Love, Sitara Review: अपने परिवार से बेझिझक सच बोलना सिखाती है ये शानदार फिल्म, शोभिता धुलिपाला की बेस्ट परफॉर्मेंस

Love, Sitara Review: हर हैप्पी फैमिली एक जैसी होती है और हर अनहैप्पी फैमिली एक दूसरे से बिल्कुल अलग होती है. क्या आपकी फैमिली हैप्पी है? या फिर अनहैप्पी है, क्या आपकी फैमिली ने एक दूसरे से कुछ छिपाया है? जाहिर है कुछ ना कुछ हम छिपाते हैं, मजबूरी में या फिर दूसरे की खुशी के लिए. 

‘लव, सितारा’ बताती है कि फैमिली को अगर कुछ बताएंगे तो वो समझेगी और असली हैप्पी फैमिली वही है जहां कोई एक दूसरे को जज ना करे और एक दूसरे की खुशी को समझे लेकिन एक बात समझ में ये नहीं आती कि अच्छी फिल्मों को ओटीटी वाले इतना प्रमोट क्यों नहीं करते जितना कूड़े-कचरे को करते हैं, लेकिन ‘लव, सितारा’ जैसी फिल्मों को लव जरूर मिलना चाहिए.

कहानी
सितारा यानी शोभिता धुलिपाला इंटीरियर डिजाइनर हैं, एक दिन उन्हें पता चलता है कि वो प्रेग्नेंट हैं. फिर वो अपने बॉयफ्रेंड अर्जुन यानि राजीव सिद्धार्थ को शादी के लिए प्रपोज करती हैं. लेकिन ये नहीं बताती कि वो प्रेग्नेंट है, जबकि 3 साल पहले वो अर्जुन के शादी के प्रपोजल को ठुकरा चुकी हैं और ये भी कह चुकी हैं कि वो बच्चे पैदा नहीं कर सकती क्योंकि इससे ओवरीज डैमेज हो जाती हैं. 

फिर ये लोग शादी के लिए सितारा की अम्मुमा यानि नानी बी जयश्री के घर जाते हैं, जहां सितारा की मां लता यानि वर्जीनिया राड्रिग्स, पापा गोविंद यानि संजय भूटियानी  और मौसी हेमा यानि सोनाली कुलकर्णी भी हैं. किसी को नहीं पता कि सितारा प्रेग्नेंट है लेकिन यहां बहुत कुछ इस परिवार के बारे में और भी ऐसा है जो एक दूसरे को नहीं पता. धीरे-धीरे वो राज खुलते हैं और ये क्या राज हैं जो आपको जी 5 पर ये फिल्म देखकर पता चलेगा.

कैसी है फिल्म?
इस फिल्म को शुरू के 15 मिनट देखकर बंद मत कर दीजिएगा क्योंकि फिल्म की शुरुआत भले स्लो लगती है लेकिन फिल्म जब पेस पकड़ती है तो रिश्तों के ऐसे संसार में ले जाती है जहां आप और हम सब उलझे हुए हैं. हम सब अपने परिवार में ही इस डर से एक-दूसरे से चीजें छिपाते हैं कि हमें जज किया जाएगा, हमें गलत समझा जाएगा. लेकिन इससे चीजें और खराब हो जाती हैं.

‘लव, सितारा’ शायद आपको गिल्ट भी महसूस कराए अगर आप कभी किसी एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर में रहे हैं. ये फिल्म शायद आपको अपने परिवार से सच कहने के लिए प्रेरित भी करे. 1 घंटे 45 मिनट की फिल्म बहुत शानदार है, हर किरदार की अपनी कहानी, अपनी मजबूरी है, अपना अस्तित्व है. धीरे धीरे जब आप ये सब जानते हैं तो आपको काफी कुछ महसूस होता है. महसूस होता है कि घर की महिलाएं बाहर से कुछ और हैं और अपने अंदर कुछ और ही छिपाए हुए हैं और ये महसूस करने के लिए ये फिल्म देख डालिए.

एक्टिंग
शोभिता धूलिपाला का ये करियर बेस्ट परफॉर्मेंस है, बेस्ट से मतलब अब तक का बेस्ट है. एक एक्टर का बेस्ट हमेशा छिपा रहना चाहिए लेकिन ये भी सच है कि एक कलाकार की खुराक उसकी तारीफ होती है और यहां शोभिता उसकी हकदार हैं. वो लग भी बहुत खूबसूरत रही हैं, चाहे मॉडर्न ड्रेस में हों या साड़ी में, उनकी स्क्रीन प्रेजेंस गजब की है. इस किरदार को उन्होंने काफी मैच्योर तरीके से प्ले किया है. 

सितारा के बॉयफ्रेंड के किरदार में राजीव सिद्धार्थ का काम काफी अच्छा है, मौसी बनी सोनाली कुलकर्णी काफी अच्छी लगी हैं और अपने किरदार को उन्होंने काफी अच्छे से निभाया है. इस किरदार में वो काफी सूट भी की हैं . नानी के रोल में बी जयश्री ने कमाल का काम किया है, वो आपको खूब हंसाती हैं. एक ऐसी नानी जिसे सेक्स से जुड़ी बातें खुलेआम करने से कोई परहेज नहीं है. वर्जीनिया राड्रिग्स का काम अच्छा है , संजय भूटियानी ने भी सबका बखूबी साथ दिया है.

राइटिंग और डायरेक्शन
‘लव, सितारा’ को सोनिया बहल, वंदना, हुसैन दलाल और अब्बास दलाल ने लिखा है. वंदना कटारिया ने फिल्म को डायरेक्ट किया है और ये सब इस फिल्म के हीरो हैं. इस फिल्म की राइटिंग सबसे कमाल की चीज है. 1 घंटे 45 मिनट में सब किरदारों को इतना अच्छे से दिखा देना, उनकी कहानियों को महसूस करना देना, ये राइटिंग का ही कमाल है. 

वंदना की ये ‘नोबलमैन’ के बाद दूसरी फिल्म है और उनका डायरेक्शन देखकर ऐसा नहीं लगता, उन्होंने कमाल तरीके से फिल्म को डायरेक्ट किया है, हर किरदार को अहमियत दी है, बिना चीख चिल्लाहट, बिना ड्रामेबाजी के कहानी को सधे अंदाज में कैसे पेश किया जा सकती है , ये वंदना ने दिखाया है. कुल मिलाकर ये फिल्म जरूर देखिए और इसे महसूस कीजिए.

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