Tuberculosis : बेहद खतरनाक और जानलेवा है फेफड़ों की ये बीमारी, Covid-19 से भी घातक

Tuberculosis : ट्यूबरक्लोसिस यानी (TB) बेहद खतरनाक और गंभीर बीमारी है, जो मायोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नाम के बैक्टीरिया की वजह से होती है. इसमें सबसे ज्यादा फेफड़े (Lungs) प्रभावित होते हैं. इस बीमारी से किडनी, रीढ़ की हड्डी और ब्रेन भी बुरी तरह प्रभावित हो सकती है. इस बीमारी की वजह से हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है. दुनिया में सबसे ज्यादा टीबी के मरीज भारत में ही पाए जाते हैं. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) की एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। इसमें बताया गया है कि देश में आज भी दुनिया के 26%  टीबी मरीज रहते हैं.
 
 
सबसे ज्यादा टीबी के मरीज कहां
WHO की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ही नहीं इंडोनेशिया, चीन, फिलीपींस और पाकिस्तान जैसे देशों में टीबी बेहद गंभीर बीमारी बनी हुई है. चिंता की बात है कि इन देशों में टीबी के कुल 56 मरीज हैं. इनमें सबसे गंभीर हालत भारत की है, जिसने 2025 तक टीबी को खत्म करने का लक्ष्य रखा है.
 
टीबी बढ़ने का सबसे बड़े कारण
 
1. कुपोषण
2. HIV इंफेक्शन
3. शराब पीना
4. स्मोकिंग 
5. डायबिटीज
 
कोरोना से भी खतरनाक है टीबी
WHO की र

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िपोर्ट के मुताबिक, टीबी, कोविड-19 से भी खतरनाक बीमारी बन गई है. साल 2023 में टीबी ने कोविड-19 को पीछे छोड़कर सबसे प्रमुख संक्रामक बीमारी बन गई. पिछले साल दुनिया में टीबी के करीब 82 लाख मरीज मिले, जो 1995 में विश्व स्वास्थ्य संगठन की निगरानी के बाद से सबसे ज्यादा है, जो चिंता बढ़ा रहा है. अगर समय रहते इसे कंट्रोल न किया जाए तो यह खतरनाक और जानलेवा बन सकती है.
 
टीबी के मरीजों को क्या दिक्कतें होती हैं
टीबी के मरीज को बलमग और खून के साथ खांसी की समस्या होती है. उनमें चेस्टपेन, कमजोरी, वजन कम होना, बुखार आने जैसी समस्याएं होती है. इसका संक्रमण खांसी और छींक के जरिए हवा में फैलता है. इसमें फेफड़ों का संक्रमण होता है लेकिन कई दूसरी तरह की टीबी में शरीर के दूसरे अंग भी प्रभावित हो सकते हैं. अगर सही समय पर इसका इलाज न किया जाए तो यह जानलेवा भी हो सकता है.
 
भारत में टीबी खत्म न होने का कारण
कई रिपोर्ट्स के अनुसार, देश में टीबी के इलाज में सुधार हो रहा है लेकिन मल्टीड्रग-रेसिस्टेंट टीबी (MDR-TB) गंभीर समस्या बनी है. पिछले साल 2023 में 4 लाख लोगों में से सिर्फ 44% लोगों को ही टीबी की बीमारी मिली थी, उन सभी का इलाज भी हो गया है. इससे पता चलता है कि भारत में जागरूकत और इससे इलाज को लेकर कई ठोक कदम और नए शोध की जरूरत है, ताकि इससे पूरी तरह बचा जा सके.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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