पायल, कंगन..ही नहीं सुहाग की ये भी होती हैं निशानियां, जानें इनका धार्मिक महत्व

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Shringar Items: सुहागिन के लिए 16 सोलह श्रृंगार की हर वस्तु का अपना अलग धार्मिक महत्व होता है. सोलह श्रृंगार उसकी वैवाहिक स्थिति का प्रतीक होता है, एक आशीर्वाद का प्रतिनिधित्व करता है.सोलह श्रृंगार में क्या-क्या शामिल है और उनका धार्मिक महत्व क्या है.

बिंदी – “बिंदी” शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द “बिंदु” से हुई है. यह भगवान शिव की तीसरी आँख का प्रतीक है. विवाहित महिलाएँ अपने माथे पर बिंदी लगाना अत्यंत महत्वपूर्ण मानती हैं. भौंहों के बीच का स्थान एक महत्वपूर्ण तंत्रिका केंद्र है, जिसे ध्यान के दौरान कुंडलिनी ऊर्जा को जागृत करने में सहायक माना जाता है. इस स्थान को “आज्ञा चक्र” कहा जाता है, जो महिला को मानसिक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है.

सिंदूर – विवाहित महिलाएँ अपने पति की लंबी उम्र के लिए अपनी मांग में सिंदूर भरती हैं. इसके अलावा, सिंदूर महिला के सहस्रार चक्र को सक्रिय रखता है. यह महिला को सतर्क बनाए रखता है और उसे बुद्धिमानी से सोचने के लिए मदद करता है.

नथ – भारतीय संस्कृति में नथ या नथनी सबसे पारंपरिक और सांस्कृतिक आभूषणों में से एक है. यह विवाहिता महिला की पहचान मानी जाती है. आयुर्वेद के अनुसार, नाक छिदवाने से प्रसव और मासिक धर्म संबंधी समस्याओं में राहत मिल सकती है.

मंगलसूत्र – यह प्रेम, समर्पण और वैवाहिक दीर्घायु का आध्यात्मिक प्रतीक है. ये काले मोती और सोने से बना होता है. मान्यताओं के अनुसार मंगल सूत्र पहनने से सुहाग की रक्षा होती है और साथ ही वैवाहिक जीवन भी सुखद बना रहता है.

बिछिया – ऐसा माना जाता है कि इसे पहनने से महिलाओं का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और घर में समृद्धि भी आती है. ये सुहागिन का प्रतीक है. बिछिया पहनने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और अपनी कृपा बनाए रखती हैं. साथ ही बिछिया पहनने से नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है.

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