भारत ने सी-फूड एक्सपोर्ट के मामले में एक बार फिर शानदार प्रदर्शन किया है. वित्त वर्ष 2024-25 में अब तक भारत ने सी-फूड एक्सपोर्ट से 60,523.89 करोड़ रुपये की कमाई की है. इस क्षेत्र में झींगा की मांग ने सबसे बड़ा योगदान दिया, जिसकी हिस्सेदारी कुल एक्सपोर्ट में लगभग दो-तिहाई रही. भारतीय समुद्री उत्पादों की गुणवत्ता और बढ़ती मांग के कारण अमेरिका और चीन जैसे देशों ने भारत के सी-फूड को हाथों-हाथ लिया है.
1.78 मिलियन टन सी-फूड का एक्सपोर्ट
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत ने वित्त वर्ष 2024-25 में कुल 1.78 मिलियन टन सी-फूड का एक्सपोर्ट किया. यह पिछले साल की तुलना में 2.67 फीसदी अधिक है. भारतीय समुद्री उत्पाद न केवल अपनी ताजगी और गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध हैं, बल्कि इनकी मांग में लगातार बढ़ोतरी हो रही है.
सरकार की नीतियां और सीमा शुल्क में कटौती का असर
सी-फूड एक्सपोर्ट को प्रोत्साहन देने के लिए केंद्र सरकार ने कई कदम उठाए हैं. खासतौर पर झींगा और मछली चारा उत्पादन के लिए उपयोग किए जाने वाले इनपुट पर सीमा शुल्क (बीसीडी) घटाकर 5 फीसदी कर दिया गया है. जैसे- ब्रूडस्टॉक और पॉलीचेट वर्म्स, इन पर टैक्स में छूट दी गई है.
इसके अलावा क्रिल भोजन, मछली के तेल और एल्गल प्राइम (आटा) जैसे इनपुट पर भी टैक्स कम किया गया है. वहीं, प्राकृतिक गैस से बने सिंगल-कोशिका प्रोटीन और कीट भोजन पर भी टैक्स में कटौती की गई है. यह सभी कदम जलीय कृषि उद्योग को सशक्त बनाने और भारतीय उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाए रखने के लिए उठाए गए हैं.
अमेरिका और चीन बने सबसे बड़े खरीदार
संयुक्त राज्य अमेरिका वित्त वर्ष 2024-25 में भारत के सबसे बड़े सी-फूड आयातक के रूप में उभरा है. अमेरिकी बाजार में जिस खास मछली की सबसे ज्यादा मांग रही वह फ्रोजन झींगा है, जो अमेरिका के कुल आयात का 91.9 फीसदी थी. अमेरिका ने भारतीय सी-फूड के कुल एक्सपोर्ट का 34.53 फीसदी हिस्सा खरीदा. वहीं, चीन इस लिस्ट में दूसरा सबसे बड़ा खरीदार रहा. चीन ने 451,000 मीट्रिक टन सी-फूड का आयात किया, जिसकी कीमत 1.38 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी. जापान तीसरे स्थान पर रहा, जबकि वियतनाम, थाईलैंड, कनाडा, स्पेन, बेल्जियम, यूएई और इटली जैसे देशों ने भी भारतीय सी-फूड का बड़ी मात्रा में आयात किया.
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