IND vs AUS Semi-final: ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच से पहले दुबई की पिच में बड़ा बदलाव, टीम इंडिया की बढ़ेंगी मुश्किलें?

Dubai Stadium Pitch, IND vs AUS: आज चैंपियंस ट्रॉफी का पहला सेमीफाइनल खेला जाएगा. दोनों टीमें दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम में आमने-सामने होंगी. भारतीय समयनुसार मैच दोपहर 2.30 बजे शुरू होगा. बहरहाल, आज दुबई की पिच कैसी होगी? क्या बल्लेबाज आसानी से रन बनाएंगे या फिर गेंदबाज कहर बरपाएंगे? साथ ही भारत-ऑस्ट्रेलिया सेमीफाइनल किस पिच पर खेला जाएगा. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत-ऑस्ट्रेलिया सेमीफाइनल नई पिच पर खेला जाएगा. इस तरह ग्राउंड में बदलाव नहीं होगा, लेकिन पिच बदला-बदला नजर आएगा.

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ नई पिच पर खेलेगी भारतीय टीम

दरअसल, इससे पहले भारतीय टीम बांग्लादेश और पाकिस्तान के खिलाफ अलग-अलग पिच पर खेली. लेकिन अगर भारत-ऑस्ट्रेलिया सेमीफाइनल नई पिच पर होता है तो हालात कितने बदले नजर आएंगे? क्रिकेट के जानकारों का कहना है कि अगर नई पिच पर मैच होता है तो पिच का मिजाज बदला-बदला नजर आएगा. यह पिच फिर उस तरह नहीं खेलेगी, जिस तरह बांग्लादेश, पाकिस्तान और न्यूजीलैंड के खिलाफ खेली. इस पिच के स्वाभाव में बदलाव आ जाएगा. वहीं, इस समय आईसीसी की देखरेख में एमिरेट्स क्रिकेट बोर्ड नई पिच तैयार करने में लगा है. साथ ही ऑस्ट्रेलिया के मैथ्यू सैंड्री क्यूरेटर की भूमिका निभा रहे हैं.

अगर ऐसा हुआ तो टीम इंडिया को लगेगा झटका

दरअसल, न्यूजीलैंड के खिलाफ टीम इंडिया 4 स्पिनरों के साथ उतरी थी. उस मैच में वरुण चक्रवर्ती, कुलदीप यादव, रवींद्र जडेजा और वरुण चक्रवर्ती प्लेइंग इलेवन का हिस्सा थे. अगर नई पिच हुई तो स्पिनरों के लिए बॉल टर्न करवाना आसान नहीं होगा. ऐसे में भारतीय टीम के लिए बड़ा झटका माना जाएगा, क्योंकि स्पिन बॉलिंग भारतीय टीम का मजबूत पक्ष रहा है. इससे पहले न्यूजीलैंड के खिलाफ वरुण चक्रवर्ती ने 5 विकेट लिए थे. अगर पिच के स्वाभाव में बदलाव हुआ तो वरुण चक्रवर्ती के साथ-साथ अन्य भारतीय स्पिनरों के लिए मुश्किलें बढ़ जाएंगी.

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IND vs AUS Semi-final: ‘अगर टीम इंडिया ऐसा करने में कामयाब रही तो…’, पूर्व भारतीय क्रिकेटर ने बताया जीत का फॉर्मूला

Sanjay Manjrekar On Travis Head: आईसीसी चैंपियन्स ट्रॉफ़ी के पहले सेमीफाइनल में भारत और ऑस्ट्रेलिया की टीमें आमने-सामने होंगी. दोनों टीमें सेमीफाइनल जीतकर फाइनल में जगह बनाना चाहेगी. अब सवाल है रोहित शर्मा की कप्तानी वाली भारतीय टीम के लिए ऑस्ट्रेलिया का चैलेंज कितना बड़ा है? पूर्व भारतीय क्रिकेटर संजय मांजरेकर ने भारत-ऑस्ट्रेलिया सेमीफाइनल पर अपनी बात रखी. संजय मांजरेकर ने कहा कि भारतीय टीम के लिए ट्रेविस हेड सबसे बड़ा खतरा हैं. भारत के गेंदबाज जल्द से जल्द ट्रेविस हेड को पवैलियन भेजना चाहेंगे. अगर भारतीय गेंदबाज ट्रेविस हेड को जल्दी आउट कर लेते हैं तो काम आसान हो जाएगा.

