जब पढ़ने और आगे बढ़ने की लगन हो तो कोई भी बाधा आपको आगे बढ़ने के लिए रोक नहीं सकती है. ऐसा ही लोगों की हम आपके लिए खास सीरीज ‘सक्सेस मंत्रा’ लेकर आए हैं, जिसमें आज हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के नूरुल हसन की. बचपन में बेहद गरीबी का सामना करने के बावजूद उनकी पढ़ाई की लगन बनी रही.
आखिरकार उन्होंने यूपीएससी में टॉप करके मिसाल पेश की. इस सफलता तक पहुंचने में उन्होंने काफी कठिनाइयों का सामना किया. कभी उनके पिता को फीस भरने के लिए जमीन बेचनी पड़ी, तो कभी मलिन बस्ती में रहना पड़ा. हालांकि नूरुल ने हिम्मत नहीं हारी और सफलता हासिल करके ही माने. वे आईपीएस ऑफिसर बन गए. इनकी प्रेरणादायक कहानी के बारे में जानते हैं.
बारिश में टपकती छत में पढ़ाई
नूरुल ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जिस स्कूल में वह पढ़ते थे, उसकी स्थिति इतनी खराब थी कि बारिश के मौसम में छत से पानी टपकता था. ऐसी कठिन परिस्थितियों में भी वह वहां बैठकर पढ़ाई करते थे. नूरुल का कहना है कि वे उस स्कूल के शिक्षकों के बेहद आभारी हैं जिन्होंने इन मुश्किल हालात के बावजूद उन्हें बेहतर शिक्षा दी. नूरुल हसन ने क्लास 5 में एबीसीडी सीखी थी और वे बताते हैं कि क्लास 12 तक उनकी अंग्रेजी काफी कमजोर थी. इसके बाद उन्होंने अपनी कमजोरियों को दूर करने के लिए कठिन प्रयास किए और अपनी अंग्रेजी को सुधारा.
पिता थे फोर्थ क्लास कर्मचारी, रहते थे मलिन बस्ती में
नूरुल के पिता को जब बरेली में नौकरी मिली, तब नूरुल दसवीं कक्षा पास कर चुके थे और 11वीं में दाखिला लेना था. उनके पिता फोर्थ क्लास कर्मचारी थे, और उनकी सैलरी बहुत कम थी. परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि उन्हें एक मलिन बस्ती में किराए पर घर लेना पड़ा. वहीं पास के एक स्कूल में नूरुल ने 11वीं में दाखिला लिया और कक्षा 12 तक अपनी पढ़ाई पूरी की. इसके बाद, उन्होंने बीटेक के एंट्रेंस एग्जाम की कोचिंग करने का विचार किया, जिसके लिए उनके पिता ने अपनी गांव की जमीन बेचकर उन्हें कोचिंग में दाखिला दिलवाया.
आईआईटी में नहीं हो सका था एडमिशन
कोचिंग के बाद उनका चयन आईआईटी में नहीं हो पाया, लेकिन उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) की परीक्षा पास की. यहां से उन्होंने बहुत कम फीस में बीटेक किया. नूरुल अपने एएमयू के दिनों को अपनी जिंदगी का अहम हिस्सा मानते हैं, क्योंकि यहीं उन्हें जीवन के कई बुनियादी गुण जैसे सही तरीके से बोलना, बैठना और ढंग से कपड़े पहनना सिखने को मिले. यहीं पर उनके मन में यूपीएससी की तैयारी करने का ख्याल भी आया.
बीटेक के बाद बन गए थे क्लास वन ऑफिसर
बीटेक करने के बाद नूरुल ने कुछ समय एक कंपनी में काम किया ताकि वह घर के खर्च में मदद कर सकें और अपने छोटे भाइयों की पढ़ाई का खर्च उठा सकें. इसी दौरान, उन्होंने भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC) में भी इंटरव्यू दिया और डेढ़ से दो लाख कैंडिडेट्स में से 200 चयनित उम्मीदवारों में अपनी जगह बना ली. इस स्टेज पर नूरुल क्लास वन ऑफिसर बन चुके थे. बावजूद इसके, उनके मन में यूपीएससी की तैयारी करने का ख्याल अभी भी बना हुआ था.
कोचिंग के लिए नहीं थे पैसे फिर भी पाई सफलता
नौकरी करते हुए नूरुल ने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी. उन्होंने कोचिंग जॉइन करने का सोचा, लेकिन कोचिंग की फीस बहुत अधिक थी. फिर उन्होंने ठान लिया कि वे सेल्फ स्टडी के माध्यम से ही परीक्षा पास करेंगे. इस दौरान एक बार ऐसा भी आया जब वे इंटरव्यू राउंड तक पहुंचे, लेकिन उनका चयन नहीं हो पाया. बावजूद इसके, उन्होंने हार नहीं मानी और फिर से मेहनत की, और आखिर सफलता हासिल की.
महनत करना मत छोड़ें
नूरुल सभी उम्मीदवारों को यही सलाह देते हैं कि वे अपने अतीत को भूलकर पूरी मेहनत और समर्पण के साथ तैयारी करें. आपकी पढ़ाई चाहे किसी भी माध्यम से हुई हो, उससे कोई फर्क नहीं पड़ता. अगर आपके मन में आत्मविश्वास है और किसी भी स्थिति में हार न मानने का जुनून है, तो कड़ी मेहनत के बल पर आप एक दिन जरूर सफलता की ऊंचाइयों को छू सकते हैं.
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