ईरान-इजरायल जंग के असर से क्रूड कीमतों में आग लगनी शुरू, ग्लोबल टेंशन में भारत को भी झेलनी होगी आंच? समझें यहां

Iran-Israel War Impact: ईरान-इजरायल के बीच जंग छिड़ी हुई है और दो देशों की इस लड़ाई की आंच दुनिया के कई देशों तक पहुंच रही है. कल देर रात (1 अक्टूबर) को इजरायल पर लगभग 200 से ज्यादा मिसाइलें ईरान ने दागी हैं और इजरायल ने इसको लेकर ईरान को भयानक परिणाम भुगतने की चेतावनी दी है. वैश्विक जियो-पॉलिटिकल टेंशन में इस युद्ध से भारी अस्थिरता की आहट से जो एक और गंभीर मसला उभर गया है, वो है कच्चे तेल के दाम बढ़ने को लेकर डर…

कच्चे तेल के दाम में जोरदार इजाफा

पहले से ही कच्चे तेल के दामों में तेजी का सिलसिला चालू था जो अब और बढ़ रहा है. कच्चे तेल के दाम में बीते दिन करीब 5 फीसदी का उछाल आ चुका है और इसके असर से कल रात को एक तरफ अमेरिकी शेयर बाजार में गिरावट के साथ कारोबार हुआ. हालांकि कच्चे तेल के दाम पर असर आने की पूरी आशंका थी और ऐसा हो भी गया. डब्ल्यूटीआई क्रूड के दाम कल 3.7 फीसदी ऊपर थे जबकि ब्रेंट क्रूड के दाम में 4-5 फीसदी का उछाल देखने को मिला था. 

ईरान की लड़ाई से क्रूड के दाम पर क्यों असर

दुनिया भर में कच्चे तेल की सप्लाई का एक तिहाई हिस्सा ईरान से सप्लाई होता है और ये OPEC देशों का अहम सदस्य है. ये देश जो कच्चे तेल की दुनिया भर में तेल सप्लाई करते हैं ईरान की मौजूदा जंग की स्थिति से इन्हें कच्चा तेल महंगा मिलेगा. कल ही 5 फीसदी के करीब दाम बढ़ गए हैं. 

आज के कच्चे तेल के दाम

आज के WTI क्रूड के दाम 70.11 डॉलर प्रति बैरल तक गए हैं और ब्रेंट क्रूड के दाम 74.84 डॉलर प्रति बैरल तक आ गए हैं. कल अमेरिकी बाजारों में इसका असर देखा गया और खासकर टेक शेयरों में जोरदार गिरावट रही जिसकी चपेट में एप्प्ल इंक और एनवीडिया जैसे टेक दिग्ग्ज आ गए और टूटकर बंद हुए. 

भारत के लिए कैसी रहेगी स्थिति, क्या झेलनी पड़ेगी क्रूड की आंच

2018-19 तक ईरान भारत का तीसरा सबसे बड़ा ऑयल सप्लायर था लेकिन जून 2019 से पहले जब अमेरिका ने ईरान पर परमाणु कार्यक्रम से जुड़े प्रतिबंध लगाए तो भारत को भी ईरान से तेल आयात करने की छूट खत्म हो गई जिसके बाद साल 2019 से ही भारत ने ईरान से तेल लेना बंद कर दिया है. लिहाजा भारत जो ईरान से तेल नहीं लेता वो प्रत्यक्ष रूप से इससे प्रभावित भले ही ना हो, लेकिन ग्लोबल टेंशन का असर होने की आशंका बनी है, ये सच्चाई है.

देश में पेट्रोल-डीजल के दाम घटने की आस का क्या होगा?

दरअसल भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑयल इंपोर्टर है और मौजूदा युद्ध से ग्लोबल सप्लाई चेन में गड़बड़ी का असर भारत को भी झेलना होगा. इससे कच्चे तेल के दाम अचानक से बढ़ भी गए हैं जिससे देश में पेट्रोल-डीजल के रेट घटने की संभावना पर फिर सवालिया निशान लग गया है. 

भारत के लिए मौजूदा टेंशन में भी सपोर्ट किस बात का है?

मौजूदा स्थिति में तो पेट्रोल-डीजल और अन्य ईंधन के दाम बढ़ने का खतरा है लेकिन इसके पीछे भारत के पास एक सपोर्ट वाला तथ्य है कि भारत रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से भारत का टॉप कच्चे तेल का सप्लायर रूस है. यहां से भारत कच्चे तेत की जरूरतों का करीब 40 फीसदी आायात करता है और इसके बाद ईराक का नाम आता है जहां से भारत अपनी कच्चे तेल की जरूरतों का करीब 20 फीसदी आयात करता है.

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