IND vs AUS: भारत ने यूं रचा पर्थ में इतिहास, बुमराह एंड कंपनी ने ऑस्ट्रेलिया को कैसे रौंदा? जानें मैच में क्या-क्या हुआ

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India vs Australia 1st Test Perth Result: एक पीढ़ी के लिए पर्थ स्थित वो वाका का मैदान उस अपमान पर लगे मरहम की तरह है, जहां मिली जीत ने भारतीय क्रिकेट को एक बार फिर से एक सूत्र में पिरो दिया था. याद करिए 2008 का वो पर्थ टेस्ट मैच जब लंबे बालों वाले युवा तेज गेंदबाज ईशांत शर्मा की गेंदों ने कंगारू कप्तान को घुटनों पर ला खड़ा किया था. पर्थ की वो जीत आज भी ऐतिहासिक है, इसकी पटकथा सिडनी में लिखी गई थी. जहां हरभजन सिंह और एंड्रयू साइमंड्स की कहासुनी ने दोनों क्रिकेट बोर्ड्स के बीच तनाव पैदा कर दिया था. जहां अंपायरिंग का स्तर बद से बदतर हो गया था. भारतीय खिलाड़ियों के साथ कई मौकों पर नाइंसाफी हुई थी. भारत के तत्कालीन कप्तान अनिल कुंबले ने 1933 में प्लम वॉर्नर के दिए गए बयान को दोहराया था कि वहां दो टीम खेल रही थीं, लेकिन उनमें से केवल एक टीम ने खेल भावना का सम्मान किया था. ये बयान यह बताने के लिए काफी था कि उस विवाद में भारत का रुख कैसा था. इस सबके बाद भारत ने पर्थ में इतिहास रच दिया.

समय का पहिया घूमा है और 16 साल बाद आज फिर पर्थ का मैदान संजीवनी बन कर आया है. आज की पीढ़ी के लिए पर्थ फिर उम्मीद की किरण बन कर आया है. पर्थ के नए ऑप्टस स्टेडियम में भारतीय टीम ने कंगारुओं को रौंद कर उनके नवनिर्मित किले को ध्वस्त कर दिया. ये जीत खास इसलिए है क्योंकि इससे पहले जो कुछ भारतीय क्रिकेट में घटा है वह एक बुरे सपने की तरह था. भारतीय टीम पहली बार 3 मैचों की सीरीज में एक मैच जीतने में भी सफल नहीं हो सकी. इसपर चर्चा हो सकती है कि वो क्या कारण रहे कि कीवियों ने भारतीय चुनौती को ध्वस्त कर दिया. क्रिकेट पंडितों से चौतरफा आलोचना झेल रही टीम इंडिया पर स्पिन न खेल पाने का ठप्पा लग जाता है और इसके साथ ही पूछा जाता है वो ही घिसा पिटा सवाल कि क्या ये टीम ऑस्ट्रेलियाई चुनौती झेल पाने में सक्षम है? जिसका जवाब पहले टेस्ट मैच में दिया गया.

पहले टेस्ट के लिए भारतीय कप्तान रोहित शर्मा की गैरमौजूदगी में कमान जसप्रीत बुमराह के हाथों में थी, और उनके सामने थे कई सवाल जिनके जवाब मिलने मुश्किल थे. राहुल की फॉर्म चिंता का सबब , गिल का चोटिल होना एक बड़ा झटका और अंतिम एकादश में नए चेहरों को मौका देने के अलावा भारत के पास कोई चारा नहीं था. यहां भारत निश्चिंत इसलिए भी था क्योंकि पर्थ की विकेट पर वो टर्न नहीं था जिसके आगे भारत ने कुछ दिन पहले हथियार डाल दिए थे. पिच में पेस और बाउंस भरपूर थी, जो नए युग के भारतीय बल्लेबाजों को काफी रास आता है. इसके अलावा वो सभी रिकॉर्ड्स जेहन में ताजा थे, जैसे ऑस्ट्रेलियाई टीम का नया गढ़ बन रहा ऑप्टस का नया मैदान, कंगारू खिलाड़ियों का बेहतरीन रिकॉर्ड और टॉस की महत्वपूर्ण भूमिका. लेकिन जैसा कहा जाता है, “क्रिकेट कागजों पर नहीं मैदान में खेला जाता है.” वो एक चीज जो भाग्य के हाथों में थी वो था टॉस का नतीजा, वो भाग्य भारतीय कप्तान के पक्ष में गिरा और बिना देरी किए भारत ने बल्लेबाजी का निर्णय लिया. 

