Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज से जानें कलियुग में जीव का उद्धार कैसे हो सकता है?

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Premanand Ji Maharaj Vachan: प्रेमानंद जी महाराज एक महान संत और विचारक हैं जो जीवन का सच्चा अर्थ समझाते और बताते हैं. प्रेमानंद जी के अनमोल विचार जीवन को सुधारने और संतुलन बनाएं रखने में मार्गदर्शन करते हैं.

प्रेमानंद जी महाराज का मानना है कि हम राधा युगी हैं, ना की कल युग के नहीं. जैसा हम सोचेंगे वैसे ही प्रभाव हमारे अंदर पड़ेगा. हमे यह नहीं सोचना चाहिए की हम कलयोग के हैं. अगर हम भूतों का चिंतन करते हुए सोएगे तो स्वप्न भूतों के आएंगे. अगर राम जी, श्याम जी, सीता माता का चिंतन करेंगे तो मंगलमय स्वप्न आएंगे.

हम चिंतन करने लगते हैं कि यह कलियुगी जीवन है तो कलियुग का प्रभाव हमारे ऊपर पड़ने लगता है. अगर आप राधा-राधा करेंगे तो उद्धार अभी है हमारा. वर्तमान अगर हमारा आचरण पवित्र है और चिंतन सही चल रहा है तो भविष्य हमारा अच्छा चल रहा है. तो हमे भविष्य की चिंता नहीं करनी हमे वर्तमान की चिंता करनी चाहिए.

इसीलिए और किसी की तरफ मत देखो श्री जी की तरफ देखो कोई मां, बहन, भाभी दिखाई दे तो उनके चरणों में प्रणाम करो, गंदा आचरण मन में मत लाओं, फिर अगर आप ऐसा बातों का चिंतन करते हैं तो कलियुग कहा है. कलियुग इसी चीज में विचार करता है पराई स्त्री का विचार करना, मदिरा पीने में, मांस खाने में, चोरी करने में इसी में कलियुग का वास है.

कलियुग है तो हमारे विचारों में, हमारे आचरण में, अगर हमारे आचरण पवित्र हो जाएं, हमारे विचार पवित्र हो जाएं तो कलियुग मंगलमय है.”कलियुग सम जुग आन नहिं जौं नर कर बिस्वास गाइ राम गुन गन बिमल भव तर बिनहिं प्रयास।। ” इसका अर्थ है कि अगर इंसान विश्वास करे, तो कलियुग के समान कोई और युग नहीं है. कब जब आप नाम जप करें, अच्छे आचरण रखें, गंदी बातों का त्याग करें और भगवान का चिंतन करें.

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