‘ट्रेविस हेड को कोई भारतीय गेंदबाज जल्दी आउट करें…’

ESPNCricinfo के साथ बातचीत में संजय मांजरेकर ने कहा कि वनडे वर्ल्ड कप 2023 के फाइनल में ट्रेविस हेड की शतकीय पारी ने ऑस्ट्रेलिया को चैंपियन बना दिया. उस मैच में ट्रेविस हेड ने 137 रन बनाए थे. संजय मांजरेकर कहते हैं ट्रेविस हेड को कोई भारतीय गेंदबाज जल्दी आउट करें, चाहें वो जो भी हों… ट्रेविस हेड एक ऐसा खिलाड़ी है, जिसे भारतीय टीम जल्द से जल्द पवैलियन वापस भेजना चाहेगी. दरअसल, भारत के खिलाफ ट्रेविस हेड के आंकड़े हैरान करने वाले हैं. इस बल्लेबाज ने भारत के खिलाफ खूब रन बनाए हैं. बहरहाल, चैंपियंस ट्रॉफी सेमीफाइनल में ट्रेविस हेड को रोकना टीम इंडिया के गेंदबाजों के लिए आसान नहीं होगा.

टीम इंडिया के खिलाफ लगातार रन बनाते रहे हैं ट्रेविस हेड

आंकड़े बताते हैं कि भारत के खिलाफ ट्रेविस हेड ने 9 वनडे खेले हैं. जिसमें ऑस्ट्रेलियाई ओपनर ने 101.76 की स्ट्राइक रेट और 43.12 की एवरेज से 345 रन बनाए हैं. भारत के खिलाफ वनडे फॉर्मेट में ट्रेविस हेड 1 शतक के अलावा 1 बार पचास रनों का आंकड़ा पार कर चुके हैं. हालांकि, यह देखना मजेदार होगा कि भारत के खिलाफ सेमीफाइनल में ट्रेविस हेड का प्रदर्शन कैसा रहता है? साथ ही भारतीय टीम के गेंदबाज ट्रेविस हेड के खिलाफ किस रणनीति के साथ उतरते हैं? 

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IND vs AUS: भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच चैंपियंस ट्रॉफी का सेमीफाइनल, हेड टू हेड कैसा रहा है रिकॉर्ड?

IND vs AUS Head To Head In ODI: आज चैंपियंस ट्रॉफी सेमीफाइनल में भारत और ऑस्ट्रेलिया की टीमें भिड़ेंगी. दोनों टीमों के बीच मुकाबला दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम में खेला जाएगा. वहीं, भारत-ऑस्ट्रेलिया सेमीफाइनल भारतीय समयनुसार दोपहर 2.30 बजे शुरू होगा. रोहित शर्मा की कप्तानी वाली भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया को हराकर फाइनल में जगह बनाने के इरादे से मैदान पर उतरेगी. लेकिन टीम इंडिया के लिए यह आसान नहीं होगा. दरअसल, आंकड़े बताते हैं कि वनडे फॉर्मेट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारतीय टीम संघर्ष करती रही है.

भारत-ऑस्ट्रेलिया हेड टू हेड रिकॉर्ड क्या है?

अब तक भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच 151 वनडे खेले गए हैं. जिसमें ऑस्ट्रेलिया ने 84 जीते हैं, जबकि भारत को 57 मैचों में जीत मिली है. इन आंकड़ो से साफ है कि वनडे फॉर्मेट में भारतीय टीम के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया के पलड़ा भारी रहा है. हालांकि, चैंपियंस ट्रॉफी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टीम इंडिया का दबदबा रहा है. अब तक चैंपियंस ट्रॉफी में भारत और ऑस्ट्रेलिया का 2 बार आमना-सामना हुआ है. दोनों बार भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया को हराया है. वहीं, भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच चैंपियंस ट्रॉफी का एक मैच बारिश की भेंट चढ़ गया.

आईसीसी वनडे इवेंट्स के नॉकआउट मैचों में किसका पलड़ा रहा है भारी?

आईसीसी वनडे इवेंट्स के नॉकआउट मैचों में भारत और ऑस्ट्रेलिया की टीमें 6 बार आमने-सामने हो चुकी हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं आईसीसी वनडे इवेंट्स के नॉकआउट मैचों में किसका पलड़ा भारी रहा है? आईसीसी वनडे इवेंट्स के नॉकआउट मैचों में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 3 बार हराया है. वहीं, भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 3 बार हार का सामना करना पड़ा है. 