इसके बाद जो हुआ उसने फिर भारतीय बल्लेबाजी को सवालों के घेरे में ला खड़ा किया. भारतीय बल्लेबाजी कंगारू पेस बैट्री के सामने ताश के पत्तों की तरह ढह रही थी. एक तरफ सवालों के चक्रव्यूह में फंसे केएल राहुल की खूबसूरत बल्लेबाजी एक छोर संभाले थी तो वहीं दूसरी तरफ ऋषभ पंत की आतिशबाजी जारी थी. ऑस्ट्रेलिया की जमीन पर पहला टेस्ट मैच खेल रहे नीतीश कुमार रेड्डी की परिपक्व बल्लेबाजी से भारत 150 रन तक पहुंच सका. इस टेस्ट में ऑस्ट्रेलियाई टीम के “अच्छे दिन” यहीं समाप्त हुए और फिर शुरू हुई वो कहानी जो पर्थ के मैदान पर बरसों तक याद की जाएगी। 

बल्लेबाजी करने आई कंगारू टीम के सामने थे अदम्य साहस से लबरेज भारतीय कप्तान जसप्रीत बुमराह, जो ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को डरा रहे थे. बुमराह की गेंदों का आतंक उनकी आंखों में साफ देखा जा सकता था. उनके सबसे बेहतरीन बल्लेबाज स्टीव स्मिथ को बुमराह ने सांस लेने की भी फुरसत नहीं दी. पहली गेंद पर गुड लेंथ की गेंद पड़कर तेजी से अंदर आई और स्टीव स्मिथ को बाहर का रास्ता दिखा गई. आग उगलते बुमराह के उस स्पेल के लिए कमेंट्री कर रहे कई पूर्व खिलाड़ियों ने उनकी तुलना मैलकम मार्शल से कर दी. यहां डेब्यू कर रहे हर्षित राणा की उस गेंद की तारीफ भी करनी होगी जिसने ट्रैविस हेड को पवेलियन भेजा. वो गेंद शायद इस मुकाबले की सबसे शानदार गेंद थी. भारत की गेंदबाजी का स्तर कुछ यूं था कि पहले दिन का खेल खत्म होने के बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम का स्कोर 7 विकेट पर 67 रन था. किसी तरह ऑस्ट्रेलिया ने 100 का आंकड़ा पार किया और बुमराह के पंजे के कारण 104 रन पर सिमट गया.  

एक बार फिर सवाल के घेरे में थी भारतीय बल्लेबाजी, सवाल ये था कि क्या बल्लेबाज गेंदबाज के किए कराए पर पानी फेर देंगे. इसके बाद शुरू हुआ वो खूबसूरत बल्लेबाजी का प्रदर्शन जिसे हम कहते हैं कि अगर टेस्ट में बल्लेबाजी हो तो ऐसी हो. ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों की अच्छी गेंदबाजी का जवाब भारत ने सूझ बूझ भरी बल्लेबाजी से दिया. राहुल और यशस्वी ने कंगारू गेंदबाजों को थका-थका कर मारा. अच्छी गेंदों को सम्मान दिया और खराब गेंदों को उसके अंजाम तक पहुंचाया. सॉफ्ट हैंड से गेंदों को खेला जिसका नतीजा ये हुआ कि बल्ले का किनारा ले रही गेंदें भी स्लिप तक का रास्ता तय नहीं कर सकीं. उनके धैर्य का ही परिणाम था कि भारत बड़े स्कोर की नींव रख सका. राहुल ने शानदार 77 रन बनाए और यशस्वी के बल्ले से खूबसूरत 161 रन निकले. ये रन ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों की मुश्किलें और बढ़ा रहे थे. 
उस खिलाड़ी ने रन बनाए जो लगातार सवालों के घेरे में था. उसकी स्पिन के खिलाफ कमजोरी जगजाहिर थी. लेकिन 2014 में यहां मिली संजीवनी ने 2024 में भी अपना काम किया और विराट कोहली ने शानदार सैंकड़ा लगा दिया. यहां दूसरे छोर पर नीतीश रेड्डी की बात करनी भी जरूरी है जिन्होंने अपनी बल्लेबाजी से विराट के ऊपर से भार हटा दिया. भारतीय टीम ने 487 रन बनाए और ऑस्ट्रेलिया को 534 रनों का विशाल लक्ष्य दिया.

