ट्स की पढ़ाई की है, निबंध किस तरह का लिखा है और लेटर ऑफ रिकमेंडेशन कैसा है. कॉलेजों का मकसद ऐसा तरीका तैयार करना है, जिसमें सभी छात्रों को उनके टैलेंट और बैकग्राउंड को ध्यान में रखकर एडमिशन दिया जाए.

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