बताते चलें कि आज चैंपियंस ट्रॉफी का पहला सेमीफाइनल भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेला जाएगा. दोनों टीमों के बीच मुकाबला दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम में खेला जाएगा. वहीं, भारत-ऑस्ट्रेलिया सेमीफाइनल भारतीय समयनुसार दोपहर 2.30 बजे शुरू होगा.

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IND vs AUS: भारत-ऑस्ट्रेलिया सेमीफाइनल में कौन सी टीम फेवरेट? सुनील गावस्कर ने कर डाली बड़ी भविष्यवाणी

Sunil Gavaskar Prediction India vs Australia: भारत-ऑस्ट्रेलिया सेमीफाइनल पर क्रिकेट एक्सपर्ट लगातार अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. अब पूर्व भारतीय क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने चैंपियंस ट्रॉफी में भारत-ऑस्ट्रेलिया सेमीफाइनल पर अपनी बात रखी है. सुनील गावस्कर के मुताबिक, भारतीय टीम निश्चित तौर पर फेवरेट है. ऑस्ट्रेलिया के पैट कमिंट, मिचेल स्टार्क और जोश हेजलवुड जैसे बड़े खिलाड़ी टीम का हिस्सा नहीं होंगे. इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया की स्पिन गेंदबाजी आक्रमण कमजोर नजर आ रही है. लिहाजा, ऑस्ट्रेलिया के लिए भारतीय टीम को रोकना आसान नहीं होगा.

‘ऑस्ट्रेलिया की बल्लेबाजी अच्छी है, लेकिन गेंदबाजी कमजोर…’

सुनील गावस्कर ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया की बल्लेबाजी अच्छी है, लेकिन गेंदबाजी कमजोर नजर आ रही है. इसके अलावा सुनील गावस्कर ने पिच के मिजाज पर अपनी बात रखी. दरअसल, भारत-न्यूजीलैंड मैच के बाद लगातार कहा जा रहा है कि पिच खास तौर पर स्पिनरों के लिए तैयार किया गया. लिहाजा, इस पिच पर स्पिनरों को बहुत मदद मिल रही है, लेकिन लिटिल मास्टर इससे इत्तेफाक नहीं रखते. उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता पिच से कोई बहुत मदद मिल रही हो. आपने हमारे स्पिनरों को देखा, शुरूआती ओवरों में विकेट नहीं आए, लेकिन जैसे-जैसे मैच आगे बढ़ा पिच स्पिनरों के मुफीद होता चला गया.

‘भारत-न्यूजीलैंड मैच में स्पिनरों के लिए मदद जरूर थी, लेकिन यह…’

सुनील गावस्कर ने कहा कि भारत-न्यूजीलैंड मैच में स्पिनरों के लिए मदद जरूर थी, लेकिन यह कोई ऐसी पिच नहीं थी जिस पर बल्लेबाजी करना नामुमकिन हो. उन्होंने कहा कि पिच में थोड़ी मदद जरूर थी, लेकिन हमारे गेंदबाजों ने अच्छी लाइन और लेंग्थ पर गेंदबाजी कर न्यूजीलैंड के बल्लेबाजों के लिए काम मुश्किल बना दिया. बताते चलें कि भारत ने अपने आखिरी ग्रुप स्टेज मैच में न्यूजीलैंड के 44 रनों से हरा दिया. पहले बल्लेबाजी करने उतरी भारतीय टीम ने 50 ओवर में 9 विकेट पर 249 रनों का स्कोर बनाया. जिसके जवाब में न्यूजीलैंड की टीम 205 रनों पर सिमट गई. भारत के लिए वरुण चक्रवर्ती ने सबसे ज्यादा 5 विकेट लिए. वहीं, इस मैच में भारतीय स्पिनरों ने 9 बल्लेबाजों को आउट किया.

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बाप की फ्लॉप फिल्म ने बिकवा दिया घर, 50 रुपए थी पहली सैलरी, आज टीवी की हाइएस्ट पेड एक्ट्रेस है ये हसीना

Actress Struggle Story: फिल्मी दुनिया हो या टीवी इंडस्ट्री, किसी भी एक्टर या एक्ट्रेस के लिए यहां अपने पैर जमाना कोई आसान काम नहीं है. आमतौर पर कलाकारों को काफी कुछ झेलना पड़ता है तब जाकर उन्हें एक फिल्म या किसी शो में छोटा-सा रोल मिलता है. हम एक ऐसी एक्ट्रेस के बारे में बता रहे हैं जिनका शुमार आज टीवी की हाइएस्ट पेड एक्ट्रेसेस में होता है लेकिन कभी वे पाई-पाई की मोहताज हुआ करती थीं.

