जरूरी नहीं कि किसी संस्थान की इमारत कितनी भव्य है, असली मजबूती तो उसके नेतृत्व में होती है. लेकिन क्या हो जब देश के सबसे प्रतिष्ठित केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों के पास ही स्थायी हेड न हो? यही हाल आज कई नामी-गिरामी केंद्रीय विश्वविद्यालयों, IITs, IIMs और NITs का है, जहां शिक्षा की नौका फिलहाल अंतरिम अधिकारियों के भरोसे चल रही है.
नामी संस्थान, लेकिन अस्थायी नेतृत्व
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ की एक रिपोर्ट के अनुसार शिक्षा मंत्रालय के अधीन 130 उच्च शिक्षण संस्थानों में से 14% संस्थान बिना स्थायी प्रमुखों के संचालित हो रहे हैं. इनमें केंद्रीय विश्वविद्यालय, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM), राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT) और भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (IISER) शामिल हैं.
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कौन-कौन से संस्थान हैं प्रभावित?
रिपोर्ट के अनुसार 48 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में से आठ, 23 IIT में से दो, 21 IIM में से चार, 31 NIT में से तीन और आठ IISER में से एक संस्थान वर्तमान में अंतरिम नेतृत्व के तहत कार्य कर रहे हैं. विशेष रूप से IIM कलकत्ता, IIM लखनऊ, IIM शिलांग, NIT श्रीनगर, IISER तिरुवनंतपुरम, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU), सिक्किम विश्वविद्यालय और अरुणाचल प्रदेश स्थित राजीव गांधी विश्वविद्यालय जैसे संस्थान एक साल से ज्यादा टाइम से स्थायी प्रमुखों के बिना चल रहे हैं.
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शिक्षा नीति 2020 पर पड़ सकता है असर
रिपोर्ट की मानें तो यह स्थिति तब और महत्वपूर्ण हो जाती है जब केंद्र सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत सुधारों को लागू करने की प्रक्रिया में है. आमतौर पर अंतरिम या कार्यवाहक प्रमुख बड़े प्रशासनिक निर्णय लेने से बचते हैं, जिससे संस्थान के विकास और नीति कार्यान्वयन में बाधा आ सकती है. सामान्य प्रक्रिया के अनुसार, सरकार को वर्तमान प्रमुख का कार्यकाल समाप्त होने से लगभग छह महीने पहले उत्तराधिकारी की खोज शुरू करनी चाहिए.
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