भारत के टॉप शिक्षण संस्थानों IIT, IIM और केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी का मामला सामने आया है. हाल ही में संसद में पेश एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रोफेसर स्तर के 56.18% पद अब भी खाली पड़े हैं जिससे न केवल शिक्षण की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है बल्कि छात्र-शिक्षक अनुपात भी बिगड़ रहा है. संसदीय रिपोर्ट ‘2025-26 उच्च शिक्षा विभाग की अनुदान मांग’ के अनुसार, 31 जनवरी 2025 तक देश के टॉप शिक्षण संस्थानों में 18,940 स्वीकृत शिक्षकों के पदों में से 28.56% पद खाली थे.
कितने पद खाली?
प्रोफेसर : 2,540 पदों में से 56.18% पद खाली
एसोसिएट प्रोफेसर: 5,102 में से 38.28% पद खाली
सहायक प्रोफेसर (एंट्री लेवल): 11,298 में से 17.97% पद खाली
आरक्षित वर्गों के शिक्षकों की स्थिति और भी खराब
रिपोर्ट में यह भी उजागर हुआ कि OBC, SC और ST वर्गों के लिए आरक्षित पदों पर भर्तियां काफी धीमी गति से हो रही हैं. OBC के 3,652 पदों में से 1,521 पद अब भी खाली हैं. वहीं, SC के 2,315 में से 788 पद रिक्त हैं. जबकि ST उम्मीदवारों के 1,154 में से 472 पद अब तक नहीं भरे गए.
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गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भी भारी कमी
खाली पदों की यह समस्या केवल शिक्षकों तक सीमित नहीं है, बल्कि गैर-शैक्षणिक स्टाफ की भारी कमी भी संस्थानों के प्रशासनिक कार्यों पर असर डाल रही है. OBC के 4,495 पदों में से 1,983 रिक्त हैं. SC के 2,013 में से 1,011 पद खाली हैं और ST के 3,409 में से 1,491 पद नहीं भरे गए हैं.
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संसदीय समिति की सिफारिशें
खाली पदों को जल्द से जल्द भरा जाए ताकि शिक्षा की गुणवत्ता बनी रहे. भर्ती प्रक्रिया को तेज और पारदर्शी बनाया जाए, ऑनलाइन आवेदन और डिजिटल सिलेक्शन प्रक्रिया अपनाई जाए.नियमित रूप से छात्र-शिक्षक अनुपात का विश्लेषण किया जाए ताकि संतुलन बना रहे. SC, ST और OBC वर्गों के लिए विशेष भर्ती अभियान चलाया जाए, ताकि आरक्षित पद जल्द भरे जा सकें.
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