ये एक्ट्रेस और कोई नहीं, बल्कि ‘अनुपमा’ फेम रुपाली गांगुली है. रुपाली के पास आज ना काम की कमी है और ना नाम की. उनके पास दौलत भी है और शोहरत भी है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक्ट्रेस कभी पैसों की तंगी में ऐसी फंस गई थीं कि उन्हें छोटे-मोटे काम भी करने पड़े.

 
 
 
 
 
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पहली कमाई थी 50 रुपए
रुपाली गांगुली ने एक इंटरव्यू में खुद खुलासा किया था कि उनके पिता अनिल गांगुली ने 1991 में एक फिल्म डायरेक्ट की थी जो बुरी तरह फ्लॉप हो गई. इसकी वजह से रुपाली और उनकी फैमिली आर्थिक तंगी का शिकार हो गए और उन्हें अपना घर से लेकर गहने तक बेचने पड़े. बाद में रुपाली गांगुली ने पृथ्वी थिएटर जॉइन किया जहां उन्होंने दिनेश ठाकुर के नाटक ‘आत्मकथा’ में काम किया. ये उनका पहला नाटक था और इसके लिए उन्हें सिर्फ 50 रुपए मिले थे. हालांकि ये रकम एक्ट्रेस के लिए काफी थी. रुपाली ने बताया था कि थिएटर में उन्हें कभी-कभी समोसे भी मिलते थे.

टीवी की टॉप एक्ट्रेसेस में से एक हैं रुपाली गांगुली
कभी 50 रुपए की कमाई करने वाली रुपाली गांगुली आज टीवी की टॉप एक्ट्रेसेस में से एक मानी जाती हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक एक्ट्रेस शो ‘अनुपमा’ के एक एपिसोड के लिए 3 लाख रुपए चार्ज करती हैं. नेटवर्थ की बात करें तो रुपाली 20-25 करोड़ रुपए की संपत्ति की मालकिन हैं.

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TMKOC: ‘तारक मेहता…’ शो की टप्पू सेना के दो सदस्य रियल लाइफ में हैं कजिन, क्या आप जानते हैं कौन हैं ये?

TMKOC:  तारक मेहता का उल्टा चश्मा एक बार फिर टप्पू सेना के इर्द-गिर्द घूम रहा है. ‘सोनू’ ख़ुशी माली के साथ नीतीश भलूनी की ऑन-स्क्रीन शादी इस समय खूब चर्चा में है. गौरतलब है कि TMKOC टीवी का सबसे सक्सेसफुल शो है और इस सिटकॉम के इतने सफल होने की एक खास वजह शो के  कलाकारों और क्रू के बीच रियल लाइफ की शानदार बॉन्डिंग भी है.

बता दें कि सिटकॉम पर एक साथ काम शुरू करने से पहले ही निर्माता असित कुमार मोदी दिलीप जोशी के करीबी दोस्त थे.  वहीं दिशा वकानी और मयूर वकानी न सिर्फ रील बल्कि रियल लाइफ में भी भाई-बहन हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि टप्पू सेना के दो सदस्य रियल लाइफ में कजिन हैं.

टप्पू सेना के दो सदस्य रियल लाइफ में हैं कजिन
 टप्पू सेना की बात करें तो साल 2008 में शुरु हुए तारक मेहता का उल्टा चश्मा शो में भव्य गांधी ने टप्पू का रोल प्ले किया था. लेकिन इससे भी अधिक दिलचस्प बात यह है कि टप्पू सेना के सबसे कम उम्र के सदस्य समय शाह उनके रियल लाइफ कजिन हैं. बता दें, समय शाह शो में रोशन सिंह और रोशन कौर के बेटे गोगी की भूमिका निभाते हैं. वह शुरुआत से ही शो का हिस्सा भी रहे हैं.

भव्य गांधी ने फिल्मी करियर के लिए छोड़ दिया था शो
इस बीच, भव्य गांधी ने अपने ऑलटाइम फिल्मी करियर को आगे बढ़ाने के लिए 2017 में तारक मेहता का उल्टा चश्मा शो छोड़ दिया. उनकी जगह राज अनादकट ने टप्पू की भूमिका निभाई, जो 2022 तक शो का हिस्सा बने रहे. तब से नीतीश भलूनी इस किरदार को निभा रहे हैं.