दूसरी पारी में भी कंगारू बल्लेबाजी भारतीय गेंदबाजों के गदर के आगे नहीं टिक पाई. तीसरे दिन के अंतिम घंटे में कंगारू बल्लेबाज बिल्कुल असहाय दिख रहे थे. उनके सामने फिर वही बुमराह आ गया जो इस समय दुनिया का सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाज है. जिस बल्लेबाज की इस ऑप्टस मैदान पर 100 से ज्यादा की औसत हो उस बल्लेबाज को बुमराह की गेंदे समझ नहीं आ रही थीं. मार्नस लबुशेन का रिकॉर्ड यहां सिर चढ़कर बोलता है। उसे गेंद समझ ही नहीं आ रही थी. ये बुमराह की चतुराई ही है कि वो इतने खतरनाक दिख रहे थे. वहां एक छोर पर उनका भरपूर साथ दे रहे थे मोहम्मद सिराज. दोनों की जोड़ी ने कंगारुओं की नाक में दम कर दिया था. तीसरे दिन का खेल समाप्त होने पर ऑस्ट्रेलिया 3 विकेट के नुकसान पर मात्र 12 रन बनाकर हार के कगार पर खड़ी थी.

चौथे दिन भारत की जीत औपचारिकता मात्र थी. लेकिन यहां ट्रेविस हेड ने ऑस्ट्रेलिया की हार को कुछ देर के लिए टाल जरूर दिया. उनके 89 रनों ने ऑस्ट्रेलिया के हार के अंतर को कम किया। हर्षित राणा ने धीमी गति की खूबसूरत गेंद पर जैसे ही एलेक्स कैरी की विकेट उड़ाई भारत पर्थ के ऑप्टस स्टेडियम में ऑस्ट्रेलियाई चुनौती को ध्वस्त करने वाली पहली टीम बन गई थी.

ये जीत 2021 की गाबा वाली जीत से कम नहीं है। एक बार फिर भारत के जायसवाल, राहुल, विराट, रेड्डी, हर्षित, सिराज और कप्तान बुमराह ने ऑस्ट्रेलिया में जीत का तिरंगा लहरा दिया है. हालांकि ये सीरीज लंबी है और भारत ऑस्ट्रेलिया को हल्के में आंकने की गलती बिल्कुल भी नहीं करेगा. पर्थ में एकबार फिर भारत ने पलटवार करके 16 साल का सूखा खत्म कर दिया है। 

ये जीत खुशी के साथ कई सवाल भी छोड़ कर जा रही है जो भारतीय टीम प्रबंधन के लिए कड़ी परीक्षा हो सकती है. क्या कप्तान रोहित शर्मा और शुभमन गिल की वापसी के बाद लोकेश राहुल की जगह छिन ली जाएगी? या इन सबको टीम में फिट करने के बदले ध्रुव जुरेल को बाहर जाना होगा? डे नाइट टेस्ट मैच में रात के समय स्विंग होती गेंदों ने रोहित को हालिया समय में काफी परेशान किया है. क्या उससे निपटने के लिए गंभीर एंड कंपनी कोई खास तैयारी करेगी? क्योंकि पिछला डे नाइट टेस्ट भारत के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं था. फिलहाल ये सवाल भविष्य के गर्भ में हैं. इसके अलावा क्या कंगारू टीम और पैट कमिंस टीम में कोई बदलाव करने की कोशिश करेंगे? क्या डे नाइट टेस्ट मैच में ऑस्ट्रेलिया का अजेय रिकॉर्ड कायम रह पाएगा? जो सामने है वो है एक ऐतिहासिक जीत जिसने इस ऐतिहासिक सीरीज को और भी रोमांचक बना दिया है.

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