Bhagwan Harihar: भगवान हरिहर का संभल से क्या है कनेक्शन, किस विवाद को सुलझाने के लिए लिया अवतार

Bhagwan Harihar: उत्तर प्रदेश के संभल जिला में स्थिल शाही जामा मस्जिद (Sambhal Shahi Jama Masjid) बहुत प्रसिद्ध है. लेकिन इन दिनों मस्जिद को लेकर विवाद (Sambhal Violence) है. दावा किया जा रहा है कि मस्जिद का निर्माण श्री हरिहर के प्राचीन मंदिर (Harihar Mandir Sambhal) को ध्वस्त कर बनाया गया था.

हिंदू पक्ष का दावा है कि प्राचीन हरिहर मंदिर को मुगलकाल के बाबर (Mughal Emperor Babur) ने नष्ट कराया था और यहां मस्जिद बनवाया था. बता दें कि वर्तमान में संभल का शाही जामा मस्जिद एक संरक्षित स्मारक है. लेकिन क्या आप जानते हैं भगवान हरिहर कौन हैं और किस विवाद को दूर करने के लिए भगवान ने लिया यह अवतार? आइये जानते हैं-

कौन हैं भगवान हरिहर (Who is Lord Harihara)

हरिहर भगवान विष्णु (Lord Vishnu) और भगवान शिव (Lord Shiva) का एकीकरण है. दरअसल हिंदू धर्म (Hindu Dharm) में हरि का अर्थ भगवान विष्णु से होता है और हर का अर्थ है शिव. यानि हरिहर भगवान विष्णु और भगवान शिव का ही स्वरूप है. इस स्वरूप में एक ही शरीर में भगवान शिव और विष्णु आधे-आधे रूप में दिखाई देते हैं.

हरिहर रूप शिव और विष्णु का एकीकरण होने के बाद भी अलग-अलग गुणों के लिए पूजे जाते हैं. क्योंकि शिव जहां विनाश के देवता कहलाते हैं वहीं विष्णु सृष्टि के पालनहार हैं. इसका अर्थ यह सृष्टि का संहार औऱ संरक्षण दोनों की आवश्यक है.

शिव-विष्णु ने क्यों लिया हरिहर अवातर (Harihara Avatar Story in Hindi)

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भगवान शिव और भगवान विष्णु ने हरिहर अवतार लिया. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर ऐसा कौन सा विवाद था जिसे सुलझाने के लिए भगवान को हरिहर अवतार लेना पड़ा. इस संबंध से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार शैव और वैष्णव के बीच के विवाद को सुलझाने के लिए शिव-विष्णु को यह अवतार लेना पड़ा.

दरअसल शिव की उपासना करने वाले शैव और विष्णु की उपासना करने वाले वैष्णव कहलाते हैं. ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास बताते हैं कि, पौराणिक कथा के अनुसार एक बार शैव और वैष्णव के बीच इस बात को लेकर विवाद छिड़ गया कि भगवान शिव और भगवान विष्णु में श्रेष्ठ कौन हैं. दोनों ही अपने-अपने ईष्ट को श्रेष्ठ बताने लगे. तब विवाद को सुलझाने के लिए सभी शिव के पास पहुंचे.

भगवान ने कहा कि इस प्रकार का विवाद नहीं होना चाहिए और शैव-वैष्णव के बीच के इस विवाद को सुलझाने उन्होंने हरिहर अवतार लिया. इस अवतार में आधे शरीर में भगवान शिव और आधे में विष्णुजी थे. इसके बाद भक्तों ने भी यह स्वीकार किया कि हरि और हर को लेकर विवाद नहीं करना चाहिए, क्योंकि दोनों ही महाशक्ति है.

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