Chaitra Navratri 2025: नवरात्रि में पहले दिन किस देवी पूजा होती है, ये जीवन में क्या फल देती हैं

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Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ 30 मार्च से हो रहा है और नवमी तिथि 7 अप्रैल को इसका समापन होगा. नवरात्रि के पावन दिनों में भक्तगण माता के 9 स्वरूपों की पूजा करते हैं. प्रतिपदा तिथि को कलश स्थापना के साथ मां दुर्गा का आह्वान करते हैं और स्थापना के साथ व्रत-पूजन प्रारंभ होता है. जानें पहले दिन घटस्थापना के साथ माता के किस स्वरूप की पूजा की जाती है.

नवरात्रि के पहले दिन किस देवी की पूजा

चैत्र नवरात्रि आज से शुरू हो रहे हैं और घट स्थापना के बाद मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना की जाएगी. शैल का अर्थ होता है हिमालय और पर्वतराज हिमालय के यहां जन्म लेने के कारण माता पार्वती को शैलपुत्री भी कहा जाता है. धार्मिक मत है कि मां शैलपुत्री की पूजा करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं. साथ ही सुख और सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है.

नवरात्रि 2025 पहले दिन की पूजा

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि शुरू – 29 मार्च 2025, शाम 4.27
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि समापन – 30 मार्च 2025, दोपहर 12.49
लाभ – उन्नति – 09:20 से 10:53
अमृत – सर्वोत्तम – 10:53 से 12:26
घटस्थापना मुहूर्त – 06:13 से 10:22
घटस्थापना अभिजित मुहूर्त – 12:01 से 12:50

मां शैलपुत्री की पूजा

मां शैलपुत्री की पूजा विधि आरम्भ करने से पहले सुबह उठाकर स्नान करें और मंदिर की साज सजावट करें. इसके बाद कलश की स्थापना कर पूजा शुरू करें, मां की मूर्ति या तस्वीर को सिंदूर से तिलक लागाने के बाद लाल रंग के पुष्प अर्पित करें. इसके बाद माता को फल और मिठाई अर्पित करें और माता के समक्ष घी का दीपक जलाए. माता की आरती करने के साथ दुर्गा चालीसा का पाठ करें, इसके बाद व्रत का संकल्प लें.

मां शैलपुत्री का स्वरूप

 माता शैलपुत्री का स्वरूप बेहत शांत और सरल है. माता ने दाएं हाथ में त्रिशूल है और बाएं हाथ में कमल धारण किया हुआ है. यह नंदी नामक बैल पर सवार संपूर्ण हिमालय पर विराजमान है. यह वृषभ वाहन शिवा का ही स्वरूप है.

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