विवादों में रहा है तारक मेहता का उल्टा चश्मा शो
तारक मेहता हाल के कुछ सालों में विवादों में भी फंसा रहा है. शैलेश लोढ़ा, राज अनादकट, गुरुचरण सिंह और पलक सिंधवानी सहित कई कलाकारों ने निर्माताओं पर बकाया भुगतान न करने का आरोप लगाया था. जेनिफर मिस्त्री बंसीवाल ने भी असित कुमार मोदी के खिलाफ यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया था.

 

वर्तमान में, शो को अपने हालिया ट्रैक जिसमें सोनू और टप्पू के अलगाव को दिखाया गया है, को लेकर विरोध का सामना करना पड़ रहा है। कई लोगों ने शिकायत की है कि मेकर्स शो को बर्बाद कर रहे हैं।

 

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NAAC ‘A’ ग्रेड प्राप्त इस यूनिवर्सिटी से कई वैज्ञानिक और IAS कर चुके हैं पढ़ाई, जानिए आप कैसे ले सकते हैं एडमिशन

2007 भारत सरकार के उस फैसले जिसमें उन सभी राज्यों में एक सेंट्रल यूनिवर्सिटी देने को कहा गया, जहां पहले से कोई सेंट्रल यूनिवर्सिटी नहीं है. इसके बाद, 11वीं पंचवर्षीय योजना में 16 नई सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाने का निर्णय लिया गया. इसी के तहत, केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम 2009 (2009 की संख्या 25) को 20 मार्च 2009 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली, जिसमें हिमाचल प्रदेश में एक केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना का भी प्रावधान किया गया.

30 से अधिक विभाग हैं इस यूनिवर्सिटी में 

हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना इसी केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम 2009 के तहत की गई है. यह विश्वविद्यालय, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा फाइनेंशियल एसिस्टेंस और नियमों के अनुसार चलाया जाता है. 20 जनवरी 2010 को पहले कुलपति के कार्यभार संभालते ही यूनिवर्सिटी कार्यरत हो गई विश्वविद्यालय ने अपने 15 वर्षों के सफर में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, लेकिन निरंतर विकास के पथ पर अग्रसर रहा है. शुरुआत में मात्र कुछ विभागों के साथ शुरू हुए इस विश्वविद्यालय में आज 30 से अधिक विभाग हैं, जो छात्रों को विविध क्षेत्रों में उच्च शिक्षा प्रदान कर रहे हैं.

ये है प्रवेश प्रक्रिया

विश्वविद्यालय में एडमिशन के लिए छात्रों को सीयूईटी (कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट) का एग्जाम देना होता है. इस एग्जाम में प्राप्त नंबर्स के आधार पर ही एडमिशन दिया जाता है.
CUET एग्जाम में प्राप्त नंबर्स के आधार पर मेरिट सूची तैयार की जाती है, जिसके आधार पर छात्रों को प्रवेश दिया जाता है.

यूनिवर्सिटी में चल रहे मौजूदा कोर्सेज

वर्तमान में विश्वविद्यालय में 30 से अधिक विभाग हैं, जो स्नातक से लेकर डॉक्टरेट स्तर तक की शिक्षा प्रदान करते हैं. जहां स्नातक स्तर पर बीए (ऑनर्स)  बीएससी (ऑनर्स) बीकॉम (ऑनर्स) बीटेक कंप्यूटर साइंस और स्नातकोत्तर स्तर पर एमए, एमएससी, एमबीए, एमसीए, एलएलएम वा सभी विभागों में पीएचडी की पढ़ाई होती है वहीं यूनिवर्सिटी नए दौर की जरूरतों के अनुसार डिजिटल मार्केटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा साइंस जैसे आधुनिक कोर्सेज भी प्रदान करता है.

यूनिवर्सिटी में कोर्सेज की फीस

बैचलर्स में बीए (ऑनर्स),बीएससी (ऑनर्स), बीकॉम (ऑनर्स) की फीस 8 हजार से 15 हजार रुपये प्रति सेमेस्टर, मास्टर्स में एमए, एमएससी,एमसीए की फीस 10 हजार से 20 हजार रुपये प्रति सेमेस्टर. वहीं पीएचडी की फीस 15 हजार से 25 हजार रुपये प्रति वर्ष है. बीटेक/ एमबीए/एलएलएम जैसे प्रोफेशनल कोर्सेज की फीस 20 हजार से 30 हजार रुपये प्रति सेमेस्टर है. विश्वविद्यालय स्कॉलरशिप और शुल्क माफी जैसी सुविधाएं भी प्रदान करता है, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को भी उच्च शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलता है.

