14 महीने, 4 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान और मार्केट ब्रेड्थ के संकेतों का डर…सावधान! बाजार ‘लाल’ होने वाला है

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भारतीय शेयर बाजार (Indian Stock Market) अब तक के अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. इस साल अब तक इक्विटी मार्केट से लगभग 45 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है. 27 सितंबर 2024 के ऑल-टाइम हाई के बाद से निवेशकों की संपत्ति में 78 लाख करोड़ रुपये की कमी आई है. सिर्फ पिछले हफ्ते की बात करें तो निवेशकों को 24 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. ब्लूमबर्ग डेटा के मुताबिक, भारतीय बाजार का मार्केट कैप 14 महीनों में पहली बार 4 ट्रिलियन डॉलर से नीचे आ गया है.

निफ्टी-सेंसेक्स सब तबाह हुए

14 फरवरी 2025 को बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी लगातार आठवें सत्र में लाल निशान पर बंद हुए. सेंसेक्स 199.76 अंक गिरकर 75,939.21 पर और निफ्टी 102.15 अंक गिरकर 22,929.25 पर बंद हुआ.

27 सितंबर 2024 को बीएसई-लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन 479 लाख करोड़ रुपये था, जो 1 जनवरी 2025 तक घटकर 446 लाख करोड़ रुपये और 14 फरवरी तक गिरकर 401 लाख करोड़ रुपये रह गया.

मिडकैप और स्मॉलकैप की हालत देखी नहीं जा रही

भारतीय शेयर बाजार में मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों की हालत खराब होती जा रही है. 1,000 करोड़ रुपये या उससे अधिक मार्केट कैप वाले शेयरों में से लगभग 60 फीसदी शेयर अपने उच्च स्तर से 30 फीसदी या उससे अधिक गिर चुके हैं.

अन्य शेयरों की हालत भी ठीक नहीं है. ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय शेयर बाजार में इस हफ्ते भारी बिकवाली देखने को मिली, जिसमें कुछ सबसे बड़े शेयर अपने ऑल-टाइम हाई से 71 फीसदी तक गिर गए. वहीं, 450 से ज्यादा स्मॉलकैप शेयरों में 10-41 फीसदी तक की गिरावट देखी गई है.

मार्केट ब्रेड्थ की दरारें डरा रही हैं

अगर आप इस गिरावट से डर गए हैं तो आने वाला समय और भी बुरा हो सकता है. कुछ मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि बाजार में अभी और गिरावट आ सकती है. दरअसल, मार्केट ब्रेड्थ में दरारें गहरा रही हैं, इस वजह से मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में स्थिति और भयावह हो सकती है.

क्या है मार्केट ब्रेड्थ?

दरअसल, मार्केट ब्रेड्थ बाजार की हालत को मापने का एक प्रमुख पैमाना है. यह बताता है कि बाजार में कितने शेयर ऊपर जा रहे हैं और कितने नीचे. अभी यह इंडिकेटर ‘यूफोरिक जोन’ खत्म से नीचे आ रहा है, जो 2006-2009, 2011-2013 और 2018-2020 की शेयर बाजार की बड़ी गिरावट के समय देखा गया था.

ये संकेत भी डरा रहे हैं

NSE500 इंडेक्स में बराबर वेटेड और मार्केट वेटेड परफॉर्मेंस के बीच का अंतर ऐतिहासिक चरम पर पहुंच गया है. पिछली बड़ी गिरावटों के दौर में ऐसा होने के बाद स्मॉलकैप शेयरों में 50 फीसदी तक की गिरावट देखी गई थी.

इसके अलावा, 2020 में टॉप-100 शेयरों में 80 फीसदी से अधिक कैश मार्केट वॉल्यूम केंद्रित था, लेकिन अब यह घटकर 15 फीसदी रह गया है. इसका मतलब है कि छोटे शेयरों में लिक्विडिटी की कमी हो रही है, जिससे उनकी कीमतों पर ज्यादा दबाव पड़ रहा है.

वहीं, IPO, FPO और QPI के जरिए नए शेयरों की आपूर्ति म्यूचुअल फंड्स के निवेश से कहीं ज्यादा हो गई है, इससे मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों की मांग-आपूर्ति का संतुलन बिगड़ रहा है.

अब क्या करें निवेशक

Elara Capital के एक्सपर्ट्स मानते हैं कि बाजार जिस स्थिति में फिलहाल है, ऐसी स्थिति में, आईटी, बैंकिंग, फार्मा और कंजम्प्शन सेक्टर में निवेश करना बेहतर हो सकता है. इसके अलावा, मिड और स्मॉलकैप स्टॉक्स से दूरी बनाएं और लार्ज कैप के मजबूत स्टॉक्स में निवेश करें.

दरअसल, बीटा ट्रेड यानी बाजार में जोखिम लेने की क्षमता अब घटने लगी है. इसे ऐसे समझिए कि हाई बीटा पोर्टफोलियो ने जून 2024 में अपना पीक छू लिया था और अब Low Beta यानी डिफेंसिव स्टॉक्स बढ़िया प्रदर्शन कर रहे हैं. 2008, 2010, 2015 और 2018 की गिरावट के दौर में भी ऐसा ही हुआ था. इस गिरावट के दौर में भी मिड-स्मॉलकैप स्टॉक्स बुरी तरह गिरे थे और सिर्फ बड़े और मजबूत स्टॉक्स ने निवेशकों का पैसा बचाया था.

डिस्क्लेमर: (यहां मुहैया जानकारी सिर्फ़ सूचना हेतु दी जा रही है. यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें. ABPLive.com की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है.)

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