New Tax Regime: ईएलएसएस यानी इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम्स. भारत सरकार के नियमों के नियमों के मुताबिक, इसमें निवेश की गई राशि का 80 फीसदी शेयर बाजार में लगाया जाता है. 80 सी के तहत टैक्स पर डेढ़ लाख रुपये तक की छूट हासिल करने के लिए इसमें निवेश करना लोगों का पसंद रहा है. इनकम टैक्स बिल 2025 में इस प्रावधान को खत्म कर दिया गया है. क्योंकि, न्यू टैक्स रिजीम को डिफॉल्ट टैक्स सिस्टम करार दिया गया है और इसमें इस तरह की छूट की कोई व्यवस्था नहीं है. ऐसी स्थिति में यह जानना जरूरी है कि क्या अब भी इएलएसएस फायदेमंद है. केवल रिटर्न पाने के लिए ही इसमें निवेश करना उचित है या टैक्स बचाने में भी इसकी कोई भूमिका हो सकती है. इस हिसाब से इएलएसएस के सभी पहलुओं पर गौर करना जरूरी है, ताकि नए फाइनेंशियल ईयर के शुरू होने में कुछ ही समय बचे होने के कारण इस दिशा में प्लानिंग की जा सके.
ELSS देता है बेहतर रिटर्न
इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम म्यूचुअल फंड की तरह है. इसमें जमा 80 फीसदी राशि शेयर बाजार में निवेश की जाती है. हाल के सालों में इस स्कीम से निवेशकों को 14.56 फीसदी तक का सालाना रिटर्न मिला है. इसे एक बेहतर रिटर्न माना जा सकता है. इस कारण सैलरीड क्लास को अभी भी यह काफी पसंद है. इसका बड़ा कारण यह भी है कि इसका लॉक इन पीरियड मात्र तीन सालों का है. जो इस तरह की दूसरी किसी भी स्कीम से कम है. यानी आप तीन साल के बाद इस स्कीम में निवेश की गई कोई भी राशि निकाल सकते हैं. इसके अलावा इक्विटी लिंक्ड स्कीम होने के कारण इसमें ग्रोथ की संभावना भी काफी अच्छी है. ELSS ने तो 24 फीसदी तक के रिटर्न दिए हैं. इस कारण इसमें निवेश अभी भी लोगों का पसंद हुआ गै,अभी भी लोगों का पसंद बना हुआ है.
80 सी का फायदा अब 123 में ले सकते हैं
अगर केवल टैक्स बचाने के लिए ही इलएसएस में निवेश आपका मकसद है, तब भी चिंता की कोई बात नहीं है. नए इनकम टैक्स बिल में 80 सी के फायदों को जरूर खत्म कर दिया गया है, लेकिन 123 के तहत वही व्यवस्थाएं अभी भी कायम हैं. इसका फायदा न्यू टैक्स रिजीम के तहत नहीं उठाया जा सकता है. ELSS से टैक्स बेनिफिट हासिल करने के लिए आपको ओल्ड टैक्स रिजीम अपनाना होगा. नए इनकम टैक्स बिल की धारा 123 के अनुसार, किसी व्यक्ति या हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) को टैक्स ईयर में भुगतान या जमा की गई राशि पर छूट मिलेगी, जो शेड्यूल 15 में दी गई राशियों के कुल के बराबर होगी, लेकिन यह छूट 1.5 लाख रुपये से अधिक नहीं होगी.
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