यूनिवर्सिटी से पासआउट हैं कई नामचीन चहरे 

सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ हिमाचल प्रदेश के कई पूर्व छात्र आज विभिन्न क्षेत्रों में अपनी पहचान बना चुके हैं. जिनमें डॉ. विकास शर्मा जोकि प्रसिद्ध वैज्ञानिक, वर्तमान में नासा में शोधकर्ता के रूप में कार्यरत हैं. सुश्री अनुपमा ठाकुर जोकि एक प्रसिद्ध लेखिका और साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता हैं. रोहित कुमार जोकि सिविल सेवा में आईएएस अधिकारी हैं. डॉ. प्रीति शर्मा जोकि एक प्रसिद्ध डॉक्टर और मेडिकल रिसर्चर हैं. अजय चौहान जोकि प्रसिद्ध उद्यमी और एक सफल स्टार्टअप के संस्थापक हैं. 

NAAC से A ग्रेड सर्टिफाइड है यूनिवर्सिटी 

NAAC से ‘A’ ग्रेड प्राप्त वा UGC द्वारा ‘एक्सीलेंस’ का दर्जा प्राप्त यह विश्वविद्यालय अपने नए और विस्तारित परिसर का निर्माण कर रहा है, जिसमें अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ छात्रों को बेहतर शिक्षा प्रदान की जाएगी. आगामी वर्षों में विश्वविद्यालय इंजीनियरिंग, मेडिकल साइंसेज और मैनेजमेंट के क्षेत्र में नए कोर्सेज शुरू करने की योजना बना रहा है.

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अनस्कूलिंग करने वाले बच्चों का कैसा होगा करियर, कौन से देश इस दिशा में कर रहे काम?

परंपरागत शिक्षा प्रणाली से हटकर एक नया ट्रेंड दुनिया भर में तेजी से अपनी जगह बना रहा है ‘अनस्कूलिंग’. यह शिक्षा का एक ऐसा मॉडल है जिसमें बच्चों को औपचारिक स्कूली व्यवस्था से बाहर रखकर उन्हें अपनी रुचि और प्राकृतिक जिज्ञासा के अनुसार सीखने की आजादी दी जाती है. लेकिन सवाल उठता है कि क्या इस तरह की शिक्षा पाने वाले बच्चों का भविष्य और करियर सुरक्षित होगा?

जानिए क्या है अनस्कूलिंग 

अनस्कूलिंग शिक्षा का एक ऐसा तरीका है जिसमें बच्चे किसी निर्धारित पाठ्यक्रम या स्कूली समय-सारिणी के बिना, अपनी रुचि और गति से सीखते हैं. यह होमस्कूलिंग से भी अलग है, क्योंकि इसमें माता-पिता बच्चों को किसी तय पाठ्यक्रम पर नहीं बल्कि उनकी स्वाभाविक जिज्ञासा को प्रोत्साहित करते हैं. शिक्षा विशेषज्ञ डॉ. अमित शर्मा के अनुसार, ‘अनस्कूलिंग बच्चों को real-world experiences के माध्यम से सीखने पर जोर देता है. इसमें बच्चों को प्रश्न पूछने, खोज करने और अपने हितों का पता लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है.’

अनस्कूलिंग और करियर की संभावनाएं

कई लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि अगर बच्चे स्कूल नहीं जाएंगे तो उनका करियर कैसा होगा? क्या वे कॉम्पिटेटिव जॉब मार्केट में सफल हो पाएंगे? अनस्कूलिंग के समर्थकों का मानना है कि इस तरह की शिक्षा पाने वाले बच्चे अक्सर अधिक आत्मनिर्भर, रचनात्मक और problem-solving skills से लैस होते हैं. वे एंटरप्रेन्योरशिप की ओर अधिक झुकाव रखते हैं और नए विचारों को अपनाने में अधिक फ्लेक्सबल होते हैं.

अनस्कूलिंग के वैश्विक अध्ययनों से पता चलता है कि इस पद्धति से सीखने वाले बच्चे अक्सर क्रिएटिव आर्ट्स, टेक्नॉलजी इनोवेशन और सोशल एंटरप्रेन्योरशिप जैसे क्षेत्रों में अपना करियर बनाते हैं. ये बच्चे परंपरागत नौकरियों के अलावा नए-नए करियर पाथ तलाशने में अधिक सफल होते हैं.

