HIV अब नहीं होगा जानलेवा, जल्द आ सकती है दवा, जानिए कहां तक पहुंची रिसर्च

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HIV Treatment : अब तक माना जा रहा था कि एचआईवी यानी ह्यूमन इम्यूनो डेफिशिएंसी वायरस से होने वाली बीमारी का कोई इलाज नहीं है, लेकिन अब धीरे-धीरे इस जानलेवा बीमारी के इलाज में सफलता मिल रही है. नए वैज्ञानिक और तकनीकी की मदद से HIV और एड्स का इलाज ढूंढा जा रहा है. अगर दुनिया को 2010 से लेकर 2030 तक एचआईवी संक्रमण और एड्स से होने वाली मौतों को 90% तक कम करने के WHO के लक्ष्य को पूरा करना है तो इसका इलाज गेमचेंजर साबित हो सकता है. एचआईवी,एड्स के खिलाफ लड़ाई में 30 सालों में काफी सफलता मिली है. आइए जानते हैं क्या सचमुच एचआईवी ठीक हो सकता है.

एंटीरेट्रोवायरल ट्रीटमेंट

इस इलाज में शरीर के अंदर वायरस की टारगेट रेप्लिकेशन को दबाया जाता है. मतलब इसकी मदद से एचआईवी से पीड़ित लोग एचआईवी वायरस को दूसरों तक फैलाने के रिस्क के बिना, लंबे समय तक जिंदा रह सकते हैं. हालांकि, एंटीरेट्रोवायरल  इलाकके साथ भी एचआईवी के साथ रहने से अन्य गंभीर समस्याओं का खतरा बढ़ता है.

साउथ अफ्रीका 2004 से मुफ्त एंटीरेट्रोवायरल ट्रीटमेंट दे रहा है. जिसका फायदा भी देखने को मिला है. 2010 से 2021 तक वहां नए एचआईवी मरीजों की संख्या में 50% की गिरावट आई है.

HIV का इलाज

एचआईवी के इलाज पर अभी जो रिसर्च चल रहा है, वो शुरुआती दौर में है. कहा जा रहा है कि जीन थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी इसके इलाज में मददगार हो सकते हैं. दुनिया में अब तक 7 लोग एचआईवी से ठीक हो चुके हैं. उन लोगों को एचआईवी के साथ कैंसर भी था. उनके कैंसर का इलाज जीन थेरेपी के तौर पर बोन मैरो ट्रांसप्लांट के जरिए किया गया था. इससे एचआईवी को खत्म करने में भी मदद मिली, क्योंकि बोन मैरो ट्रांसप्लांट उन लोगों से लिए गए थे,जिनमें एचआईवी कोरसेप्टर्स कोशिका पर प्रोटीन की कमी थी. 

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HIV के इलाज में बोन मैरो ट्रांसप्लांट कितना सही

बोन मैरो ट्रांसप्लांट महंगी और खतरनाक प्रक्रिया है. इसे किसी बीमारी के इलाज के लिए नहीं देखा जा सकता है. इसके अलावा शुरुआती इलाज और इम्यूनोथेरेपी के कॉम्बिनेशन से इलाज में कुछ संभावनाएं दिख रही हैं. इन्हें एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी के बिना एचआईवी को लंबे समय तक कंट्रोल करने के लिए डेवलप किया जा सकता है.

एचआईवी के इलाज की चुनौतियां

एक्सपर्ट्स के अनुसार, एचआईवी के साथ चुनौती है कि यह इंसान के DNA में कैद हो जाता है, जिससे इससे छुटकारा पाना खास तौर से कठिन हो जाता है. यह बहुत अधिक म्यूटेशन करता है. यहीकारण है कि इसकी वैक्सीन बनाना काफी मुश्किल है.

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इस तरह हो रहा एचआईवी का इलाज

अफ्रीका की KwaZulu-Natal यूनिवर्सिटी के तहत अफ्रीका हेल्थ रिसर्च इंस्टीट्यूट और एचआईवी पैथोजेनेसिटी प्रोग्राम में महिलाओं के एक ग्रुप पर रिसर्च कर रहा है, जिनमें एचआईवी इंफेक्शन ज्यादा है. इन महिलाओं का एचआईवी टेस्ट किया जाता है.

अगर उनमें वायरस पाया जाता है तो उन्हें तुरंत ART (Antiretroviral Therapy) दी जाती है. थोड़ी देर के बाद, इम्यूनिटी बढ़ाने वाले इलाज भी किए जाते हैं, जिसमें एंटीबॉडी को निष्क्रिय किया जाता है और फिर महिला को निगरानी में रखा जाता है. इस दौरान देखा जाता है कि क्या वह अपने दम पर वायरस को कंट्रोल करने में सक्षम है.अगर नहीं, तो उसे तुरंत एआरटी में वापस कर दिया जाता है. अभी यह शोध जारी है. इसमें वायरस को कंट्रोल करने और इम्यून सिस्टमको सही ढंग से समझने में मदद मिल सकती है.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें. 

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