बड़े या छोटे बेटे पर लुटाते हैं खूब प्यार तो दूसरे बच्चे पर पड़ सकता है असर, पैरेंट्स कभी न करें ऐसी गलती

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Parenting Mistakes : ‘भैया को हर बार गले लगाया जाता है, छोटू को हर गलती पर माफ किया जाता है…और मैं…मैं बस चुपचाप देखता हूं, जैसे मैं हूं ही नहीं…पापा-मम्मी मुझे कम मानते हैं, तुझे ज्यादा…’ये किसी फिल्म की लाइन नहीं, बल्कि उस बच्चे के दिल की आवाज है, जो अपने ही घर में, अपने ही पैरेंट्स के प्यार से बाहर महसूस करता है. वैसे तो हर माता-पिता अपने बच्चों से बेहद प्यार करते हैं, लेकिन कई बार यह प्यार संतुलन खो देता है.

अक्सर घरों में देखा जाता है कि या तो सबसे बड़े बेटे को ज्यादा जिम्मेदार और समझदार मानकर उस पर प्यार-दुलार लुटाया जाता है या सबसे छोटे बच्चे मां-बाप के करीब रहते हैं. लेकिन इन सभी के बीच बाकी बच्चों का क्या. यही वो गलती है जो हर पैरेंट्स को पहचाननी चाहिए. आइए जानते हैं बड़े या छोटे बेटे कोअगर खूब प्यार करते हैं तो इसका दूसरे बच्चों पर क्या असर पड़ सकता है…

पैरेंट्स ऐसा क्यों करते हैं

बड़े बेटे को समझदार, घर का जिम्मेदार, पहला बच्चा मानकर कई बार पैरेंट्स उसे प्रॉयरिटी देते हैं. छोटे बेटे को सबसे प्यारा, मासूम, घर का लाडला मानकर ज्यादा दुलार दिया जाता है, लेकिन बीच वाले या अन्य बच्चों को अक्सर ऐसा लगता है कि वो ‘स्पॉटलाइट’ से दूर हैं. जिसका असर उन पर देखने को मिलता है. ‘साइकोलॉजिकल बुलेटिन’ में पब्लिश एक अध्ययन में कहा गया है कि पैरेंट्स का झुकाव उन बच्चों के प्रति ज्यादा होता है, जो ज्यादा जिम्मेदार और समझदार होते हैं. लेकिन, कभी इस बात को मानते नहीं हैं.

इसका असर क्या होता है

इनफीरियरिटी कॉम्प्लेक्स (हीनभावना)

एंग्जायटी और गुस्सा

दूसरे भाई-बहनों से मन मुटाव

जलन और ईर्ष्या

पैरेंट्स से दूरी

हमेशा खुद को कम समझना

कॉन्फिडेंस में कमी

फ्यूचर पर असर

पैरेंट्स क्या करें, क्या नहीं

1. सभी बच्चों को बराबर महत्व दें

बड़ा है या छोटा, हर बच्चा आपके लिए उतना ही जरूरी है. कभी भी ऐसा महसूस न होने दें कि आप किसी एक को ज्यादा प्यार करते हैं और दूसरे को कम. वरना इससे दूसरे बच्चे के मन में हीन भावनाएं आने लगेंगी.

2. तुलना से बचें

‘भैया तो इतना अच्छा करता है, तू क्यों नहीं.’ ‘छोटे को देखो, कितना समझदार है’…जब पैरेंट्स इस तरह की बातें करते हैं तो इससे बच्चे के मन में हमेशा के लिए चुभन सी महसूस होती है.

3. हर बच्चे की अलग पहचान बनाएं

हर बच्चे की खासियत होती है, कोई क्रिएटिव होता है, कोई इमोशनल और कोई शांत. आप उन्हें उस नजर से देखें, जो उनके टैलेंट को पहचान सके. ताकि उनका फ्यूचर किसी तरह से प्रभावित न हो.

4. प्यार जताने के अलग-अलग तरीके अपनाएं

हर बच्चे की पसंद और जरूरतें अलग-अलग होती हैं. किसी को बातचीत में प्यार चाहिए, किसी को गले लगाने में. यह समझना पैरेंट्स की जिम्मेदारी है. इससे हर बच्चे को समान मौका और प्यार मिलेगा.

5. खुलकर बात करें

कभी-कभी बच्चे अपनी फीलिंग्स पैरेंट्स के सामने ए्क्सप्रेस नहीं कह पाते हैं. ऐसे में समय-समय पर उनसे बात करें. किसी तरह की बात मन में है तो उसे निकालने की कोशिश करें, ताकि बच्चे पर इसका असर न पड़े.

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