Mauni Amavasya 2025: माघ महीने की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं. इस तिथि के लिए ये भी माना जाता है कि इस दिन ब्रह्माजी ने स्वयंभुव मनु को उत्पन्न कर सृष्टि बनाने का काम शुरू किया था, इसलिए भी इसे मौनी अमावस्या कहते हैं. इस दिन मौन रहकर किसी भी तीर्थ स्थल में किए गए स्नान, व्रत और दान से मिलने वाला पुण्य कभी खत्म नहीं होता है. खासकर मौन साधना जहां मन को नियंत्रित करती है, वहीं इसे करने से स्पीच पावर भी बढ़ती है.
जिन लोगों के लिए पूरा दिन मौन धारण करना मुश्किल है, वे सवा घंटे का भी मौन व्रत जरूर रखें, इससे उनको एक नई ऊर्जा मिलेगी. मौन रहकर ईश्वर का मानसिक जाप करने से कई गुना ज्यादा फल मिलता है. जो लोग डर, वहम या मानसिक अस्थिरता का सामना कर रहे हैं, उनके लिए मौनी अमावस्या का दिन बहुत ही लाभकारी है. इस दिन ध्यान करने से न केवल मानसिक शांति मिलती है बल्कि स्वास्थ्य में भी सुधार होता है. यह साधना ज्ञान और सकारात्मक उर्जा प्राप्त करने का उत्तम उपाय है. मौनी अमावस्या पर व्रत और पूजा करने से कुंडली में मौजूद ग्रह दोष दूर हो जाते हैं. यह दिन नए सिरे से जीवन की शुरुआत करने का अवसर प्रदान करता है और सुख-समृद्धि के द्वार खोलता है.
मौनी अमावस्या पर करें ये काम
अमावस्या तिथि के स्वामी पितृ होते हैं. पद्म पुराण के अनुसार माघ महीने की अमावस्या को सूरज उगने से पहले तिल और जल से पितरों का तर्पण करने से पितरों को शांति मिलती है. साथ ही मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं. अनाज और कपड़ों का दान करने से मां लक्ष्मी खुश होती हैं. पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए इस दिन उपवास रखें, पूजा करें.
मौनी अमावस्या 2025 तिथि (Mauni Amavasya 2025 Date)
इस वर्ष माघ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 28 जनवरी 2025 शाम 7 बजकर 36 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 29 जनवरी को शाम 6 बजकर 5 मिनट तक रहेगी. उदया तिथि के अनुसार मौनी अमावस्या बुधवार, 29 जनवरी को मनाई जाएगी.
मौनी अमावस्या शुभ योग (Mauni Amavasya 2025 Shubh Yog)
मौनी अमावस्या पर इस बार कई शुभ योग बन रहे हैं. क्योंकि, इस दिन चंद्रमा और सूर्य मकर राशि में रहेंगे. साथ ही इस बार गुरु भी वृषभ राशि में रहेंगे. बुधादित्य योग, सिद्धि योग बनेगा. सिद्धि योग के स्वामी गणेश जी हैं, जो शुभता प्रदान करते हैं, इस योग में किए गए कार्य सफल सिद्ध होते हैं, पूजा पाठ, दान आदि का शुभ फल प्राप्त होता है. महाकुंभ (Mahakumbh 2025) में मौनी अमावस्या पर शाही स्नान का विशेष महत्व है. इसे अमृत स्नान भी कहा जाता है. प्रयागराज में महाकुंभ मेले का तीसरा अमृत स्नान ब्रह्म मुहूर्त से प्रारंभ हो जाएगा.
मौनी अमावस्या 2025 शुभ योग (Mauni Amavasya 2025 Shubh Muhurat)
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5 बजकर 25 मिनट से सुबह 6 बजकर 18 मिनट तक है.
साथ ही इस दिन विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 22 मिनट से 3 बजकर 5 मिनट तक रहेगा.
वहीं, गोधूलि मुहूर्त 29 जनवरी की शाम 5 बजकर 15 मिनट से 6 बजकर 15 मिनट तक रहेगा.
मौनी अमावस्या पूजा (Mauni Amavasya 2025 Puja)
इस दिन सुबह जल्दी उठकर तीर्थ या पवित्र नदी में स्नान करें. ऐसा न हो सके तो सूर्योदय से पहले उठकर घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें. स्नान करते वक्त मन में ऊँ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें. स्नान के बाद तांबे के लोटे में जल, लाल पुष्प, गेहूं और काले तिल डालकर ऊँ सूर्य देवाय नमः मंत्र बोलते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य दें, इससे पापों का नाश एवं पुण्य की प्राप्ति होती है.
इस दिन सूर्यास्त के बाद पीपल के नीचे तिल के तेल का दीपक जलाएं और पांच तरह की मिठाइयों को अलग अलग पांच पीपल के पत्तों पर रख कर ऊँ सर्वेभ्यो पितृदेवेभ्यो नमः मंत्र का 108 बार जाप करें. इसके बाद पीपल के पेड़ की परिक्रमा करें और पितरों से अपनी गलतियों की क्षमा मांगें. इसके बाद उस प्रसाद को गरीबों में बांट दें. इससे आपके घर में पितरों की कृपा बनी रहेगी. दरिद्रता दूर होगी और फैमिली मेंबर्स में आपसी प्रेम भी बना रहेगा.
कालसर्प दोष शांति के लिए सूर्योदय के समय शिवलिंग पर जलाभिषेक करें. इसके बाद बेलपत्र अर्पित कर 108 बार ऊँ नमः शिवाय मंत्र का जाप करके चांदी से निर्मित नाग-नागिन की पूजा करें. इसके बाद नाग-नागिन को सफेद पुष्प के साथ बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें. ऐसा करने से कालसर्प दोष के दुष्प्रभावों में कमी होगी.
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