शिक्षा विशेषज्ञ डॉ. मीरा गुप्ता बताती हैं, ‘डिजिटल एज में स्किल्स का महत्व डिग्री से अधिक हो गया है. कई बड़ी कंपनियां जैसे गूगल और एप्पल अब फॉर्मल डिग्री को हायरिंग का इसेंचल क्राइटेरिया नहीं मानतीं, बल्कि प्रैक्टिकल स्किल्स और इनोवेटिव थिंकिंग पर अधिक जोर देती हैं.’

हालांकि, चुनौतियां भी हैं. अनस्कूल्ड बच्चों को फॉर्मल डिग्री और सर्टिफिकेट की कमी का सामना करना पड़ सकता है, जिन्हें कई एम्प्लॉयर अभी भी महत्व देते हैं.

जानिए कौन से देश दे रहे हैं अनस्कूलिंग को बढ़ावा?

फिनलैंड

फिनलैंड, जिसकी शिक्षा प्रणाली पहले से ही दुनिया में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है, अब अनस्कूलिंग के कांसेप्ट को अपने मुख्यधारा शिक्षा प्रणाली में शामिल कर रहा है. यहां “phenomenon-based learning” को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिसमें विषयों की सीमाओं को मिटाकर असली जीवन के कॉन्सेप्ट्स पर ध्यान केंद्रित किया जाता है.

न्यूजीलैंड

न्यूजीलैंड में, अनस्कूलिंग को कानूनी मान्यता प्राप्त है और सरकार इसे एक वैकल्पिक शिक्षा मार्ग के रूप में स्वीकार करती है. यहां के शिक्षा मंत्रालय अनस्कूलिंग करने वाले परिवारों को संसाधन और समर्थन प्रदान करता है.

कनाडा

कनाडा के कई प्रांतों में अनस्कूलिंग के लिए लचीले नियम हैं. यहां “unschooling-friendly communities” बढ़ रही हैं, जहां परिवार अपने अनुभवों को साझा करते हैं और संसाधनों का आदान-प्रदान करते हैं.

भारत में अनस्कूलिंग की स्थिति

भारत में अनस्कूलिंग अभी शुरुआती चरण में है, लेकिन शहरी क्षेत्रों में इसकी लोकप्रियता बढ़ रही है. बेंगलुरु, मुंबई और पुणे जैसे शहरों में कई परिवार इस विकल्प को अपना रहे हैं.

शिक्षाविद् सुधा रामन कहती हैं, ‘भारत में अनस्कूलिंग के लिए कानूनी ढांचा अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन नई शिक्षा नीति 2020 में लचीलापन और विकल्पों को महत्व दिया गया है, जो अनस्कूलिंग जैसे वैकल्पिक शिक्षा मॉडल्स के लिए अनुकूल वातावरण तैयार कर सकता है.’

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Mutual Fund: म्यूचुअल फंड्स में निवेश लुभा रहा महिलाओं को, 5 वर्षों में डबल हो गया इंवेस्टमेंट

Mutual Fund: शेयर बाजार में निवेश इन दिनों महिलाओं को भी बेहद लुभा रहा है. ऐसे में भारत में महिला निवेशकों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है और महिलाएं बड़े स्तर पर म्यूचुअल फंड्स में भी निवेश कर रही हैं. महिलाओं के भारी निवेश के चलते उनका एसेट्स अंडर मैनेजमेंट  मार्च 2019 में 4.59 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर मार्च 2024 में 11.25 लाख करोड़ रुपये हो गया है जो कि डबल है. 

म्यूचुअल फंड्स का संगठन एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया ने क्रिसिल के साथ साझेदारी में जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया कि महिला निवेशक अब कुल व्यक्तिगत निवेशकों के एयूएम का 33 प्रतिशत हिस्सेदारी का प्रतिनिधित्व करती हैं. रिपोर्ट के मुताबिक म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाली महिलाओं की संख्या में भी तेजी से वृद्धि हुई है और अब प्रत्येक चार निवेशकों में से एक महिला है. इसके अतिरिक्त, महिलाओं के निवेश पोर्टफोलियो के औसत आकार में तेज वृद्धि देखी गई है, मार्च 2019 और मार्च 2024 के बीच उनके फोलियो आकार में 24 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि पुरुषों के लिए यह वृद्धि केवल 6 प्रतिशत रही है. 

