Chaitra Navratri 2025: नवरात्रि इस वर्ष 8 दिनों की क्यों? अष्टमी और नवमी कब, नोट कर लें

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Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्रि 2025 का शुभारंभ भारतीय पंचांग के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हो चुका है. चैत्र नवरात्रि का पर्व न केवल देवी दुर्गा के नौ रूपों की आराधना के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका ज्योतिषीय और आध्यात्मिक प्रभाव भी अत्यंत व्यापक है. इस वर्ष चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ 30 मार्च 2025 से हुआ और राम नवमी 7 अप्रैल 2025 को मनाई जाएगी. 
 
नवरात्रि प्रतिवर्ष नौ दिनों तक मनाई जाती है, लेकिन इस वर्ष यह केवल 8 दिनों की होगी. इससे कई लोगों के मन में भ्रम उत्पन्न हो सकता है. ‘श्री बुद्धि बल्लभ पंचांग’ के संपादक और ज्योतिषाचार्य पवन पाठक से जानते हैं कि तिथियों में इस बार भेद क्यों है.

तिथि की गणना कैसे होती है?
सनातन धर्म में तिथियां सूर्य और चंद्रमा की गति के आधार पर तय की जाती हैं. चंद्रमा और सूर्य का भ्रमण स्थिर नहीं होता, बल्कि उनकी गति परिवर्तनशील होती है. प्रत्येक दिन सूर्योदय के समय चंद्रमा की स्थिति के अनुसार तिथि की गणना होती है.  

इस वर्ष तृतीया तिथि का अभाव
ज्योतिषाचार्य पवन पाठक बताते हैं कि इस वर्ष 1 अप्रैल की सुबह तृतीया तिथि अस्तित्व में नहीं थी. अर्थात तीसरी नवरात्रि का लोप हो गया है और इस कारण नवरात्रि केवल 8 दिनों की होगी.  

नवरात्रि तिथियां इस प्रकार हैं:

30 मार्च – प्रतिपदा  
31 मार्च – द्वितीया  
31 मार्च – (तृतीया अनुपस्थित, इसलिए द्वितीया और तृतीया दोनों का ही पालन 31 को होगा )  
1 अप्रैल – चतुर्थी  
2 अप्रैल – पंचमी  
3 अप्रैल – षष्ठी  
4 अप्रैल – सप्तमी  
5 अप्रैल – अष्टमी  
6 अप्रैल – दुर्गा नवमी और राम नवमी

कन्या पूजन (Kanya Pujan 2025)
अष्टमी या नवमी तिथि को नौ कन्याओं को आमंत्रित कर भोजन कराना शुभ माना गया है. इस वर्ष चैत्र नवरात्रि में अष्टमी की तिथि 5 अप्रैल और नवमी की तिथि 6 अप्रैल का पड़ रही है, इस दिन कन्या पूजन कर सकते हैं. इस दौरान हलवा, पूरी, चना और नारियल का प्रसाद दें और कन्याओं के पैर धोकर आशीर्वाद प्राप्त करें.

चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा की उपासना से ग्रहों की शांति
मान्यता है कि मां की पूजा करने से कुंडली में मंगल दोष शांत होता है. दुर्गा सप्तशती के पाठ से राहु-केतु की अशुभता कम होती है और शनि  नवरात्रि में नौ दिन उपवास रखने से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रभाव में कमी आती है. यही नहीं ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करने से नवग्रह दोष समाप्त होते हैं और दुर्गा सप्तशती पाठ से जीवन में शांति और सौभाग्य बढ़ता है.

प्राचीन ग्रंथों में नवरात्रि का महत्व
देवी भागवत पुराण
‘शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे।
सर्वस्यार्ति हरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते॥’
(अर्थ: जो भी भक्त माँ दुर्गा की शरण में आता है, वे उसे हर कष्ट से मुक्ति देती हैं।)

श्रीमद्भागवत पुराण
‘या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥’
(अर्थ: माँ दुर्गा सम्पूर्ण संसार में शक्ति रूप में व्याप्त हैं, उन्हें बारंबार प्रणाम।)

महाभारत में नवरात्रि का उल्लेख
महाभारत में अर्जुन ने युद्ध से पहले मां दुर्गा की पूजा की थी. वहीं श्रीराम ने भी रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए नवरात्रि में मां दुर्गा का आह्वान किया था.

नवदुर्गा पूजन (नौ दिनों की आराधना)

प्रथम दिवस- शैलपुत्री पूजा
द्वितीय दिवस- ब्रह्मचारिणी पूजा
तृतीय दिवस- चंद्रघंटा पूजा
चतुर्थ दिवस- कूष्माण्डा पूजा
पंचम दिवस- स्कंदमाता पूजा
षष्ठम दिवस- कात्यायनी पूजा
सप्तम दिवस- कालरात्रि पूजा
अष्टम दिवस- महागौरी पूजा
नवम दिवस- सिद्धिदात्री पूजा

कोई भ्रम न रखें- मां दुर्गा की उपासना करें
यह पूर्णतः वैदिक गणना के अनुसार स्वाभाविक घटना है, इसमें किसी भी प्रकार का संदेह नहीं होना चाहिए. अतः सभी श्रद्धालु नवरात्रि के इन पावन दिनों में मां दुर्गा की आराधना करें, आत्मशक्ति का संचार करें और दिव्य ऊर्जा प्राप्त करें.  

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