Premanand Ji Maharaj Vachan: प्रेमानंद जी महाराज एक महान संत और विचारक हैं जो जीवन का सच्चा अर्थ समझाते और बताते हैं. प्रेमानंद जी के अनमोल विचार जीवन को सुधारने और संतुलन बनाएं रखने में मार्गदर्शन करते हैं.
प्रेमानंद जी महाराज से जानें अगर जीवन में बार-बार असफलता मिल रही है, तो इसका क्या अर्थ समझें? महाराज जी का मानना है कि इसका अर्थ है पाप. पूर्व पाप, वर्तमान पाप, इसको अगर हम संवार लें, तो पूर्व पाप को नष्ट करने के लिए भगवान की शरणागति जरुरी है, यानि भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण, सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज। अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः ॥ इसका मतलब है कि सभी धर्मों को छोड़कर, केवल भगवान की शरण में आ जाओ. वे तुम्हें सभी पापों से मुक्त कर देंगे.
बुद्धि को शुद्ध करो, वर्तमान में कोई पाप ना हो, नाम जप करो भगवान की शरण में होकर तो पूर्व के पाप नष्ट होंगे. पाप ही है जो हमारी सफलता और सुख में बाधा पहुंचाता है. अनेक जन्मों का पाप हमे परेशान करता है. इसीलिए भजन के बिना शांति नहीं, राधा-राधा जपो, नशा ना करो, महिलाओं का सम्मान करों, परोपकार करों, सफलता जरुर मिलेगी.
किसी जरुरतमंद की सेवा करो, मनुष्य की सेवा करो, माता-पिता की सेवा करो, पशु पक्षी की सेवा करो, माता-पिता को खाना खिलाओं, पैर दबाओं, उनके आशीर्वाद से सफलता जरुर मिलेगी. सेवा के बिना शरीर पवित्र नहीं होता. घर के बड़ों का अपमान करना, मनमानी करना, नशा करना ऐसे कार्यों से सफलता नहीं मिलती. यही हमारे दुख का कारण बनते हैं. अच्छा आचरण करें, नाम जप करें.
पुराने जन्मों के पाप दुख देते हैं, तो नाम जप करें. जैसे दवा नियम से लेने चाहिए, ऐसे ही नियम से भगवान के नाम का जप करना चाहिए. जो पूर्व में बोया है उसके पाप काटने पड़ेंगे. नाम के नाम का सहारा लें और आगे बढ़ेंगे.
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