रिपोर्ट में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान्स (एसआईपी) में भी मजबूत वृद्धि दिखाई गई, जिसमें स्मॉलकैप फंड टॉप परफार्मर के रूप में उभरे, जिनका इस श्रेणी के कुल एयूएम में आधे से अधिक हिस्सा है. इसके अतिरिक्त, मिडकैप फंडों में भी एसआईपी में वृद्धि हुई है, इस श्रेणी में एयूएम का लगभग 46 प्रतिशत नियमित निवेश से आता है. अधिकांश इक्विटी श्रेणियों में वृद्धि के बावजूद, सेक्टोरल, थीमैटिक और डिविडेंड यील्ड श्रेणियों में एसआईपी एयूएम की हिस्सेदारी में गिरावट देखी गई है।रिपोर्ट के अनुसार, एसआईपी एयूएम में 300 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. यह मार्च 2024 में बढ़कर 10.62 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो कि मार्च 2019 में 2.66 लाख करोड़ रुपये पर था. 

रिपोर्ट के मुताबिक इस बढ़त की वजह एसआईपी का बढञता क्रेज है. 18-34 वर्ष के आयुवर्ग में एसआईपी का अधिक क्रेज देखने को मिल रहा है. इस आयुवर्ग के एसआईपी एयूएम में बीते पांच साल में 2.6 गुना से अधिक की बढ़ोतरी हुई है और यह मार्च 2024 में बढ़कर 1.51 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो कि मार्च 2019 में 41,209 करोड़ रुपये था. 

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Real Estate Sector: घरों की कीमतों में और तेजी संभव, पर टैरिफ वॉर और अर्थव्यवस्था में सुस्ती से बढ़ी रियल एस्टेट सेक्टर की चिंता

Housing Price Increase Likely: अगर आप सपनों का आशियाना खरीदने का सोच रहे हैं तो ज्यादा कीमत देने के लिए तैयार रहिए. क्योंकि रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी की कीमतों में तेजी का सिलसिला जारी रह सकता है. वहीं महंगे घरों के बावजूद इसका सेल्स पर कोई असर नहीं पड़ेगा. साथ रियल एस्टेट कंपनियों की ओर से नए हाउसिंग प्रोजेक्ट्स लॉन्चिंग का सिलसिला जारी रहने वाला है. 

साल 2024 की चौथी तिमाही अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के लिए नाईट फ्रैंक इंडिया-नारेडको रियल एस्टेट सेंटीमेंट इंडेक्स जारी किया गया है. इस रिपोर्ट में वैश्विक बदलते आर्थिक हालातों के साथ स्टेकहोल्डर्स में इकोनॉमिक ग्रोथ की चिंताओं को लेकर रियल एस्टेट सेक्टर से जुड़े स्टोकहोल्डर्स में चिंता भी देखी जा रही है.  नाईट फ्रैंक इंडिया-नारेडको रियल एस्टेट सेंटीमेंट इंडेक्स में मौजूदा और भविष्य के लिए सेंटीमेंट उम्मीद से बेहतर है लेकिन पिछले तिमाही के मुकाबले सेंटीमेंट कमजोर हुआ है. 2024 की चौथी तिमाही में करेंट सेंटीमेंट स्कोर घटकर 59 पर आ गया है जो कि तीसरी तिमाही में 64 था. साथ ही भविष्य के लिए सेंटीमेंट स्कोर भी घटकर 59 पर आ गया है जो पिछले तिमाही में 67 था. 

रिपोर्ट के मुताबिक इन करेक्शन के बावजूद, वर्तमान और भविष्य दोनों ही के लिए सेंटीमेंट आशावादी बनी हुई है, जो इस सेक्टर में लंबी अवधि में  संभावनाओं में निरंतर विश्वास को दर्शाती है. 

नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल ने कहा, “रियल एस्टेट सेंटीमेंट इंडेक्स आशावादी दायरे में रहते हुए भी बेहद सावधान है. भू-राजनीतिक स्थिति में तेज बदलाव और घरेलू आर्थिक हालातों के ऐसा हो रहा है. उन्होंने कहा, वैश्विक आर्थिक नीति में बदलाव, विशेष रूप से अमेरिकी टैरिफ व्यवस्था में बदलाव, साथ ही घरेलू विकास में मंदी ने रियल एस्टेट क्षेत्र को अधिक सतर्क रुख अपनाने के लिए विवश हो रही हैं. आने वाली तिमाहियों में, डेवलपर्स और निवेशकों से प्रतीक्षा और निगरानी का दृष्टिकोण बनाए रखने की उम्मीद है, जिसका लक्ष्य पिछले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र द्वारा बनाई गई गति को बनाए रखना है. 

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